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मंडला में नवरात्रि की तैयारियां पूरी, महिलाओं द्वारा बनाई जा रही मां दुर्गा की प्रतिमाएं

मंडला में नवरात्री की तैयारियां अतिम दौर में हैं. ऐसे में मूर्ति कलाकार देवी की प्रतिमाओं को अंतिम रुप देने में जुटे हैं. मंडला जिले के नैनपुर तहसील की महिलाएं भी माटी को गूंथ कर उससे मां दुर्गा की प्रतिमाओं का रुप देने में जुटी हैं.

महिलाओं द्वारा बनाई जा रही मां दुर्गा की प्रतिमाएं
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Published : Sep 27, 2019, 5:09 PM IST

मंडला। जिल में नवरात्रि की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. कलाकार दिन-रात एक कर के देवी प्रतिमाओं के निर्माण कार्य में जुटे हैं. मंडला जिले के नैनपुर तहसील की महिलाएं भी माटी को गूंथ कर उससे मां दुर्गा की प्रतिमाओं का रुप देने में जुटी हैं.

महिलाओं द्वारा बनाई जा रही मां दुर्गा की प्रतिमाएं

नैनपुर में रहने वाला चक्रवर्ती परिवार माटी को आकार देकर प्रतिमाएं बनाने का पुस्तैनी काम है. परिवार में लगभग 50 सदस्य हैं , जिनमें से 20 महिलाएं हैं. ये सारी महिलाऐं मिट्टी को ऐसे आकार देती हैं जैसे कि मूर्तियां बोल उठेगी. इन महिलाओं को गणेशउत्सव और दुर्गात्सव सभी के ऑर्डर मिलते हैं, जिन्हे वे समय पर पूरा कर के दे देती है. ये महिलाएं मिट्टी की तैयारी से लेकर, लकड़ी, बांस, पैरा, भूसा से पहले मूर्तियों का ढाँचा तैयार करती हैं, फिर उसमें माटी चढ़ा कर लोगों की मांग के हिसाब से प्रतिमाओं को अकार देती है .

अक्सर ऐसा माना जाता है कि प्रतिमाओं का निर्माण पूरुषों के बस का ही काम है, पर जिस तरह मंडला की महिलाएं एक दूसरे के सहयोग से मनमोहक प्रतिमाओं का निर्माण कर रही है, वो सच में आश्चर्य का विषय है.

मंडला। जिल में नवरात्रि की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. कलाकार दिन-रात एक कर के देवी प्रतिमाओं के निर्माण कार्य में जुटे हैं. मंडला जिले के नैनपुर तहसील की महिलाएं भी माटी को गूंथ कर उससे मां दुर्गा की प्रतिमाओं का रुप देने में जुटी हैं.

महिलाओं द्वारा बनाई जा रही मां दुर्गा की प्रतिमाएं

नैनपुर में रहने वाला चक्रवर्ती परिवार माटी को आकार देकर प्रतिमाएं बनाने का पुस्तैनी काम है. परिवार में लगभग 50 सदस्य हैं , जिनमें से 20 महिलाएं हैं. ये सारी महिलाऐं मिट्टी को ऐसे आकार देती हैं जैसे कि मूर्तियां बोल उठेगी. इन महिलाओं को गणेशउत्सव और दुर्गात्सव सभी के ऑर्डर मिलते हैं, जिन्हे वे समय पर पूरा कर के दे देती है. ये महिलाएं मिट्टी की तैयारी से लेकर, लकड़ी, बांस, पैरा, भूसा से पहले मूर्तियों का ढाँचा तैयार करती हैं, फिर उसमें माटी चढ़ा कर लोगों की मांग के हिसाब से प्रतिमाओं को अकार देती है .

अक्सर ऐसा माना जाता है कि प्रतिमाओं का निर्माण पूरुषों के बस का ही काम है, पर जिस तरह मंडला की महिलाएं एक दूसरे के सहयोग से मनमोहक प्रतिमाओं का निर्माण कर रही है, वो सच में आश्चर्य का विषय है.

Intro:महिलाओं को सृष्ठि का निर्माता कहा जाता है और जब यही महिलाएं माटी को गूँथ कर आकार देती है तो मूर्तियाँ भी खुद पर रश्क जरूर करती होंगी,मण्डला जिले की नैनपुर तहसील की महिलाएं भी ऐसा कुछ करती हैं जिसे देख आप इनकी कला का लोहा मानने को मजबूर हो जाएंगे


Body:नवरात्र का पर्व करीब है और कलाकार मूर्तियों को बनाने दिन रात एक कर रहे हैं लेकिन नैनपुर तहसील मुख्यालय में कुछ मूर्तिकारों पर जाकर आपकी नज़र ठहर जाएगी और आप निश्चित ही ये सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि आखिर महिलाएं भी दुर्गा जी की ऐसी प्रतिमाएं बना सकती हैं?सिवनी रोड पर रहने वाला चक्रवर्ती परिवार जिसमें लगभग 50 सदस्य हैं और 20 के करीब महिलाओं की संख्या है इनका पुस्तैनी काम माटी को गूँथ कर ऐसा आकार देना है कि जैसे मूर्तियाँ बोल ही उठे और इस कला को जीवंत करती हैं यहाँ की महिलाएँ जो मिट्टी की तैयारी से लेकर,लकड़ी,बांस, पैरा,भूसा से पहले मूर्तियों का ढाँचा तैयार करती हैं फिर उसमें माटी चढ़ा कर देती हैं ऐसा आकार जो लोगों की माँग या सोच होती है,गणेशउत्सव हो या फिर दुर्गोत्सव सभी के ऑर्डर इन महिलाओं के द्वारा पूरे किए जाते हैं और सैकड़ों की संख्या में ऐसी मूर्तियाँ बना कर तैयार करती हैं जिस पर माटी को भी गुमान जरूर होता होगा,इन महिलाओं ने बताया कि पुरुषों के हाथ बटाने से हुई शुरुआत उस मुकाम तक पहुँच चुकी है कि आज महिला खुद अपने दम पर पूरी मूर्ति तैयार कर उसे रंग रोगन भी करती है और आभूषणों से सुसज्जित कर आखिरी में मूर्तियों की आँख भी वही खोलती हैं जो मूर्तिकला का आखिरी और महत्वपूर्ण पायदान माना जाता है।


Conclusion:इस काम में हर महिलाओं ने अपनी अपनी जिम्मेदारी सम्हाल रखी है और इस आपसी सहयोग से कब मिट्टी पैरा और भूसा के साथ रंगरोगन मिल कर सुन्दर और मोहक आकार ले लेती है कि समझ ही नहीं आ पाता कि उन्होंने वो कर दिखया जो ज्यादातर पुरुषों के वश का काम समझा जाता है।

बाईट--अम्बालि चक्रवर्ती,मूर्तिकार
बाईट--शकुंतला चक्रवर्ती,मूर्तिकार
बाईट--सविता चक्रवर्ती,मूर्तिकार
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