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मनरेगा योजना को निगल रहा 'भ्रष्टाचार का राक्षस', ग्रामीणों को नहीं मिल रहा रोजगार - अंदड ग्राम पंचायत

कोरोना काल में मजदूरों को काम देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना के तहत करोड़ों रुपए जारी किया है, पर इसका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. टांडा और अंदड ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव पर महिला ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.

Villagers are not getting work under MNREGA yojna
मनरेगा के तहत ग्रामीणों को नहीं मिल रहा रोजगार
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Published : Aug 18, 2020, 8:55 PM IST

खरगोन। मनरेगा योजना के तहत जिले भर में होने वाले कार्यों के लिए करोड़ों रुपये की राशि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई है, मगर अधिकांश जगहों पर भ्रष्टाचार हो रहा है. यहां भी सरपंच-सचिव के भ्रष्टाचार के चलते मजदूरों के हक पर डाका डाला जा रहा है. जिम्मेदार योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं. ताजा मामला टांडा और अंदड ग्राम पंचायत का है, जहां ग्रामीणों ने सरपंच-सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.

ग्रामीण कमला बाई का कहना है कि वह विधवा है, जो कुटीर के लिए सरपंच-सचिव के पास गई थी, मगर 20 हजार रुपए की मांग की गई. कुटीर तो नहीं मिला, लेकिन हमारे नाम से दर्ज कुटीर को किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया गया. वह दिहाड़ी मजदूरी करती है. तीन माह से मनरेगा में काम मांग रही है, पर अभी तक काम भी नहीं दिया गया है.

ग्रामीण अनीता बाई ने बताया कि गांव में 10-10 एकड़ जमीन वालों को मनरेगा में काम दिया जा रहा है, लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है, काम मांगते समय ये कहकर भगा दिया जाता है कि जहां जाना हो वहां जाओ. काम आएगा तब मिलेगा. अब न तो रहने के लिए छत मिल रही है और न ही शौचालय मिल रहा है.

खरगोन। मनरेगा योजना के तहत जिले भर में होने वाले कार्यों के लिए करोड़ों रुपये की राशि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई है, मगर अधिकांश जगहों पर भ्रष्टाचार हो रहा है. यहां भी सरपंच-सचिव के भ्रष्टाचार के चलते मजदूरों के हक पर डाका डाला जा रहा है. जिम्मेदार योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं. ताजा मामला टांडा और अंदड ग्राम पंचायत का है, जहां ग्रामीणों ने सरपंच-सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.

ग्रामीण कमला बाई का कहना है कि वह विधवा है, जो कुटीर के लिए सरपंच-सचिव के पास गई थी, मगर 20 हजार रुपए की मांग की गई. कुटीर तो नहीं मिला, लेकिन हमारे नाम से दर्ज कुटीर को किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया गया. वह दिहाड़ी मजदूरी करती है. तीन माह से मनरेगा में काम मांग रही है, पर अभी तक काम भी नहीं दिया गया है.

ग्रामीण अनीता बाई ने बताया कि गांव में 10-10 एकड़ जमीन वालों को मनरेगा में काम दिया जा रहा है, लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है, काम मांगते समय ये कहकर भगा दिया जाता है कि जहां जाना हो वहां जाओ. काम आएगा तब मिलेगा. अब न तो रहने के लिए छत मिल रही है और न ही शौचालय मिल रहा है.

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