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लॉकडाउन में ईट भट्टे का व्यापार बंद, हजारों हुए बेरोजगार, कोरोना ने किया कंगाल

मंडला में कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाल ईंट भट्टों का व्यापार लॉकडाउन की वजह से चौपट होता जा रहा है. हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. वहीं व्यापारियों को भी लाखों का नुकसान हो रहा है.

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लॉकडाउन में ईंट भट्टे का व्यापार ठप
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Published : May 1, 2020, 12:33 PM IST

मंडला। कोरोना वायरस का कहर कई रूपों में लोगों पर बरपा है. संक्रमण के चलते आम लोगों की जीवन अस्त-व्यस्त है. देश की 130 करोड़ की आबादी घरों में बंद है. आर्थिक गतिविधियां थम गई हैं. जिससे कई लोगों के व्यापार और मजदूरों का रोजगार छिन गया है. प्रदेश मंडला जिले में भी ईट भट्टे का काम कर हजारों मजदूर अपनी गुजर-बसर कर रहे थे. लेकिन कोरोना ने इनकी रोजी-रोटी छीन ली है. आलम ये है कि चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. ऐसे में ईट भट्टे व्यापारियों का व्यापार चौपट तो हुआ ही है, लेकिन इससे रोजगार पाने वाले हजारों मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं.

लॉकडाउन में ईंट भट्टे का व्यापार ठप

जिले में कोई बड़ा कारखाना नहीं है, मजदूरों के लिए ज्यादातर रोजगार कृषि क्षेत्र और ईट भट्टों जैसे छोटे-छोटे उद्यमों से मिलता है. यहां बनने वाले ईंट जिले के बाहर भी बड़ी संख्या में सप्लाई की जाती हैं. मार्च-अप्रैल में इन ईंटों को खरीदने बड़े-बड़े ठेकेदार आते थे और पूरा का पूरा भट्टा ही खरीद लेते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब इनकी हालत भी खस्ता है.

इतना ही नहीं बेमौसम होने वाली बारिश ने भी इस व्यापार पर दोहरी मार की है. बरसात की वजह से ईट भट्टे बर्बाद हो चले हैं. मालिकों को लाखों का नुकसान हो गया है. वहीं जो ईट पककर तैयार हैं उन्हें खरीदने ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो ईंट के भट्टों से जुड़े हजारों लोगों के सामने अब गुजर-बसर का संकट आन पड़ा है. ईंट भट्टों का सीजन भी खत्म होने वाला है और निकट भविष्य में हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में खेती के बाद जिले में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला ये व्यापार की स्थिति सुधरने के आसार कम ही हैं.

मंडला। कोरोना वायरस का कहर कई रूपों में लोगों पर बरपा है. संक्रमण के चलते आम लोगों की जीवन अस्त-व्यस्त है. देश की 130 करोड़ की आबादी घरों में बंद है. आर्थिक गतिविधियां थम गई हैं. जिससे कई लोगों के व्यापार और मजदूरों का रोजगार छिन गया है. प्रदेश मंडला जिले में भी ईट भट्टे का काम कर हजारों मजदूर अपनी गुजर-बसर कर रहे थे. लेकिन कोरोना ने इनकी रोजी-रोटी छीन ली है. आलम ये है कि चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. ऐसे में ईट भट्टे व्यापारियों का व्यापार चौपट तो हुआ ही है, लेकिन इससे रोजगार पाने वाले हजारों मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं.

लॉकडाउन में ईंट भट्टे का व्यापार ठप

जिले में कोई बड़ा कारखाना नहीं है, मजदूरों के लिए ज्यादातर रोजगार कृषि क्षेत्र और ईट भट्टों जैसे छोटे-छोटे उद्यमों से मिलता है. यहां बनने वाले ईंट जिले के बाहर भी बड़ी संख्या में सप्लाई की जाती हैं. मार्च-अप्रैल में इन ईंटों को खरीदने बड़े-बड़े ठेकेदार आते थे और पूरा का पूरा भट्टा ही खरीद लेते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब इनकी हालत भी खस्ता है.

इतना ही नहीं बेमौसम होने वाली बारिश ने भी इस व्यापार पर दोहरी मार की है. बरसात की वजह से ईट भट्टे बर्बाद हो चले हैं. मालिकों को लाखों का नुकसान हो गया है. वहीं जो ईट पककर तैयार हैं उन्हें खरीदने ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो ईंट के भट्टों से जुड़े हजारों लोगों के सामने अब गुजर-बसर का संकट आन पड़ा है. ईंट भट्टों का सीजन भी खत्म होने वाला है और निकट भविष्य में हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में खेती के बाद जिले में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला ये व्यापार की स्थिति सुधरने के आसार कम ही हैं.

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