खरगोन। प्रदेश सरकार और बस ऑपरेटरों के बीच टैक्स और परमिट को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बसें नहीं चलना राखी पर बहनों के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है. श्वेता चौधरी बताती हैं कि उनके भाई इंदौर में रहते हैं. आज राखी को लेकर बहनें अपने भाइयों के घर जाने के लिए उत्सुक रहती हैं. लेकिन इस साल बसें बंद होने से वे भाई के पास नहीं जा पाईं हैं. आज कि परिस्थिति में सभी का पहुंच पाना संभव नहीं है. जिनके पास प्राइवेट व्हीकल हैं, वे लोग तो चले जाएंगे, लेकिन ग्रामीण और गरीब लोगों के लिए यह परेशानी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि वे अपने भाई के घर नहीं जा पाईं हैं, जिसका उनको दुख है.
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन का त्योहार कहलाता है. आज कोरोना महामारी के दौरान हर बहन का कहना है कि उसका भाई स्वस्थ रहे और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है. वहीं बस ऑपरेटर रणजीत डंडीर ने बताया कि उनकी बसों के पहिए चार महीने से थमे हुए हैं. जब 22 मार्च को बसें बंद हुई थीं, तब डीजल के भाव 62 रुपए लीटर थे. आज डीजल 82 रुपए लीटर हो गया है. आज पांच माह से बसें खड़ी हुई हैं और सरकार बसों का टैक्स मांग रही है.
मजबूरी में कई बहनों को बाइक से सफर करना पड़ रहा है. इस दौरान सड़क दुर्घटना में युवाओं की जान भी जा रही है. यूपी में सरकार ने बसों का टैक्स फ्री कर दिया है. वहीं प्रदेश सरकार टैक्स के लिए अड़ी हुई है. बस ऑपरेटर का कहना है कि जब बसें चलीं ही नहीं तो वे टैक्स क्यों चुकाएं. फिलहाल बस मालिकों की हालत जस की तस बनी हुई है.