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सरकारी योजनाओं से महरुम है किसान, 2007 से नहीं हुआ वन अधिकार पट्टों का नवीनीकरण

मंडला जिले में साल 2007 से वनाधिकार पट्टों का नवीनीकरण नहीं हुआ है. जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जबकि उन्हें कई सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा.

Renovation of forest rights leases in Mandla
अधिकार पट्टे नवीनीकरण
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Published : Oct 2, 2020, 3:31 AM IST

मंडला। जिले की घुघरी तहसील के साजपानी गांव के आधा सैकड़ा कृषक कलेक्ट्रेट पहुंचे और वनाधिकार पट्टों के नवीनीकरण के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा. उन्होंने बताया कि कई दशकों से वन विभाग की जमीन पर यह लोग खेती किसानी करते आ रहे हैं. लेकिन सन 2007 से इन वनाधिकार पट्टों का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा. जिसके चलते पोषक ग्राम साजपानी के 75 कृषकों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है.

सरकारी योजनाओं से महरूम कृषक

कृषि सभापति जनपद पंचायत नीरज मरकाम का कहना है कि पूरे जिले में ऐसे हज़ारों कृषक हैं जिनके पट्टे नवीनीकरण नहीं किये गए हैं और इसके चलते सभी सरकारी योजनाओं से इन अन्नदाताओं को महरूम होना पड़ रहा है.

फसल बीमा हो या फिर फसल की नुकसानी का मुआवजा या फिर किसान सम्मान निधि के लिए जब ये कृषक राजस्व विभाग के पास जाते हैं, तो उनसे पिछले 75 सालों के रिकार्ड मांगा जाता है और रिकार्ड कृषकों के पास न होने के चलते हर एक सरकारी योजनाओं से इन्हें महरूम कर दिया जाता है. साजपानी से आये ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि 2007 के बाद से वर्तमान तक का वनाधिकार पट्टों का नवीनीकरण कराया जाए और उन्हें सरकारी की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए.

मंडला। जिले की घुघरी तहसील के साजपानी गांव के आधा सैकड़ा कृषक कलेक्ट्रेट पहुंचे और वनाधिकार पट्टों के नवीनीकरण के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा. उन्होंने बताया कि कई दशकों से वन विभाग की जमीन पर यह लोग खेती किसानी करते आ रहे हैं. लेकिन सन 2007 से इन वनाधिकार पट्टों का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा. जिसके चलते पोषक ग्राम साजपानी के 75 कृषकों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है.

सरकारी योजनाओं से महरूम कृषक

कृषि सभापति जनपद पंचायत नीरज मरकाम का कहना है कि पूरे जिले में ऐसे हज़ारों कृषक हैं जिनके पट्टे नवीनीकरण नहीं किये गए हैं और इसके चलते सभी सरकारी योजनाओं से इन अन्नदाताओं को महरूम होना पड़ रहा है.

फसल बीमा हो या फिर फसल की नुकसानी का मुआवजा या फिर किसान सम्मान निधि के लिए जब ये कृषक राजस्व विभाग के पास जाते हैं, तो उनसे पिछले 75 सालों के रिकार्ड मांगा जाता है और रिकार्ड कृषकों के पास न होने के चलते हर एक सरकारी योजनाओं से इन्हें महरूम कर दिया जाता है. साजपानी से आये ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि 2007 के बाद से वर्तमान तक का वनाधिकार पट्टों का नवीनीकरण कराया जाए और उन्हें सरकारी की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए.

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