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अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही खरगोन की जीवनदायिनी नदी कुंदा, जिम्मेदारों को नहीं कोई फिक्र

खरगोन की जीवनदायिनी नदी आज अपना अस्तित्व खो रही है. नदी में शहर के करीब 8 नाले मिल रहे हैं, जो उसे खत्म करने पर उतारू हैं. नदी की सफाई के लिए हर साल लाखों रुपये स्वीकृत होते हैं, लेकिन जमीनी स्तर तक कोई काम नहीं दिखता. पढ़िए पूरी खबर...

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खरगोन
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Published : May 8, 2020, 7:58 PM IST

खरगोन। खरगोन की जीवनदायिनी मानी जाने वाली कुंदा नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. नदी की तस्वीर जिम्मेदारों के मुंह पर तमाचे से कम नहीं है, क्योंकि हर साल लाखों रूपये खर्च होने के बाद भी नदी की सूरत नहीं बदली, उल्टा पर दिन प्रतिदिन वो प्रदूषित हो रही है. नदी में शहर के 7 नाले मिलते हैं, जो जीवनदायिनी नदी को बड़े नाले में तब्दील कर रहे हैं. एक वक्त कंचन रहने वाला पानी आज प्रदूषित हो चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि एक वक्त इस नदी का पानी पीते थे, लेकिन अब वो पानी जहर बन रहा है.

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही खरगोन की जीवनदायिनी नदी कुंदा

कहने को तो नदी की हर साल सफाई की जाती है. इसके लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और भ्रष्टाचारी का नतीजा ही है कि कुंदा नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. नदी में सीवरेज का गंदा पानी जा रहा है. नदी के ऊपर डैम बना दिया गया, जिससे पानी नदी में नहीं पहुंच रहा और नदी में बड़ी मात्रा में घास उग चुकी है. पानी रुक रहा है, जो बदबू भी फैलाता है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि कालिका मंदिर के पास एक स्टॉप डेम बनाया गया है, जिससे नालों का पानी यहीं रुककर बदबू फैलाता है. इसमें जल कुम्भी के अलावा बड़ी मात्रा में घास उग रही है, लोगों ने जिला प्रशासन से मांग है कि सीवरेज योजना की लाइन शीघ्र चालू की जाए. कहीं ऐसा न हो कि आने वाली पीढ़ी को हम नदी की जगह बड़ा नाला दिखाएं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि कुंदा नदी के किनारे कई मंदिर, मस्जिद और चर्च हैं. नदी में गंदा पानी मिलने से मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां नहीं हो पाती हैं. नगर पालिका द्वारा प्रतिवर्ष सफाई अभियान चलाया जाता है. परन्तु नदी की हालत देखकर लगता है कि सफाई अभियान कागजों पर ही खर्च हो जाता है.

खरगोन। खरगोन की जीवनदायिनी मानी जाने वाली कुंदा नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. नदी की तस्वीर जिम्मेदारों के मुंह पर तमाचे से कम नहीं है, क्योंकि हर साल लाखों रूपये खर्च होने के बाद भी नदी की सूरत नहीं बदली, उल्टा पर दिन प्रतिदिन वो प्रदूषित हो रही है. नदी में शहर के 7 नाले मिलते हैं, जो जीवनदायिनी नदी को बड़े नाले में तब्दील कर रहे हैं. एक वक्त कंचन रहने वाला पानी आज प्रदूषित हो चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि एक वक्त इस नदी का पानी पीते थे, लेकिन अब वो पानी जहर बन रहा है.

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही खरगोन की जीवनदायिनी नदी कुंदा

कहने को तो नदी की हर साल सफाई की जाती है. इसके लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और भ्रष्टाचारी का नतीजा ही है कि कुंदा नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. नदी में सीवरेज का गंदा पानी जा रहा है. नदी के ऊपर डैम बना दिया गया, जिससे पानी नदी में नहीं पहुंच रहा और नदी में बड़ी मात्रा में घास उग चुकी है. पानी रुक रहा है, जो बदबू भी फैलाता है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि कालिका मंदिर के पास एक स्टॉप डेम बनाया गया है, जिससे नालों का पानी यहीं रुककर बदबू फैलाता है. इसमें जल कुम्भी के अलावा बड़ी मात्रा में घास उग रही है, लोगों ने जिला प्रशासन से मांग है कि सीवरेज योजना की लाइन शीघ्र चालू की जाए. कहीं ऐसा न हो कि आने वाली पीढ़ी को हम नदी की जगह बड़ा नाला दिखाएं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि कुंदा नदी के किनारे कई मंदिर, मस्जिद और चर्च हैं. नदी में गंदा पानी मिलने से मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां नहीं हो पाती हैं. नगर पालिका द्वारा प्रतिवर्ष सफाई अभियान चलाया जाता है. परन्तु नदी की हालत देखकर लगता है कि सफाई अभियान कागजों पर ही खर्च हो जाता है.

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