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खरगोन: गांव की बेटियों ने संझा माता बनाकर निभाई परंपरा, गाए निमाड़ी लोक गीत - rock painting

खरगोन जिले में ‘संझा’ पर्व मनाया जा रहा है, इस दौरान छोटी बालिकाएं गोबर और फूल पत्तियों से घर की बाहरी दीवार पर संझा माता की भित्त आकृति बनाकर निमाड़ी लोक गीत गाते हुए परंपरा को निभा रही हैं.

Sanjha festival celebrated in khargone
छोटी बच्चियों ने संझा माता बनाकर निभाई परंपरा
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Published : Sep 9, 2020, 7:27 PM IST

Updated : Sep 9, 2020, 7:40 PM IST

खरगोन। मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में हर साल ‘संझा’ पर्व मनाया जाता है. खरगोन जिले के बड़वाह सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अनंत चतुर्दशी के अगले दिन से बच्चियों द्वारा प्रतिदिन गोबर व फूल पत्तियों से संझा माता बनाकर निमाड़ी लोक गीतों को गाकर पर्व मनाने की चली आ रही परंपरा को कोरोना काल में भी बालिकाओं द्वारा संझा माता बनाकर निभाई जा रही है.

संझा पर्व 15 दिन तक मनाया जाता है. रोज शाम को बेटियां एकत्रित होकर घर-घर जाकर घरों की दीवार पर गोबर से संझा बनाती हैं. भित्ति कलाकृति फूलों और रंगीन कागजों से सजा कर भगवान शंकर व माता पार्वती के रूप में पूजा कर निमाड़ी गीत गाती हैं. यह क्रम 16 दिनों तक चलता है.

Sanjha festival celebrated in khargone
छोटी बच्चियों ने संझा माता बनाकर निभाई परंपरा
नगर के कुछ मोहल्लों में छोटी बच्चियों ने संझा माता बनाकर अपनी संस्कृति व परंपरा को कायम रखा है. ग्रामीण क्षेत्र में भी सांझा माता पर्व बालिकाओं द्वारा खूब मनाया जा रहा है.

रोजना शाम को 'संझा माता जिम ले चुट ले मे जिमाउ सारी रात, संजा तू थारा घर जा के थारी मारेगी के कुटेगी, नानी सी गाडी लुढ़कती जाए लुढ़कती जाए औका म बठीजया संजा बाई, काजल टीकी ल्यो भाई जैसे प्रसिद्ध निमाड़ी लोक गीतों से मोहल्ले की गलियां गूंज रही हैं.

खरगोन। मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में हर साल ‘संझा’ पर्व मनाया जाता है. खरगोन जिले के बड़वाह सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अनंत चतुर्दशी के अगले दिन से बच्चियों द्वारा प्रतिदिन गोबर व फूल पत्तियों से संझा माता बनाकर निमाड़ी लोक गीतों को गाकर पर्व मनाने की चली आ रही परंपरा को कोरोना काल में भी बालिकाओं द्वारा संझा माता बनाकर निभाई जा रही है.

संझा पर्व 15 दिन तक मनाया जाता है. रोज शाम को बेटियां एकत्रित होकर घर-घर जाकर घरों की दीवार पर गोबर से संझा बनाती हैं. भित्ति कलाकृति फूलों और रंगीन कागजों से सजा कर भगवान शंकर व माता पार्वती के रूप में पूजा कर निमाड़ी गीत गाती हैं. यह क्रम 16 दिनों तक चलता है.

Sanjha festival celebrated in khargone
छोटी बच्चियों ने संझा माता बनाकर निभाई परंपरा
नगर के कुछ मोहल्लों में छोटी बच्चियों ने संझा माता बनाकर अपनी संस्कृति व परंपरा को कायम रखा है. ग्रामीण क्षेत्र में भी सांझा माता पर्व बालिकाओं द्वारा खूब मनाया जा रहा है.

रोजना शाम को 'संझा माता जिम ले चुट ले मे जिमाउ सारी रात, संजा तू थारा घर जा के थारी मारेगी के कुटेगी, नानी सी गाडी लुढ़कती जाए लुढ़कती जाए औका म बठीजया संजा बाई, काजल टीकी ल्यो भाई जैसे प्रसिद्ध निमाड़ी लोक गीतों से मोहल्ले की गलियां गूंज रही हैं.

Last Updated : Sep 9, 2020, 7:40 PM IST
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