मंडला। जरूरी नहीं कि समाज सेवा के लिए समाजसेवी बनना जरूरी है. सेवा भाव हो तो प्रोफेशन के जरिए भी समाज सेवा की जा सकती है. इस बात का सटीक उदाहरण हैं रश्मि वर्मा, जिन्होंने प्रोफेशन के साथ-समाज सेवा के नए आयाम लिखे हैं. विश्व महिला दिवस पर ईटीवी भारत आपको कुशल आहार विशेषज्ञ रश्मि वर्मा से रूबरू कराने जा रहा है, जिन्होंने कुपोषण जैसी गंभीर समस्या को मिटाने की मुहिम छेड़ दी.
रश्मि वर्मा अब तक 4 हजार से अधिक बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिला चुकी हैं. रश्मि वर्मा शुरू से ही इस क्षेत्र में कुछ करना चाहती थीं. लिहाजा उन्होंने पढ़ाई को हथियार बनाया और कुशल आहार विशेषज्ञ बन गईं और आदिवासी अचंल मंडला के नौनिहालों को कुपोषण के कंलक से बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं.
जबलपुर की रहने वाली रश्मि वर्मा ने भोपाल में ट्रेनिग ली. वे चाहती तो बिलासपुर में इंटर्नशिप करने के बाद छत्तीसगढ़ में ही अपने कैरियर को नया आयाम दे सकती थीं, लेकिन उन्होंने मंडला जैसे आदिवासी अंचल को चुना और बीते आठ सालों में चार हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चों को ठीक कर दिया. विश्व महिला दिवस पर उन्होंने महिलाओं को खास सलाह भी दी है.
रश्मि वर्मा शुरू से ही कुपोषित बच्चों की मदद करना चाहती थीं और सोचती थीं कि काश उनके लिए कुछ कर पाती. इसी सोच के साथ वे आगे बढ़ीं और इस क्षेत्र में लगातार सेवा दे रही हैं.