खंडवा। जिले के खालवा तहसील से 5 किलोमीटर दूर कोटा में स्थित विंदेश्वरी धाम जिसकी स्थापना 1978 में यहां आए अकेला नंद महाराज ने की थी. मान्यता है कि इस मंदिर में लगे पीपल के वृक्ष की उल्टी परिक्रमा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां स्थापित शिव मंदिर जिसे क्षेत्र का अकेला चौसठ योगनी मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के पास एक बाबड़ी भी जिसका पानी आज तक सूखा नहीं और इसकी गहराई का भी पता नहीं.
मंदिर के पुजारी संतोष चतुर्वेदी बताते है कि इस विंदेश्वरी धाम की महिमा देश- विदेश तक विख्यात है, यहां दूर-दूर से श्रद्धालु माता विंदेश्वरी के दर्शन के लिए आते हैं और सच्चे दिल से मांगी मन्नत यहां पूरी होती है. नवरात्रि में 9 दिन तक भंडारा चलता हैं.
बाबड़ी जो कभी सूखी नहीं
पुजारी संतोष चतुर्वेदी बताते है कि यहां पर स्थित प्राचीन बावड़ी है जिसकी गहराई आज तक नहीं नापी जा सकी. इसकी खुदाई किसने की और कब की, इसकी भी जानकारी आज तक नहीं मिल पाई है. गर्मी के समय जब पूरे गांव में पानी पीने को नहीं होता तब सभी लोग इसी बावड़ी से पानी पीते हैं.
उल्टी परिक्रमा से होती है मनोकामना पूरी
विंदेश्वरी धाम कोटा में एक प्राचीन पीपल वृक्ष है, मान्यता है कि इसकी उल्टी परिक्रमा करने मनोकामना पूर्ण होती है और मनोकामना पूर्ण हो जाने पर इसकी सीधी परिक्रमा की जाती है. श्रद्धालु का कहना है कि इस पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने के बाद लोग सुख शांति से जीवन व्यतीत करते हैं.
चौसठ योगिनी है शिव मंदिर
विंदेश्वरी धाम में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में एकमात्र एक ऐसा मंदिर है जो चौसठ योगिनी है. मंदिर के बगल से नदी भी हहती है, यहां कार्तिकेय तथा गणेश की भी प्राचीम कालीन मूर्ती स्थापित है.
18 पुराणों की है सिद्ध पीठ
यहां समय-समय पर यज्ञ, महायज्ञ तथा कथाएं होती रहती हैं. यहां एक सिद्ध व्यास पीठ भी है, जिसमें बैठ कर मणिशंकर महाराज ने 18 पुराणों की कथा की और उसके बाद परिसर में कई महायज्ञ किये गए. नवरात्र में यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है.