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कपास किसानों के साथ हो रहा छलावा, निम्न क्वालिटी बताकर सस्ते में खरीदी जा रही फसल

खरगोन में कपास किसान इस समय खुद को काफी ठगा महसूस कर रहे हैं. सीसीआई और व्यापारियों की मिलीभगत से उनके कपास को निम्न क्वालिटी का बताकर उसे सस्ते भाव में खरीदा जा रहा है.

Sparring happening with cotton farmers
कपास किसानों के साथ हो रहा छलावा
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Published : May 28, 2020, 7:24 PM IST

खरगोन। मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ तो किसानों की हितैषी होने का दम भरती है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के अन्नदाता आज व्यापारियों के हाथों ठगे जा रहे हैं. इसी तरह का एक मामला खरगोन जिले में पेश आया है, जहां पर किसानों के साथ खरीदी करने में भेदभाव किया जा रहा है. सीसीआई और व्यापारी किसानों के कपास को निम्न क्वालिटी का बताकर उसे नहीं खरीद रहे हैं या उन्हें कम भाव में बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

कपास किसानों के साथ हो रहा छलावा

किसानों का आरोप है कि, सीसीआई और व्यापारियों की सांठगांठ से उनके कपास का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है. उसे कम भाव में खरीदा जा रहा है. पहले लॉकडाउन के चलते अपनी अन्य फसलों की बर्बादी देख चुका किसान कपास के कम भाव मिलने से हलकान नजर आ रहा है. सीसीआई और व्यापारियों की मिली भगत से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान गणेश ने बताया कि, पहले कपास की गाड़ी को चीरा लगवा कर भाव तय किए गए. परन्तु आधी गाड़ी खाली करने के बाद रिजेक्ट कर दिया गया. मेरा कपास 18 क्विंटल था. परन्तु उसमें से तीन क्विंटल खाली करने के बाद कपास को रिजेक्ट कर दिया है. जिले के किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

तीन हजार से अधिक किसानों से हो चुकी खरीदी: सीसीआई

सीसीआई ने इस बारे में बताते हुए कहा कि, खरीदी के दौरान लगभग सैकड़ों की संख्या में किसान आए, जिसमें सीसीआई द्वारा शासन के नियमानुसार बोली लगाई गई. अब तक तीन हजार से अधिक किसानों से खरीदी की जा चुकी है. सारी खरीदी मंडी सचिव के निर्देशन और कोरोना के लिए बनी गाइडलाईन के अनुसार की जा रही है.

खरगोन। मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ तो किसानों की हितैषी होने का दम भरती है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के अन्नदाता आज व्यापारियों के हाथों ठगे जा रहे हैं. इसी तरह का एक मामला खरगोन जिले में पेश आया है, जहां पर किसानों के साथ खरीदी करने में भेदभाव किया जा रहा है. सीसीआई और व्यापारी किसानों के कपास को निम्न क्वालिटी का बताकर उसे नहीं खरीद रहे हैं या उन्हें कम भाव में बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

कपास किसानों के साथ हो रहा छलावा

किसानों का आरोप है कि, सीसीआई और व्यापारियों की सांठगांठ से उनके कपास का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है. उसे कम भाव में खरीदा जा रहा है. पहले लॉकडाउन के चलते अपनी अन्य फसलों की बर्बादी देख चुका किसान कपास के कम भाव मिलने से हलकान नजर आ रहा है. सीसीआई और व्यापारियों की मिली भगत से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान गणेश ने बताया कि, पहले कपास की गाड़ी को चीरा लगवा कर भाव तय किए गए. परन्तु आधी गाड़ी खाली करने के बाद रिजेक्ट कर दिया गया. मेरा कपास 18 क्विंटल था. परन्तु उसमें से तीन क्विंटल खाली करने के बाद कपास को रिजेक्ट कर दिया है. जिले के किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

तीन हजार से अधिक किसानों से हो चुकी खरीदी: सीसीआई

सीसीआई ने इस बारे में बताते हुए कहा कि, खरीदी के दौरान लगभग सैकड़ों की संख्या में किसान आए, जिसमें सीसीआई द्वारा शासन के नियमानुसार बोली लगाई गई. अब तक तीन हजार से अधिक किसानों से खरीदी की जा चुकी है. सारी खरीदी मंडी सचिव के निर्देशन और कोरोना के लिए बनी गाइडलाईन के अनुसार की जा रही है.

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