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इस मंदिर में पीपल के वृक्ष की उल्टी परिक्रमा करने से होती है मनोकामना पूरी, जानिए विंदेश्वरी धाम की महिमा - चौसठ योगिनी है शिव मंदिर

खंडवा जिले के खालवा तहसील से 5 किलोमीटर दूर कोटा में स्थित विंदेश्वरी धाम जिसकी स्थापना 1978 में यहां आए अकेला नंद महाराज ने की थी.

विंदेश्वरी धाम की महिमा
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Published : Oct 12, 2019, 1:20 PM IST

खंडवा। जिले के खालवा तहसील से 5 किलोमीटर दूर कोटा में स्थित विंदेश्वरी धाम जिसकी स्थापना 1978 में यहां आए अकेला नंद महाराज ने की थी. मान्यता है कि इस मंदिर में लगे पीपल के वृक्ष की उल्टी परिक्रमा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां स्थापित शिव मंदिर जिसे क्षेत्र का अकेला चौसठ योगनी मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के पास एक बाबड़ी भी जिसका पानी आज तक सूखा नहीं और इसकी गहराई का भी पता नहीं.

विंदेश्वरी धाम की महिमा

मंदिर के पुजारी संतोष चतुर्वेदी बताते है कि इस विंदेश्वरी धाम की महिमा देश- विदेश तक विख्यात है, यहां दूर-दूर से श्रद्धालु माता विंदेश्वरी के दर्शन के लिए आते हैं और सच्चे दिल से मांगी मन्नत यहां पूरी होती है. नवरात्रि में 9 दिन तक भंडारा चलता हैं.

बाबड़ी जो कभी सूखी नहीं
पुजारी संतोष चतुर्वेदी बताते है कि यहां पर स्थित प्राचीन बावड़ी है जिसकी गहराई आज तक नहीं नापी जा सकी. इसकी खुदाई किसने की और कब की, इसकी भी जानकारी आज तक नहीं मिल पाई है. गर्मी के समय जब पूरे गांव में पानी पीने को नहीं होता तब सभी लोग इसी बावड़ी से पानी पीते हैं.

उल्टी परिक्रमा से होती है मनोकामना पूरी
विंदेश्वरी धाम कोटा में एक प्राचीन पीपल वृक्ष है, मान्यता है कि इसकी उल्टी परिक्रमा करने मनोकामना पूर्ण होती है और मनोकामना पूर्ण हो जाने पर इसकी सीधी परिक्रमा की जाती है. श्रद्धालु का कहना है कि इस पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने के बाद लोग सुख शांति से जीवन व्यतीत करते हैं.

चौसठ योगिनी है शिव मंदिर
विंदेश्वरी धाम में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में एकमात्र एक ऐसा मंदिर है जो चौसठ योगिनी है. मंदिर के बगल से नदी भी हहती है, यहां कार्तिकेय तथा गणेश की भी प्राचीम कालीन मूर्ती स्थापित है.

18 पुराणों की है सिद्ध पीठ
यहां समय-समय पर यज्ञ, महायज्ञ तथा कथाएं होती रहती हैं. यहां एक सिद्ध व्यास पीठ भी है, जिसमें बैठ कर मणिशंकर महाराज ने 18 पुराणों की कथा की और उसके बाद परिसर में कई महायज्ञ किये गए. नवरात्र में यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

खंडवा। जिले के खालवा तहसील से 5 किलोमीटर दूर कोटा में स्थित विंदेश्वरी धाम जिसकी स्थापना 1978 में यहां आए अकेला नंद महाराज ने की थी. मान्यता है कि इस मंदिर में लगे पीपल के वृक्ष की उल्टी परिक्रमा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां स्थापित शिव मंदिर जिसे क्षेत्र का अकेला चौसठ योगनी मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के पास एक बाबड़ी भी जिसका पानी आज तक सूखा नहीं और इसकी गहराई का भी पता नहीं.

विंदेश्वरी धाम की महिमा

मंदिर के पुजारी संतोष चतुर्वेदी बताते है कि इस विंदेश्वरी धाम की महिमा देश- विदेश तक विख्यात है, यहां दूर-दूर से श्रद्धालु माता विंदेश्वरी के दर्शन के लिए आते हैं और सच्चे दिल से मांगी मन्नत यहां पूरी होती है. नवरात्रि में 9 दिन तक भंडारा चलता हैं.

बाबड़ी जो कभी सूखी नहीं
पुजारी संतोष चतुर्वेदी बताते है कि यहां पर स्थित प्राचीन बावड़ी है जिसकी गहराई आज तक नहीं नापी जा सकी. इसकी खुदाई किसने की और कब की, इसकी भी जानकारी आज तक नहीं मिल पाई है. गर्मी के समय जब पूरे गांव में पानी पीने को नहीं होता तब सभी लोग इसी बावड़ी से पानी पीते हैं.

उल्टी परिक्रमा से होती है मनोकामना पूरी
विंदेश्वरी धाम कोटा में एक प्राचीन पीपल वृक्ष है, मान्यता है कि इसकी उल्टी परिक्रमा करने मनोकामना पूर्ण होती है और मनोकामना पूर्ण हो जाने पर इसकी सीधी परिक्रमा की जाती है. श्रद्धालु का कहना है कि इस पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने के बाद लोग सुख शांति से जीवन व्यतीत करते हैं.

चौसठ योगिनी है शिव मंदिर
विंदेश्वरी धाम में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में एकमात्र एक ऐसा मंदिर है जो चौसठ योगिनी है. मंदिर के बगल से नदी भी हहती है, यहां कार्तिकेय तथा गणेश की भी प्राचीम कालीन मूर्ती स्थापित है.

18 पुराणों की है सिद्ध पीठ
यहां समय-समय पर यज्ञ, महायज्ञ तथा कथाएं होती रहती हैं. यहां एक सिद्ध व्यास पीठ भी है, जिसमें बैठ कर मणिशंकर महाराज ने 18 पुराणों की कथा की और उसके बाद परिसर में कई महायज्ञ किये गए. नवरात्र में यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

Intro:विंदेश्वरी धाम कोटा की प्रमुख महानता है कि यहां प्राचीन पीपल वृक्ष है जिसमें मानव अपनी मानव के द्वारा उल्टी परिक्रमा करते हैं जिससे अपनी मनोकामना पूर्ण होती है यह मंदिर खंडवा जिले के खालवा तहसील से 5 किलोमीटर दूर कोटा में स्थित है यहां पुजारी चतुर्वेदी का कहना है कि यह मंदिर प्राचीन कालीन पुरातत्व में से बना हुआ है यहां पर स्थित प्राचीन बावड़ी है जिसकी गहराई आज तक नहीं नापी गई तथा खुदाई किसने की और बनी कब की है इसका आज तक जानकारी नहीं मिल पाई है यह पुरातत्व विभाग या पुरातत्व कालीन की है यहां एक प्राचीन मंदिर भी है शिव मंदिर जिसमें एक चौसठ योगिनी जो केवल एक इसी मंदिर में बाकी अन्य कहीं स्थान पर नहीं है यह सिद्ध पीठ है यहां चतुर्वेदी द्वारा और ग्राम की ग्राम के लोगों की सहयोग राशि से विंदेश्वरी धाम की स्थापना की गई यहां 18 पुराण तथा कई यज्ञ हवन कराए गए यहां प्रसिद्ध मणि शंकर महाराज द्वारा पूजा अर्चना की जाती थी यहां पर एक व्यासपीठ बनाई गई है यह मान्यता है कि सारी भगवत गीता पुराण महापुराण इसी व्यासपीठ से की जाती है बताया जाता है कि 78 में यहां अकेला महाराज आए थे उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी तथा यहां पर विराजित रहें उन्होंने कई समय यहां पर बिना गुजारा उसके पश्चात आंख का एक यहां से गायब होना मतलब अपने आप में एक अद्भुत नजारा था बताया जाता है कि है जो बावड़ी है इसका पानी कभी खत्म नहीं होता है गर्मी के समय जब पूरे गांव में पानी पीने को नहीं होता तब सभी लोग इसी बावड़ी से पानी पीते हैंBody:विंदेश्वरी धाम कोटा में प्राचीन पीपल वृक्ष की मान्यता है कि यहां मानव अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु इस पीपल के वृक्ष की उल्टी परिक्रमा करते हैं और माना जाता है कि वह अपने मनोकामना पूर्ण हो जाती है और जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है इसके पश्चात व्यक्ति यहां पर दोबारा आते हैं हवन पूजा पाठ कर उस पीपल के वृक्ष की सीधी परिक्रमा करते हैं पुजारी चतुर्वेदी जी का कहना है कि जहां जो भी व्यक्ति आता है सच्चे दिल से जो अपनी मन्नत मांगता है वह उसकी मन्नतें पूरी होती है तथा गांव भी खुशहाल व धनी बना हुआ है यहां नवरात्र में 9 दिन भंडारे चलते हैं तथा आसपास के 4 गांव के लोगों का भंडारा जमाया जाता हैConclusion: प्राचीन शिव मंदिर में एकमात्र एक ऐसा मंदिर है जहां चौसठ योगिनी जो प्राचीन है जिस जो केवल इसी मंदिर में स्थित है अन्य कहीं जगह नहीं शिव मंदिर में प्राचीन नदी तथा कार्तिकेय तथा भगवान गणेश की मूर्ति प्राचीन कालीन है यहां एक प्राचीन पीपल का वृक्ष है जिस पर जिस की उल्टी परिक्रमा करने से हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है तथा साथ ही यहां श्री मां विंधेश्वरी धाम की स्थापना भी की गई थी अकेला नंद महाराज के द्वारा यहां मणिशंकर महाराज द्वारा 18 पुराण वह कहीं यज्ञ महायज्ञ तथा कथाएं की गई इन्हीं के आधार पर यहां एक व्यासपीठ बनाई गई है जो कि सिद्ध है और साथ ही नवरात्र में यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है और लोग दर्शन आरती दूर-दूर से देश विदेश से यहां आते हैं बताया जाता है कि नवरात्र में आसपास के 4 गांव के लोगों को भंडारा जमाया जाता है हिंदी सॉरी धाम ग्राम कोटा तहसील खालवा जिला खंडवा से मैं।
संतोष कुमार निहारे ईटीवी। भारत विधानसभा क्षेत्र हरसूद
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