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बूट पॉलिश करता था पति, महिला बन गई पर्यवेक्षक, पति-पत्नी के जज्बे को सलाम

खरगोन में रहने वाली हेमलता जो आज महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के रुप में कार्यरत है. उनेक इस मुकाम के पीछे उनेक पति संतोष बछाने का भी बहुत बड़ा हाथ है. संतोष ने बूट पॉलिश करके भी अपनी पत्नि को पढ़ाया और उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया.

हेमलता और संतोष
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Published : Mar 8, 2019, 10:25 PM IST

खरगोन। सड़क किनारे दुकान लगाकर शिद्दत से बूट पॉलिश कर रहे शख्स को देखकर क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि उसकी पत्नी अच्छी-खासी सरकारी नौकरी करती होगी. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि बूट पॉलिश करने वाले संतोष बछाने की पत्नी, हेमलता बछाने महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

बेहद गरीब परिवार में रहकर उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है वो काबिल-ए-गौर है. प्रेमलता बचपन से ही पढ़-लिखकर ऐसा मुकाम हासिल करना चाहती थीं, जो उन्हें और उनके परिवार को इज्जत दिला सके, लेकिन उनकी राह में आड़े आ रही थी, उन्हें विरासत में मिली गरीबी. ऐसे में उनके पति संतोष ने उनका साथ दिया. संतोष ने हेमलता की पढ़ाई पूरी कराने के लिए जी-तोड़ मेहनत की और उन्हें सरकारी नौकरी दिलाकर ही माने.

पैकेज

वहीं अपनी पत्नी की कामयाबी पर संतोष को भी गर्व है. वे कहते हैं कि मैं पत्नी के पर्यवेक्षक बनने से बेहद खुश हूं. मैंने जूते पॉलिश कर उसकी पढ़ने की इच्छा पूरी की, जिसका ईनाम मुझे पत्नी की नौकरी के रूप में मिला.

हेमलता और संतोष की कहानी बताती है कि अगर लगन हो तो मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियां भी आपका रास्ता नहीं रोक सकतीं. तमाम मुश्किलों के बावजूद जिन संघर्षों के बीच हेमलता ने ये मुकाम हासिल किया, वो उनके हौसले की मिसाल है.

खरगोन। सड़क किनारे दुकान लगाकर शिद्दत से बूट पॉलिश कर रहे शख्स को देखकर क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि उसकी पत्नी अच्छी-खासी सरकारी नौकरी करती होगी. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि बूट पॉलिश करने वाले संतोष बछाने की पत्नी, हेमलता बछाने महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

बेहद गरीब परिवार में रहकर उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है वो काबिल-ए-गौर है. प्रेमलता बचपन से ही पढ़-लिखकर ऐसा मुकाम हासिल करना चाहती थीं, जो उन्हें और उनके परिवार को इज्जत दिला सके, लेकिन उनकी राह में आड़े आ रही थी, उन्हें विरासत में मिली गरीबी. ऐसे में उनके पति संतोष ने उनका साथ दिया. संतोष ने हेमलता की पढ़ाई पूरी कराने के लिए जी-तोड़ मेहनत की और उन्हें सरकारी नौकरी दिलाकर ही माने.

पैकेज

वहीं अपनी पत्नी की कामयाबी पर संतोष को भी गर्व है. वे कहते हैं कि मैं पत्नी के पर्यवेक्षक बनने से बेहद खुश हूं. मैंने जूते पॉलिश कर उसकी पढ़ने की इच्छा पूरी की, जिसका ईनाम मुझे पत्नी की नौकरी के रूप में मिला.

हेमलता और संतोष की कहानी बताती है कि अगर लगन हो तो मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियां भी आपका रास्ता नहीं रोक सकतीं. तमाम मुश्किलों के बावजूद जिन संघर्षों के बीच हेमलता ने ये मुकाम हासिल किया, वो उनके हौसले की मिसाल है.

Intro:एंकर
पुरानी कहावत है हर सफल पुरुष के पीछे नारी का हाथ होता है। परन्तु आज हम आपको ठीक उल्टी कहावत कर बताने जा रहे है। जिसमे एक महिला की सफलता के पीछे उसके पति की प्रेरणा और पति के साथ से बनी अधिकारी ।


Body:खरगोन के अम्बेडकर भवन में चलने वाली निशुल्क चलने वाली कोचिंग में पढ़ने वाली छात्रा के रूप में पढ़ी छात्रा हेमलता बछाने जो आज महिला और बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त हुई है। हेमलता ने बताया कि सामान्यतः शादी के बाद महिलाओ को पढ़ने नही दिया जाता है। परन्तु मेरे पति ने मुझे प्रोत्साहित कर मुझे आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मेरे पति ने मुझे जूते चप्पल ओर बूट पोलिश कर खर्च उठाया और मैं उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरते हुए। आज महिला बाल विकास में पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्ति हुई।
बाइट- हेमलता बछाने पर्यवेक्षक
वही महिला पर्यवेक्षक के पति संतोष बछाने ने कहा कि मैं बूट पोलिश करता हूं और मैं खुश हूं कि मेरी पत्नी महिला बाल विकास में पर्यवेक्षक बनी है। मेने जूते पोलिश कर ओर मेरी पत्नी ने खेतो में मजदूरी कर उनकी पढ़ाई और घर खर्च चलाया।
बाइट- संतोष बछाने



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