खरगोन। जिले में कुंदा तट पर स्थित सिद्धिविनायक गणेश मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां हर तरह की मनोकामना पूरी होती है. 800 साल पुराने इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि नागा साधु मंदिर में स्थापित मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, लेकिन यहां से बहने वाली नदी में बाढ़ होने के कारण आगे नहीं जा सके और कुछ दिन विश्राम करने के बाद उन्होंने यहीं पर मूर्ति स्थापित कर दी.
मंदिर के इतिहास को लेकर यहां के पंडित मधुकर भट्ट ने बताया कि यह मंदिर 800 साल पुराना है. इस मंदिर की स्थापना नागा साधुओं द्वारा की गई थी. नागा साधु जब इस मूर्ति को लेकर उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, तब इस स्थान पर बहने वाली नदी में बाढ़ थी और सामने किला था, जिसके कारण मूर्ति को आगे ले जाना संभव नहीं था. तब यहां नागा साधुओं ने विश्राम किया और उसके बाद यह मूर्ति आगे नहीं बढ़ी तो मूर्ति की स्थापना यहीं कर नागा साधुओं ने अपने प्राण यहीं त्याग दिए, जिसके अवशेष अभी भी हैं.
दर्शन के लिए आई श्रद्धालु रानी गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर बहुत पुराना है और यहां आने पर हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है. खरगोन शहर ही नहीं बाहर से भी लोग यहां आकर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं.