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सात साल की मासूम निभा रही मां का फर्ज, अपनी कुपोषित बहन का करवा रही इलाज

खरगोन में खेलने की उम्र में एक बच्ची अपनी छोटी कुपोषित बहन की मां बनकर देखभाल रही है. वहीं प्रशासन की तरफ से उनकी कोई मदद नहीं की गई.

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सात साल की संध्या निभा रही मां का फर्ज
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Published : Dec 31, 2019, 9:41 AM IST

खरगोन। आदिवासी अंचल भगवानपुरा के खापर में एक सात साल की बहन ने अपनी दो साल की कुपोषित बहन की देखभाल का जिम्मा उठा रखा है. बड़ी बहन छोटी बहन की मां बनकर देखभाल कर रही है.खरगोन के आदिवासी अंचल भगवानपुरा के खापर जामली में एक सात साल की बेटी संध्या जिसके खुद के खेलने की उम्र है, लेकिन वो अपनी कुपोषित बहन की मां बनकर जिला अस्पताल में देखभाल कर रही है, सात साल के संध्या ने बताया की उसके पिता पागल हैं और मां उन्हें छोड़कर चली गई है. इसलिए वह खुद अपनी बहन की देखभाल कर रही है.

सात साल की मासूम निभा रही मां का फर्ज


वहीं नन्हीं दुनिया की प्रभारी डॉ विनती सराफ ने बताया कि ग्यारह दिन पहले खापर जामली की कार्यकर्ता बच्ची को लेकर आए हैं. उसके साथ उसकी बड़ी बहन के अलावा कोई नहीं है, जो उसकी देखभाल कर रही है. हॉस्पिटल स्टॉफ और बाकी मरीज बच्चियों की मदद कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद उन्हें नहीं मिल रही है.

खरगोन। आदिवासी अंचल भगवानपुरा के खापर में एक सात साल की बहन ने अपनी दो साल की कुपोषित बहन की देखभाल का जिम्मा उठा रखा है. बड़ी बहन छोटी बहन की मां बनकर देखभाल कर रही है.खरगोन के आदिवासी अंचल भगवानपुरा के खापर जामली में एक सात साल की बेटी संध्या जिसके खुद के खेलने की उम्र है, लेकिन वो अपनी कुपोषित बहन की मां बनकर जिला अस्पताल में देखभाल कर रही है, सात साल के संध्या ने बताया की उसके पिता पागल हैं और मां उन्हें छोड़कर चली गई है. इसलिए वह खुद अपनी बहन की देखभाल कर रही है.

सात साल की मासूम निभा रही मां का फर्ज


वहीं नन्हीं दुनिया की प्रभारी डॉ विनती सराफ ने बताया कि ग्यारह दिन पहले खापर जामली की कार्यकर्ता बच्ची को लेकर आए हैं. उसके साथ उसकी बड़ी बहन के अलावा कोई नहीं है, जो उसकी देखभाल कर रही है. हॉस्पिटल स्टॉफ और बाकी मरीज बच्चियों की मदद कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद उन्हें नहीं मिल रही है.

Intro:खेलने की उम्र में अगर मां बनकर किसी पलना पड़े। तो उसे देख कर हर किसी का दिल पसीज जाएगा। परंतु खरगोन जिला चिकित्सालय में एक ऐसा मामला देखने में आया । जहां सात साल की संध्या मां बनकर अपनी बहन की देखभाल कर रही है। जिससे सरकारों का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बेमानी साबित हो रहा है।


Body:खरगोन जिले के आदिवासी अंचल भगवानपुरा के खापर जामली कि एक सात साल की बेटी संध्या जो आज खुद की खेलने की उम्र होने के बावजूद अपनी 2 साल की बहन की मां बनकर जिला चिकित्सालय में देखभाल कर रही है। सात साल के संध्या ने आदिवासी भाषा मे बताया कि पिता पागल है और मां छोड़कर चली गई है। इसलिए बहन की देखभाल कर रही है।
बाइट- संध्या
वही नन्ही दुनिया की प्रभारी डॉ विनती सराफ ने बताया कि इस वार्ड में खापर जामली की एक दो साल की बच्ची आई है। जो कुपोषण का शिकार है। ग्यारह दिन पहले खापर जामली की कार्यकर्ता लेकर आई है। उसके साथ कोई नही है। उसके साथ एक सात साल की उसकी बहन है। जो उसकी देखभाल कर रही है। उसकी मां इन्हें छोड़ कर चली गई है और पिता विक्षिप्त है। हमारा स्टाफ और अन्य मरीज के परिजन देखभाल कर रहे।
1-2-1
वाइस ओवर वही करने का कष्ट करें स्पेशल खबर है।


Conclusion:
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