खरगोन। शहर में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन पर बने एक घर को भी तोड़ दिया गया है.घर को कहीं और बनाया जाना था और इसका उपयोग आवासीय उद्देश्यों के अलावा अन्य के लिए किया जा रहा था. एक अधिकारी ने दावा किया है कि रिपोर्ट के बाद कि पीएमएवाई के तहत एक घर को हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई में ध्वस्त कर दिया गया था. (khargone violence)
रामनवमी को हुई थी हिंसाः मिली जानकारी के मुताबिक यह घर खसखासवाड़ी क्षेत्र में बिड़ला मार्ग पर स्थित हसीना फाखरू (60) का था. स्थानीय अधिकारियों ने रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव और अन्य प्रकार की हिंसा में शामिल लोगों की कथित रूप से 'अवैध' संपत्तियों के खिलाफ एक अभियान के दौरान इसे ध्वस्त कर दिया था. मुख्य नगर अधिकारी प्रियंका पटेल ने कहा कि घर कहीं और बनने वाला था. पीएमएवाई के तहत, घर आवासीय उद्देश्यों के लिए होते हैं, लेकिन जब नगर निगम की टीम अंदर गई, तो पाया कि इसका इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जा रहा था. वहां कोई भी नहीं रह रहा था. (pmay house demolished in khargone)
दूसरे स्थान पर मिली थी मकान को मंजूरीः मुख्य नगर अधिकारी ने कहा कि घर को सरकारी जमीन पर बनवाया गया, जबकि पीएमएवाई के तहत उन्हें दूसरे स्थान पर मकान की मंजूरी मिली थी. तहसील कोर्ट में अतिक्रमण का मामला चल रहा था. पटेल ने कहा कि तहसीलदार ने इसे हटाने के आदेश जारी किए थे. मकान मालिक फखरू ने बताया कि पीएमएवाई के लाभार्थी बनने से पहले उनका परिवार कच्चे घर में उसी जमीन पर रह रहा था. जब उनसे पूछा गया कि क्या जमीन उनकी है, तो उन्होंने कहा, नहीं. यह सरकारी जमीन है. हम इस पर बरसों से रह रहे हैं. (ramnavmi procession khargone)
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यह पूछे जाने पर कि क्या तहसीलदार द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ कोई नोटिस दिया गया था. उन्होंने कहा कि हां, केवल नोटिस दिया गया था. जब अधिकारियों ने पूछा कि हमने यह घर क्यों बनाया, तो हमने उन्हें बताया कि हमारी कोठी (घर) को पीएमएवाई के तहत स्वीकृत किया गया था. हमने इसे बनाया था. अधिकारियों के इस दावे के बारे में कि उनके पास कहीं और जमीन है. नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने की मांग करने वाला नोटिस मार्च में और फिर 7 अप्रैल को दिया गया था. इसे सोमवार को निष्पादित किया गया था. खरगोन शहर में बुधवार को तीसरे दिन भी कर्फ्यू जारी रहा.
एजेंसी- पीटीआई