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800 साल पुराने इस मंदिर में होती है हर मनोकामना पूरी, देखें खबर - इस मंदिर में होती है हर मनोकामना पूरी

खरगोन के 800 साल पुराने सिद्धिविनायक गणेश मंदिर में मान्यता है कि यहां भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

सिद्धिविनायक गणेश मंदिर
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Published : Sep 2, 2019, 11:45 AM IST

खरगोन। जिले में कुंदा तट पर स्थित सिद्धिविनायक गणेश मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां हर तरह की मनोकामना पूरी होती है. 800 साल पुराने इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि नागा साधु मंदिर में स्थापित मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, लेकिन यहां से बहने वाली नदी में बाढ़ होने के कारण आगे नहीं जा सके और कुछ दिन विश्राम करने के बाद उन्होंने यहीं पर मूर्ति स्थापित कर दी.

सिद्धिविनायक गणेश मंदिर में होती है हर मनोकामना पूरी

मंदिर के इतिहास को लेकर यहां के पंडित मधुकर भट्ट ने बताया कि यह मंदिर 800 साल पुराना है. इस मंदिर की स्थापना नागा साधुओं द्वारा की गई थी. नागा साधु जब इस मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, तब इस स्थान पर बहने वाली नदी में बाढ़ थी और सामने किला था, जिसके कारण मूर्ति को आगे ले जाना संभव नहीं था. तब यहां नागा साधुओं ने विश्राम किया और उसके बाद यह मूर्ति आगे नहीं बढ़ी तो मूर्ति की स्थापना यहीं कर नागा साधुओं ने अपने प्राण यहीं त्याग दिए, जिसके अवशेष अभी भी हैं.

दर्शन के लिए आई श्रद्धालु रानी गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर बहुत पुराना है और यहां आने पर हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है. खरगोन शहर ही नहीं बाहर से भी लोग यहां आकर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं.

खरगोन। जिले में कुंदा तट पर स्थित सिद्धिविनायक गणेश मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां हर तरह की मनोकामना पूरी होती है. 800 साल पुराने इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि नागा साधु मंदिर में स्थापित मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, लेकिन यहां से बहने वाली नदी में बाढ़ होने के कारण आगे नहीं जा सके और कुछ दिन विश्राम करने के बाद उन्होंने यहीं पर मूर्ति स्थापित कर दी.

सिद्धिविनायक गणेश मंदिर में होती है हर मनोकामना पूरी

मंदिर के इतिहास को लेकर यहां के पंडित मधुकर भट्ट ने बताया कि यह मंदिर 800 साल पुराना है. इस मंदिर की स्थापना नागा साधुओं द्वारा की गई थी. नागा साधु जब इस मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, तब इस स्थान पर बहने वाली नदी में बाढ़ थी और सामने किला था, जिसके कारण मूर्ति को आगे ले जाना संभव नहीं था. तब यहां नागा साधुओं ने विश्राम किया और उसके बाद यह मूर्ति आगे नहीं बढ़ी तो मूर्ति की स्थापना यहीं कर नागा साधुओं ने अपने प्राण यहीं त्याग दिए, जिसके अवशेष अभी भी हैं.

दर्शन के लिए आई श्रद्धालु रानी गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर बहुत पुराना है और यहां आने पर हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है. खरगोन शहर ही नहीं बाहर से भी लोग यहां आकर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं.

Intro:खरगोन यूं तो खरगोन जिले में कहीं ऐतिहासिक मंदिर है परंतु कुंदा तट स्थित सिद्धिविनायक गणेश मंदिर का अपना एक इतिहास है इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि नागा साधु इस मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे तब यहां नाले में पानी होने के कारण आगे नहीं जा सके और कुछ दिन विश्राम के बाद यह मूर्ति स्थापित कर दी।


Body:खरगोन जिले के कुंदा तट स्थित सिद्धिविनायक गणेश मंदिर 800 वर्ष पुराना है। जितना पुराना मंदिर है। उतनी ही दिलचस्प इस मंदिर की कहानी कहा जाता है कि यहां पर हर तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। दर्शन के लिए आई रानी गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर बहुत पुराना है और यहां आने पर हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। खरगोन शहर ही नहीं खरगोन के बाहर से भी लोग आकर अपने मनोकामना पूर्ण करते हैं।
बाइट रानी गुप्ता
मंदिर के इतिहास को लेकर यहां के पंडित मधुकर भट्ट ने बताया कि यह मंदिर 800 साल पुराना है इस मंदिर की स्थापना नागा साधुओं द्वारा की गई थी नागा साधु जब इस मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे तब इस स्थान पर बहने वाले नाले में बाढ़ थी और सामने किला था जिसके कारण मूर्ति को आगे ले जाना संभव नहीं था तब यहां नागा साधु विश्राम किया उसके बाद यह मूर्ति आगे नहीं बढ़ी तो मूर्ति कि स्थापना यही कर नागा साधु है। अपने प्राण यही त्याग दिए जिसके अवशेष अभी भी हैं।
बाइट पण्डित मधुकर भट्ट पुजारी


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