खरगोन। लॉकडाउन के इस दौर में भले ही दुनियाभर की नदियां साफ सुथरी हो रही हों, जलीय जीव अठखेलियां कर रहे हों. लेकिन खरगोन की जीवनदायिनी नदी कुंदा की हालत जस की तस बनी हुई है. नालों के जरिए सीवरेज का गंदा पानी इसमें मिल रहा है, जिसकी वजह से ये और दूषित हो गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिरों के सामने कुंदा में गंदा पानी मिलता है, जिससे धार्मिक कार्य भी अच्छे से नहीं हो पाते. नगर पालिका हर साल सफाई अभियान तो चलाती है लेकिन नदी की हालत देख कर लगता नहीं, कि अब तक कुछ किया भी गया है
सिर्फ कागजों पर सफाई का आंकड़ा
गणेश मंदिर के श्रद्धालु पंडित कैलाश कानूनगो ने बताया कि कुंदा नदी के किनारे कई मंदिर, मस्जिद और चर्च हैं. यहां पर कुंदा नदी में गणेश मंदिर, शिव मंदिर, कालिका मन्दिर के सामने तीन नालों के जरिए शहर का गन्दा पानी मिलता है, जिसके कारण यहां धार्मिक गतिविधियो भी नहीं हो पाती. नगर पालिका हर साल सफाई अभियान चलाया जाता है, लेकिन नदी की हालत देख कर लगता नहीं कुछ ऐसा होता होगा.
भ्रष्ट अधिकारियों की कमाई का जरिया
समाज सेवी राजेश भावसार ने आरोप लगाया की नगरपालिका के भ्रष्ट अधिकारियों की कमाई का जरिया बना है. बीते 8 वर्षों से नगरीय प्रशासन कुंदा नदी की सफाई के नाम पर हजारों खर्च कर लाखों के बिल लगा रहा है. वहीं नगरपालिका स्वास्थ्य अधिकारी प्रकाश चित्ते ने बताया कि नगर पालिका प्रतिवर्ष कुंदा नदी पर सफाई अभियान चलाया जाता है. अभी सीवरेज पाइप लाइन का कार्य चल रहा है, जब यह पाईप लाइन पूर्ण हों जाएगी तब कुंद नदी एक बूंद भी नही जाएगा.
कब तक कुंदा बहाएगी बदहाली के आंसू ?
खरगोन की जीवनदायनी कही जाने वाली कुंदा नदी करीब 20 साल से बदहाली के आंसू बहा रही है. दिनों-दिन इसमें प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन नगर पालिका प्रशासन और जनप्रतिनिधि सुध नहीं ले रहे. सफाई के तमाम दावों तो होते हैं लेकिन कुंदा की हालत जस की तस बनी हुई है. सफई के नाम पर किए गए काम महज कागजों तक ही सिमट गए हैं. और कुंदा यूं ही आंसू बहा रही है.