उमरिया (अखिलेश शुक्ला) : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी खास पहचान रखता है. इसलिए यहां भारत के अलावा विदेशों से भी काफी संख्या में पर्यटक हर साल जंगल की अद्भुत खूबसूरती, वन्य प्राणियों के दर्शन और बाघों को देखने के लिए पहुंचते हैं. अब बाघों के इस गढ़ में फिर से बायसन लाने की तैयारी है.
20 फरवरी को लाए जाएंगे बायसन
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 50 बायसन लाए जाने हैं. ये बायसन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लाए जाएंगे, जिसमें 20 फरवरी से ये बायसन आने शुरू हो जाएंगे. 5 दिन के भीतर 20 से 25 बायसन लाने की तैयारी है. इसके बाद जो बाकी के बायसन बचेंगे वो अगले महीने या फिर अगले सीजन में लाये जाएंगे."
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कहां रखे जाएंगे बायसन?
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लाए जाने वाले ये बायसन डायरेक्ट जंगल में नहीं छोड़े जाएंगे, बल्कि जंगल में ही एक बड़ा सा बाड़ा तैयार किया गया है. जिसमें बायसन के रहने की अनुकूल व्यवस्था रखी गई है, जहां तालाब भी है, पानी भी है, घास भी है, खाने के लिए उनके पर्याप्त भोजन भी है. वहां नेचुरल पत्तियां उपलब्ध हैं. करीब 1 महीने तक इन बायसनों को निगरानी में रखा जाएगा और फिर उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा.
बांधवगढ़ में बायसन क्यों जरूरी?
ऐसा नहीं है कि बांधवगढ़ में बायसन नहीं पाए जाते हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "1989 के आसपास तो वैसे भी बांधवगढ़ में बायसन खत्म होने की कगार पर थे, लेकिन 2008-2009 तक एक दो की संख्या में कहीं-कहीं दिखते रहते थे. 2011-12 में कान्हा से 50 बायसन लाए गए और अब इनकी संख्या 50 से लगभग 170 के आस-पास पहुंच गई है. वहीं, अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 50 की संख्या में बायसन लाने की परमिशन मिली है."
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जब बांधवगढ़ में 170 के करीब बायसन हो चुके हैं, फिर भी बायसन क्यों लाये जा रहे हैं?. इसे लेकर बताया जा रहा है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जो भी बायसन हैं, उनके सैंपल आदि पहले लिए गए थे. लगातार उन पर ध्यान भी दिया जा रहा था. उनकी स्ट्रैंथ आदि पर ध्यान दिया जा रहा था, जिसमें काफी कुछ अंतर पाया गया.
इसके लिए पूरा रिसर्च पेपर तैयार किया गया है. जिसके बाद पीसीसी वाइल्डलाइफ को भेजा गया. पीसीसी वाइल्डलाइफ ने इसकी रिपोर्ट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को भेजा. जिसके बाद गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने अब सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व से 50 बायसन को लाने की परमिशन दी थी, जिसे बायसन प्रोजेक्ट-2 के तौर पर लिया गया है.
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जंगल में बायसन क्यों जरूरी?
बायसन हमारे पारिस्थितिक तंत्र में बहुत जरूरी हैं. बायसन को गौर के नाम से भी जाना जाता है. बायसन सदाबहार और अर्ध सदाबहार जंगलों में खुले घास के मैदान वाले जंगलों में रहना पसंद करते हैं. जंगली हाथी की तरह बायसन का मुख्य भोजन घास बांस के पत्ते और टहनियां हैं. बायसन पारिस्थितिक तंत्र में एक अहम भूमिका भी निभाते हैं. इसके साथ ही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की भरमार है और बाघ बायसन का शिकार भी करता है. जिससे एक बार बायसन का शिकार करने से बाघों और उनके बच्चों के लिए कई दिनों तक का आहार मिल जाता है.