मंडला। तस्वीरों में दिख रही इस बुजुर्ग महिला ने समाज के लिए एक मिसाल पेश की है, जो काम बड़े-बड़े धनाड्य करने का दिल नहीं रखते, वो काम मंडला जिले के पदमी गांव में रहने वाली डिगलो बाई ने कर दिखाया है. उन्होंने कल संवारने के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया और अपनी जमीन पर स्कूल तामीर कराने के बाद गांव की नई पीढ़ी के भविष्य को उनके सपनों का पंख देने लगीं.
डिगलो बाई खुद कभी स्कूल की दहलीज तक नहीं पार की हैं, लेकिन वे शिक्षा के महत्व को जानती हैं. तभी तो उन्होंने अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी को स्कूल के लिए दान कर दिया, डिगलो बाई बताती हैं कि 20 साल पहले गांव में स्कूल बनाने के लिए जब चंदा जुटाने की बारी आई तो उनके पति ने स्कूल निर्माण के लिए 20 हजार रुपए दान किए.
स्कूल पूरी तरह तैयार भी नहीं हो पाया कि डिगलो बाई के पति ने दुनिया छोड़ दी. पर डिगलो बाई ने पति के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया और महज पांच एकड़ खेती से पाई-पाई जोड़कर उन्होंने स्कूल के लिए एक लाख रुपए दान किए. डिगलो बाई की मेहनत रंग लाई, आज पदमी गांव का हर नौनिहाल उनकी मदद से बनवाए गए स्कूल में अपना भविष्य संवार रहा है.
डिगलो बाई की कोई संतान नहीं है, पर वो साक्षात ममता की मूरत हैं, जो स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे को अपनी संतान मानती हैं, इन बच्चों के लिए किए गए संघर्ष को याद करते हुए वो भावुक जरुर हो जाती हैं, लेकिन इन बच्चों के भविष्य को संवरते देख उन्हें बेहद सुकून मिलता है.
एक लाख रुपए भले ही आज के दौर एक मामूली सी रकम हो, पर एक अकेली बुजुर्ग महिला के लिए ये रकम जुटाना बेहद मुश्किल है, वैसे भी ये रकम उनके बुढ़ापे का सहारा बन सकती थी, लेकिन डिगलो बाई को पता था कि शिक्षा से संस्कारों का विस्तार होता है, जिससे अच्छे समाज का सृजन होता है. यही वजह है कि उन्होंने अपना सबकुछ बच्चों के भविष्य के लिए दान कर समाज के लिए एक नजीर पेश की है, जिसके चलते हर इंसान का मन उनके लिए सम्मान से भर जाता है.