खरगोन। मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल के खरगोन जिले में अब सांप्रदायिक हिंसा के कारण जहां कृषि के हालात हैं, वहां अब सांप्रदायिक हिंसा झेल चुके लोग पलायन को मजबूर हैं. स्थिति यह है कि यहां लोग हर बार होने वाली सांप्रदायिक हिंसा के डर से अपना घर बार और चूल्हा चौका छोड़कर जाने को तैयार हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना समेत एक-एक पैसा जोड़कर लोगों ने जो मकान बनाए थे, अब उन घरों में रहने पर भी लोगों के मन में फिर से दंगे और कर्फ्यू का डर समाया हुआ है. (khargone violence)
रामनवमी पर हुई हिंसाः रामनवमी के दिन खरगोन के विभिन्न अल्पसंख्यक बहुल इलाकों से सटे हिंदू बहुल इलाकों में अल्पसंख्यक दंगाइयों ने जमकर तोड़फोड़ और आगजनी को अंजाम दिया था. इस दौरान कई घर ऐसे थे जिन्हें पेट्रोल डालकर जला दिया गया है. सांप्रदायिक हिंसा की भगदड़ में स्थानीय लोगों का जो सामान छूट गया, उसको दंगाई उठाकर ले गए. घर का चूल्हा-चौका, गृहस्थी का सामान, कपड़े जो भी मिला सब में उपद्रवियों ने आग लगा दी. (violence on ramnavmi in khargone)
सिलेंडर से घर में किया ब्लास्टः उपद्रवियों ने एक घर में गैस सिलेंडर को चालू करके मकान में ब्लास्ट कर दिया. इस दौरान जो लोग यहां बच गए वह अब दंगे के खौफ से नहीं उतर पा रहे हैं. फिलहाल पूरे शहर में कर्फ्यू लगा है. लोगों को घरों में ही राहत देने की मुनादी की जा रही है. पूरे शहरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ रैपिड एक्शन फोर्स समेत अन्य सुरक्षा दल गश्त कर रहे हैं. वहीं राज्य सरकार के निर्देश पर रेंज के तमाम पुलिस अधिकारियों ने गस्ती करते हुए खरगोन में डेरा डाल रखा है. (cylinder blast in khargone)
इन इलाकों में तनावः इस बीच यहां संजय नगर इलाके में कई लोग अपने-अपने घर बार छोड़कर जा चुके हैं, जो बचे हैं वह भी अपने-अपने घर बेचकर यहां से जाना चाहते हैं. यही वजह है कि खरगोन में संजय नगर क्षेत्र स्थानीय लोगों ने अपने मकानों पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दिया है कि उनका यह मकान बिकाऊ है. कमोबेश यही स्थिति तालाब चौक, मोहन टॉकीज से सटा एरिया झंडा चौक, भटवाड़ी, खसखस बाड़ी और आनंद नगर में है. (Tension in khargone after stir)
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इन इलाकों में पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी. वहां से अब लोग अपने मकान बेच कर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट होना चाहते हैं. लोगों का मानना है कि बीते कुछ सालों में त्योहारों के दौरान बार-बार पैदा होने वाले तनाव और दंगों की वजह से लोग अब पलायन करने लगे हैं. इस बार की हिंसा और आगजनी में जिंदगी भर की कमाई गवा देने वाले लोगों का दर्द इस बार खुलकर सामने आ रहा है. लोगों का कहना है अब हमारे सब्र का बांध टूट चुका है. कब तक ऐसी हरकतों को सहन करते रहेंगे. क्या हम पूरी जिंदगी ऐसे ही कमाते और गंवाते रहेंगे? इससे तो बेहतर है कि हम जान बचाने की खातिर कहीं और चले जाएं.