मंडला। बीजेपी ने मंडला लोकसभा सीट से एक बार फिर सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते पर भरोसा जताया है. फग्गनसिंह कुलस्ते मंडला से सातवीं बार चुनावी मैदान में हैं. वे स्टार प्रचारक भी हैं. कुलस्ते आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. प्रदेश में 29 में से 10 सीटें आरक्षित वर्ग के लिए हैं, जिनमें 6 सीट आदिवासियों के लिए जबकि 4 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. बीते चुनावों में सभी पर बीजेपी का कब्जा था, लेकिन विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी की राह अब इतनी आसान नहीं होगी.
आदिवासी मतदाताओं की नब्ज पकड़ने में माहिर मंडला लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और वर्तमान सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते को बीजेपी ने स्टार प्रचारक की लिस्ट में स्थान दिया है. मोदी सरकार और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके फग्गनसिंह कुलस्ते मंडला से 7वीं बार चुनावी मैदान में हैं. कुलस्ते के नाम 5 जीत और एकमात्र हार दर्ज है. एक बार वे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बसोरी सिंह मसराम से चुनाव हार गए थे. फग्गनसिंह कुलस्ते प्रकोष्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ऐसे में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित प्रदेश की 6 सीटों पर फग्गनसिंह कुलस्ते को आदिवासी मतदाताओं को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें, तो प्रदेश की 29 सीटों में से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी 10 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. ऐसा पहली बार हुआ, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की आरक्षित 82 सीटों में से 47 पर कांग्रेस का कब्जा रहा. बीजेपी सिर्फ 34 सीट ही हासिल कर पाई थी. आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की बात करें, तो 47 में से 30 सीटें कांग्रेस के पास है. ऐसे में फग्गनसिंह कुलस्ते के सामने बीजेपी से फिर आदिवासियों को जोड़ने की बड़ी चुनौती होगी. वहीं कांग्रेस भी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने की कवायद में है.