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खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण, कागजों में बने हैं शौचालय

मण्डला जिले के कुदई टोला के बैगा और आदिवासी आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं.यहां कागजों में शौचालय बना दिए गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र जा रहे खुले में शौच
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Published : Sep 27, 2019, 10:24 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 10:37 AM IST

मण्डला। जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जंतीपुर का कूदई टोला जहां बैगा जनजाति और आदिवासी निवास करते हैं, लेकिन यहां के सभी परिवार आज तक खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, यहां लगभग 2 से 3 साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शौचालय बनवाने के दावे किये गए थे, लेकिन जमीनी हकीकत से दूर इन शौचालयों में लकड़ी, कंडे या फिर,भूसा रखा जा रहा है.

खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण


बैगा और आदिवासियों के लिए सरकार के द्वारा लाख सुविधाओं के दावे किए गए हो लेकिन जंतीपुर का कुदई टोला एक ऐसा गांव है जहां इन दावों की जमीनी हकीकत से पर्दा उठ जाता है, इस टोले में 16 लाख 80 हज़ार रुपए खर्च कर ग्राम पंचायत के द्वारा 144 शौचालयों के निर्माण के लिए पैसा निकाल लिया गया था, लेकिन बीते दो तीन सालों में उंगलियों में गिने जाने लायक भी शौचालय नहीं बन पाए हैं जिनका उपयोग किया जा सके, आलम यह है कि टोले की महिलाएं, पुरुष और बच्चे खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. वहीं जो शौचालय बनाए भी गए तो या वे धरासाई हो चुके है, या उन पर सीट नहीं हैं, दरवाजे नहीं या फिर टैंक ही नहीं खोदे गए हैं. ऐसे में ग्रामीणों के द्वारा इन आधे अधूरे शौचालय का उपयोग स्टोर रूम के रुप में लकड़ी कंडे या मवेशियों के पैरा भूसा रखने के लिए किया जा रहा है.


आधे अधूरे शौचालय की शिकायत पूर्व सरपंच और ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन से लेकर जनपद पंचायत तक कई बार की जा चुकी है, लेकिन नतीजा नहीं निकला है जांच भी हुई लेकिन नतीजा यही निकला कि लोग आज भी बाहर जाकर शौच करने को मजबूर हैं. वहीं जिला पंचायत के अधिकारी अब भी जांच कर कड़ी कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

मण्डला। जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जंतीपुर का कूदई टोला जहां बैगा जनजाति और आदिवासी निवास करते हैं, लेकिन यहां के सभी परिवार आज तक खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, यहां लगभग 2 से 3 साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शौचालय बनवाने के दावे किये गए थे, लेकिन जमीनी हकीकत से दूर इन शौचालयों में लकड़ी, कंडे या फिर,भूसा रखा जा रहा है.

खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण


बैगा और आदिवासियों के लिए सरकार के द्वारा लाख सुविधाओं के दावे किए गए हो लेकिन जंतीपुर का कुदई टोला एक ऐसा गांव है जहां इन दावों की जमीनी हकीकत से पर्दा उठ जाता है, इस टोले में 16 लाख 80 हज़ार रुपए खर्च कर ग्राम पंचायत के द्वारा 144 शौचालयों के निर्माण के लिए पैसा निकाल लिया गया था, लेकिन बीते दो तीन सालों में उंगलियों में गिने जाने लायक भी शौचालय नहीं बन पाए हैं जिनका उपयोग किया जा सके, आलम यह है कि टोले की महिलाएं, पुरुष और बच्चे खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. वहीं जो शौचालय बनाए भी गए तो या वे धरासाई हो चुके है, या उन पर सीट नहीं हैं, दरवाजे नहीं या फिर टैंक ही नहीं खोदे गए हैं. ऐसे में ग्रामीणों के द्वारा इन आधे अधूरे शौचालय का उपयोग स्टोर रूम के रुप में लकड़ी कंडे या मवेशियों के पैरा भूसा रखने के लिए किया जा रहा है.


आधे अधूरे शौचालय की शिकायत पूर्व सरपंच और ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन से लेकर जनपद पंचायत तक कई बार की जा चुकी है, लेकिन नतीजा नहीं निकला है जांच भी हुई लेकिन नतीजा यही निकला कि लोग आज भी बाहर जाकर शौच करने को मजबूर हैं. वहीं जिला पंचायत के अधिकारी अब भी जांच कर कड़ी कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

Intro:ईटीबी भारत एक्सक्लूसिव--

मण्डला जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्रामपंचायत जंतीपुर का कूदई टोला जहाँ बैगा जनजाति और आदिवासी निवास करते है लेकिन यहाँ के सभी परिवार आज तक खुले में सौच को जाने के लिए मजबूर है,यहाँ लगभग 2 से 3 साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायत के द्वारा लाखों खर्च कर सौचालय बनवाने के दाबे तो किये गए थे लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि इन सौचालय में लकड़ी,कंडे या फिर,भूसा पैरा रखा जा रहा है


Body:मण्डला/बैगा और आदिवासियों के लिए सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लाख दावे किए जाएं लेकिन मण्डला जिला मुख्यालय के करीब ही जंतीपुर का कुदई टोला एक ऐसा गाँव है जहाँ इन दावों की जमीनी हकीकत से पर्दा उठ जाता है इस टोले में 16 लाख 80 हज़ार रुपए खर्च कर ग्राम पंचायत के द्वारा 144 सौचालय के निर्माण का पैसा भी निकाल लिया गया लेकिन बीते दो तीन सालों में उंगलियों में गिने जाने लायक भी सौचालय ऐसे नहीं बन पाए जिनका उपयोग ये राष्ट्पति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासी कर सकें,और आलम यह है कि पूरे टोले की महिलाएं, पुरुष और बच्चे खुले में सौच के लिए आज भी लोटा या डब्बा लेकर जाने को मजबूर हैं,वही जो सौचालय बनाए भी गए तो या वे धरासाई हो चुके है,या उन पर सीट नहीं है,दरवाजे नहीं या फिर टैंक ही नहीं खोदे गए ऐसे में ग्रामीणों के द्वारा इन आधे अधूरे सौचालय का उपयोग स्टोर रूम के जैसे लकड़ी कंडे या मवेशियों के पैरा भूसा रखने के लिए किया जा रहा है।


Conclusion:इन आधे अधूरे सौचालय की शिकायत पूर्व सरपंच के द्वारा और ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन से लेकर जनपद पंचायत तक भी कई बार की जा चुकी है लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही रहा,कुछ जाँचे भी हुई लेकिन उन सब का नतीजा यही निकला कि आज भी लोग पुरानी परम्परा से बाहर निकल कर सौचालय में सौच की बाट जोह रहे हैं,वहीं जिला पंचायत की अधिकारी अब भी जाँच कर कड़ी कार्यवाही की बात कर रही हैं बता दें कि मण्डला को ओडीएफ याने खुले में सौच मुक्त जिला एक साल पहले घोषित किया जा चुका है।

बाईट--1 वीर सिंह 2 छोटे लाला 3 हल्केराम भारती,4 गणेश 5 पार्वती,ग्रामीण
बाईट-- बल्देव सिंह मार्को,पूर्व सरपंच जंतीपुर
बाईट--तन्वी हुड्डा,जिला पंचायत सीईओ मण्डला
Last Updated : Sep 27, 2019, 10:37 AM IST
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