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कोरोना इफेक्ट: मेडिकल छात्र कर रहे खेती-बाड़ी, इंजीनियर बुन रहे साड़ी

लॉकडाउन के बाद से ही कई कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद पड़े है. ऐसे में विभिन्न क्षेत्र के छात्र-छात्राओं वापस अपने घर लौट चुके है. इन तीन महीनों में छात्रों द्वारा खेती बाड़ी सहित साड़ी बुनने का काम सीखा जा रहा है.

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Published : Jul 16, 2020, 5:57 PM IST

students are learning different work during corona
कोरोना के दौरान छात्र सीख रहे अलग-अलग काम

खरगोन। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन से जिंदगी की रफ्तार थम सी गई है. महेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र प्रदेश के विभिन्न शहरों में पढ़ाई कर रहे हैं, जो 22 मार्च से जारी लॉकडाउन के बाद से अपने गांव में ही हैं. कोरोना संक्रमण के चलते कॉलेज सहित कोचिंग बंद हो गए हैं. इसकी वजह से इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में अध्ययन कर रहे मेडिकल, इंजीनियरिंग, सीए, कृषि और एमबीए जैसे विभिन्न विषयों के छात्र घरों में रहकर अपने परिवार के कामों में हाथ बटा रहे है.

कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद

छात्रों का कहना है कि 22 मार्च से जारी लॉकडाउन के बाद से ही कॉलेज और कोचिंग संस्थाएं बंद है. शहर में संक्रमण का खतरा भी अधिक है, इसलिए अपने गांव में ही रहकर पढ़ाई के साथ-साथ प्रतिदिन घर के कार्यों में हाथ बटा रहे हैं. इससे परिवार के साथ रहने और घर के कामों को निपटाने का मौका मिला है.

खेती बाड़ी कर रहे एमबीबीएस छात्र

भोपाल में मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे छात्र वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से ही वह अपने घर वापस आ गए है. कोरोना संक्रमण के चलते परीक्षाएं स्थगित हो गई थी, तभी से प्रतिदिन खेती बाड़ी के काम में जुटे हैं. कॉलेज ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के बाद रोजाना खेत पर जाकर फसलों में पानी देना और कीटनाशक डालने जैसे कार्य करते हैं. खेत में जाने से घर वालों को भी सहारा मिल रहा है.

साड़ी बुन रहे इंजीनियरिंग के छात्र

फाइनल ईयर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे जुगल सालुंके अपने घर में हथकरघा से साड़ी बुनकर परिवार की मदद कर रहे हैं. जुगल का कहना है कि फाइनल ईयर की परीक्षा के साथ कंपनी प्लेसमेंट भी होना था, लेकिन कोरोना के चलते अभी सब कुछ स्थगित हो गया है. इसलिए तीन माह से घर में रहकर हथकरघा से साड़ियां बुनना सीखकर परिवार की मदद की जा रही है.

घर के कामों में हाथ बंटा रहीं बीएएमएस छात्रा

पंडित खुशीलाल शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज से बीएएमएस कर रहीं छात्रा जान्हवी रावत ने बताया, वे लॉकडाउन के बाद से घर पर ही हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ रोज घर के काम जैसे, खाना बनाना और साफ-सफाई में परिवार वालों का हाथ बंटा रही हैं. वहीं घर पर ही परिवार के संग समय बिताने का मौका भी मिल रहा है.

किराना दुकान चला रहे समर्थ

इंदौर में रहकर कंपनी सेक्रेटरी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र समर्थ जैन अपनी किराना दुकान चलाने में परिवार की मदद कर रहे हैं. लॉकडाउन में कोचिंग संस्थान बंद होने से समर्थ घर पर रहकर ही ऑनलाइन तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान उन्हें किराना दुकान संभालने का अवसर मिल रहा है.

कृषि के लिए ग्रामीणों को जागरूक कर रहे छात्र रौशन

रवीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहे छात्र रौशन पाटीदार कृषि कार्यों के साथ-साथ ग्रामीणों को कोरोना को लेकर जागरूक कर रहे हैं. रौशन का कहना है कि गांव में कोरोना को लेकर उतनी जागरुकता नहीं है, इसलिए उनसे बातचीत कर इसके लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों को उनके अधिकारों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे मिलने वाली शासकीय सुविधा का लाभ ले सकें. इससे अपने गांव में रहकर क्षेत्र के विकास में भागीदार बन सकते हैं.

गार्डनिंग, आर्ट एंड क्राफ्ट में हाथ आजमा रहीं एमबीए छात्रा शिवानी

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (डीएवीवी) से एमबीए की पढ़ाई कर रहीं छात्रा शिवानी पंडित ऑनलाइन पढ़ाई के साथ अपने घर में गार्डनिंग में हाथ आजमा रही हैं. घर में ही छोटे-छोटे पौधे रोपकर उनकी देखभाल कर रही हैं. इसके अलावा आर्ट एंड क्राफ्ट सीखकर नए-नए एक्सरेयरीमेंट्स कर रही हैं.

खेती कर रहे वेटेनरी के छात्र योगेश

भोपाल के शासकीय वेटेनरी कॉलेज से वेटेनरी कर रहे फाइनल ईयर के छात्र योगेश वर्मा खेती में हाथ आजमा रहे हैं. योगेश बताते हैं कि वे घर पर खेती के कार्यों में हाथ बटा रहे हैं. प्रतिदिन खेत में जाकर संबंधित कार्य करते हैं. इससे घर वालों को भी मदद मिल जाती है. पिछले तीन महीनों में अब तक हलाई, बुवाई, निंदाई जैसे कार्य सीख चुके है.

खरगोन। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन से जिंदगी की रफ्तार थम सी गई है. महेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र प्रदेश के विभिन्न शहरों में पढ़ाई कर रहे हैं, जो 22 मार्च से जारी लॉकडाउन के बाद से अपने गांव में ही हैं. कोरोना संक्रमण के चलते कॉलेज सहित कोचिंग बंद हो गए हैं. इसकी वजह से इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में अध्ययन कर रहे मेडिकल, इंजीनियरिंग, सीए, कृषि और एमबीए जैसे विभिन्न विषयों के छात्र घरों में रहकर अपने परिवार के कामों में हाथ बटा रहे है.

कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद

छात्रों का कहना है कि 22 मार्च से जारी लॉकडाउन के बाद से ही कॉलेज और कोचिंग संस्थाएं बंद है. शहर में संक्रमण का खतरा भी अधिक है, इसलिए अपने गांव में ही रहकर पढ़ाई के साथ-साथ प्रतिदिन घर के कार्यों में हाथ बटा रहे हैं. इससे परिवार के साथ रहने और घर के कामों को निपटाने का मौका मिला है.

खेती बाड़ी कर रहे एमबीबीएस छात्र

भोपाल में मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे छात्र वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से ही वह अपने घर वापस आ गए है. कोरोना संक्रमण के चलते परीक्षाएं स्थगित हो गई थी, तभी से प्रतिदिन खेती बाड़ी के काम में जुटे हैं. कॉलेज ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के बाद रोजाना खेत पर जाकर फसलों में पानी देना और कीटनाशक डालने जैसे कार्य करते हैं. खेत में जाने से घर वालों को भी सहारा मिल रहा है.

साड़ी बुन रहे इंजीनियरिंग के छात्र

फाइनल ईयर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे जुगल सालुंके अपने घर में हथकरघा से साड़ी बुनकर परिवार की मदद कर रहे हैं. जुगल का कहना है कि फाइनल ईयर की परीक्षा के साथ कंपनी प्लेसमेंट भी होना था, लेकिन कोरोना के चलते अभी सब कुछ स्थगित हो गया है. इसलिए तीन माह से घर में रहकर हथकरघा से साड़ियां बुनना सीखकर परिवार की मदद की जा रही है.

घर के कामों में हाथ बंटा रहीं बीएएमएस छात्रा

पंडित खुशीलाल शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज से बीएएमएस कर रहीं छात्रा जान्हवी रावत ने बताया, वे लॉकडाउन के बाद से घर पर ही हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ रोज घर के काम जैसे, खाना बनाना और साफ-सफाई में परिवार वालों का हाथ बंटा रही हैं. वहीं घर पर ही परिवार के संग समय बिताने का मौका भी मिल रहा है.

किराना दुकान चला रहे समर्थ

इंदौर में रहकर कंपनी सेक्रेटरी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र समर्थ जैन अपनी किराना दुकान चलाने में परिवार की मदद कर रहे हैं. लॉकडाउन में कोचिंग संस्थान बंद होने से समर्थ घर पर रहकर ही ऑनलाइन तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान उन्हें किराना दुकान संभालने का अवसर मिल रहा है.

कृषि के लिए ग्रामीणों को जागरूक कर रहे छात्र रौशन

रवीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहे छात्र रौशन पाटीदार कृषि कार्यों के साथ-साथ ग्रामीणों को कोरोना को लेकर जागरूक कर रहे हैं. रौशन का कहना है कि गांव में कोरोना को लेकर उतनी जागरुकता नहीं है, इसलिए उनसे बातचीत कर इसके लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों को उनके अधिकारों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे मिलने वाली शासकीय सुविधा का लाभ ले सकें. इससे अपने गांव में रहकर क्षेत्र के विकास में भागीदार बन सकते हैं.

गार्डनिंग, आर्ट एंड क्राफ्ट में हाथ आजमा रहीं एमबीए छात्रा शिवानी

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (डीएवीवी) से एमबीए की पढ़ाई कर रहीं छात्रा शिवानी पंडित ऑनलाइन पढ़ाई के साथ अपने घर में गार्डनिंग में हाथ आजमा रही हैं. घर में ही छोटे-छोटे पौधे रोपकर उनकी देखभाल कर रही हैं. इसके अलावा आर्ट एंड क्राफ्ट सीखकर नए-नए एक्सरेयरीमेंट्स कर रही हैं.

खेती कर रहे वेटेनरी के छात्र योगेश

भोपाल के शासकीय वेटेनरी कॉलेज से वेटेनरी कर रहे फाइनल ईयर के छात्र योगेश वर्मा खेती में हाथ आजमा रहे हैं. योगेश बताते हैं कि वे घर पर खेती के कार्यों में हाथ बटा रहे हैं. प्रतिदिन खेत में जाकर संबंधित कार्य करते हैं. इससे घर वालों को भी मदद मिल जाती है. पिछले तीन महीनों में अब तक हलाई, बुवाई, निंदाई जैसे कार्य सीख चुके है.

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