मण्डला। जिले के महाराजपुर में रहने वाले धनेश्वर मिट्टी की मूर्तियां बनाने का काम करते हैं, धनेश्वर का दावा है कि उनको मां लक्ष्मी ने खुद की मुर्ति बानने का आदेश सपने में आकर दिया, जिसके बाद उन्होंने मिट्टी का वर्तन बनाने के साथ- साथ मूर्तियां बनाने का काम भी शुरू कर दिया. भले ही यह एक कहानी ही लगती हो, लेकिन मण्डला के महाराजपुर में रहने वाले धनेश्वर प्रजापति की मूर्तिकला का सफर कुछ ऐसे ही शुरू हुआ है, जहां से साधारण मटके और दिए बनाने वाला एक कुम्हार आज नामी कलाकरों में गिना जाता है. धानेश्वर आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, उन्हें उनकी कला से इलाके में पहचान मिलती है. उन्होंने न केवल मिट्टी बल्कि सीमेंट की भी ऐसी मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें बस जान डालना ही शेष रह गया. इनकी मूर्तियां न सिर्फ मण्डला बल्की जिले से बाहर भी काफी डिमांड में रहती हैं.
सपने से शुरू हुआ सिलसिला
धानेश्वर प्रजापति बताते हैं कि उनके पुश्तैनी धंधे में एक वक्त ऐसा आया कि, जब मटके और दिए बनाकर इनका गुजारा मुश्किल हो गया था, आर्थिक तंगी और मजबूरी के आगे वह हार मान चुके थे. तभी सपने में माता लक्ष्मी आईं और मूर्ती बनाने का आदेश दिया, जिसके बाद से ही धानेश्वर मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. कभी मूर्तिकला के नाम पर ब्रश तक न पकड़ने वाले धानेश्वर ने माता के आदेश पर पहली ही बार मे मां लक्ष्मी की एक सुंदर मूर्ति बनाई थी, जो आज भी इनके घर में मौजूद है.
मूर्तिकला से मिला काफी सम्मान
करीब 20 साल से माटी को गूंथ कर, मटके, दिए, फ्लावर पॉट, गमले और ग्राहकों के मन की कल्पना को उभारने वाले इस कलाकार को राजधानी में भी सम्मान मिल चुका है, इसके अलावा भी मूर्तिकला के लिए धनेश्वर को कई सम्मान मिल चुके हैं. आज बड़े-बड़े मंदिरों में इनकी बनाई मूर्तियों की पूजा होती है वहीं बहुत से चौक-चौराहों की शान भी इनकी बनाई मूर्तियों से बढ़ रहीं हैं.
धानेश्वर अपने काम और मूर्तियों को बनाने की कला को और आगे पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन संसाधनों के का आभाव और महंगाई ने उनके हाथ बांध दिए हैं और वह केवल रोजी- रोटी चलाने के लिए ही काम करते हैं. अगर उन्हें उचित मदद मिल जाए तो निश्चित तौर पर उनके हुनर से जिले को नई पहचान मिल सकती है. कलेक्टर डॉ जगदीश चंद्र जाटिया कहते हैं कि जल्द ही जिले के मूर्तिकारों को मंच दिया जाएगा, जिससे इस कला को साधने वालों की मदद हो सके.