खरगोन। देशभर में कपास उत्पादन के लिए निमाड़ का अहम योगदान है. यहां कि प्रमुख पैदावार ही कपास है. बता दें, साल भर निमाड़ में कपास का ही उत्पादन होता है, जिससे निमाड़ को सफेद सोने की खान भी कहा जाता है. गर्मी आते ही जिले में अब फिर कपास की बुवाई शुरू हो गई है.
खरगोन में जिन किसानों के पास पानी की पर्याप्त व्यवस्था है, उन सभी किसानों ने अपने खेतों को कपास की खेती के लिए तैयार कर लिया है. साथ ही कई किसानों ने तो अपने खेतों में कपास की बोवनी भी शुरू कर दी है. गोगावां के ग्राम बिटनेरा के किसान तपन मालाकार ने बताया कि 10 मई से लगभग सभी किसान कपास की बुवाई में जुट जाते हैं. बुवाई के कई दिनों पहले से ही खेत को तैयार करना पड़ता हैं, जिसकी तैयारी में सभी किसान इस समय जुटे हुए हैं.
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एक और किसान विनय ने बताया कि अगर समय से बुवाई शुरू हो जाती है, तो कपास का उत्पादन भी अच्छा होता हैं. साथ ही कपास के बाद की चने और गेंहू की फसल भी समय से बोई जाने पर अच्छा उत्पादन मिलता हैं.
दो बार होती है कपास की फसल
बता दें, निमाड़ में साल में दो बार कपास की फसल की जाती हैं. जिसमे एक बार गर्मी की फसल और दूसरी बारिश की फसल ली जाती है. हजारों हेक्टेयर में कपास की फसल बोई जाती है, जिसमें समय की मांग के साथ ऑर्गेनिक और इनॉर्गेनिक दोनों तरह के कपास बोए जाते है.