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'नर्मदा बचाओ' के लिए फिर जल सत्याग्रह पर लौटे ग्रामीण, पुनर्वास और अनुदान की कर रहे हैं मांग

ओमकारेश्वर बांध का जलस्तर बगैर पुनर्वास के बढ़ाने से उसके आसपास रह रहे लोग नाराज हैं. इसके चलते नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ ग्रामीणों ने अनिश्चितकाल के लिए जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है.

ग्रामीणों का जल सत्या ग्रह
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Published : Oct 26, 2019, 8:22 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 10:29 PM IST

खंडवा। 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' एक बार फिर जल सत्याग्रह की राह पर आ गया है. प्रर्दशन कर रहे ये लोग ओंकारेश्वर बांध के जलस्तर पर बगैर पुनर्वास के बढ़ाने से नाराज हैं. इसके चलते नर्मदा बचाओ आंदोलन में ग्रामीणों ने अनिश्चित काल के लिए जल सत्याग्रह शुरू कर दिया हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि लोगों का पुनर्वास एवं अनुदान अभी तक उन्हें नहीं मिला हैं.

'नर्मदा बचाओ' के लिए एक फिर जल सत्याग्रह पर लौटे ग्रामीण

खंडवा के ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में स्थानीय लोगों का आज से जल सत्याग्रह शुरू हो गया है. मांधाता तहसील के कामनखेड़ा गांव के ग्रामीणों और आसपास के डूब प्रभावित लोग इस सत्याग्रह को समर्थन दे रहे हैं. लोगों के खेत जमीन और मकान पूरी तरह नर्मदा के बैंक वाटर में डूब चुके हैं. यहां डूब प्रभावितों की समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई हैं. इन दिनों जहां सारा देश रोशनी का पर्व दीपावली मना रहा हैं. वहीं ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में डूब प्रभावितों ने जल सत्याग्रह शूरू कर दिया हैं.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल के नेतृत्व में कामनखेड़ा गांव में जल सत्याग्रह शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में एक और जहां सभी लोग दीपावली की खुशियां मना रहे हैं. वहीं ओंकारेश्वर बांध के प्रभावित परिवार, शासन से विसंगति पूर्ण और मानवीय नीतियों की वजह से काली दीपावली मनाने को मजबूर हैं.
तीसरा जल सत्याग्रह

ओंकारेश्वर बांध का जलभराव बिना पुर्नवास के बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन का यह तीसरा जल सत्याग्रह आंदोलन का आगाज हो गया है. इससे पहले भी दो बार 17 दिन और 32 दिन का जल सत्याग्रह आंदोलन किया जा चुका है और यह तीसरा आंदोलन है.

मांधाता एसडीएम ममता खेड़े ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार एनएचडीसी को जो भुगतान करना है वो प्रक्रिया जारी है. किसानों के दस्तावेज और मानवीय दृष्टिकोण संबंधी दिक्कतों का समाधान निकाला जा रहा है. परिवहन के लिए नाव और वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा किसानों से बात कर मामले में समाधान की कोशिश जारी हैं.

खंडवा। 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' एक बार फिर जल सत्याग्रह की राह पर आ गया है. प्रर्दशन कर रहे ये लोग ओंकारेश्वर बांध के जलस्तर पर बगैर पुनर्वास के बढ़ाने से नाराज हैं. इसके चलते नर्मदा बचाओ आंदोलन में ग्रामीणों ने अनिश्चित काल के लिए जल सत्याग्रह शुरू कर दिया हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि लोगों का पुनर्वास एवं अनुदान अभी तक उन्हें नहीं मिला हैं.

'नर्मदा बचाओ' के लिए एक फिर जल सत्याग्रह पर लौटे ग्रामीण

खंडवा के ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में स्थानीय लोगों का आज से जल सत्याग्रह शुरू हो गया है. मांधाता तहसील के कामनखेड़ा गांव के ग्रामीणों और आसपास के डूब प्रभावित लोग इस सत्याग्रह को समर्थन दे रहे हैं. लोगों के खेत जमीन और मकान पूरी तरह नर्मदा के बैंक वाटर में डूब चुके हैं. यहां डूब प्रभावितों की समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई हैं. इन दिनों जहां सारा देश रोशनी का पर्व दीपावली मना रहा हैं. वहीं ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में डूब प्रभावितों ने जल सत्याग्रह शूरू कर दिया हैं.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल के नेतृत्व में कामनखेड़ा गांव में जल सत्याग्रह शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में एक और जहां सभी लोग दीपावली की खुशियां मना रहे हैं. वहीं ओंकारेश्वर बांध के प्रभावित परिवार, शासन से विसंगति पूर्ण और मानवीय नीतियों की वजह से काली दीपावली मनाने को मजबूर हैं.
तीसरा जल सत्याग्रह

ओंकारेश्वर बांध का जलभराव बिना पुर्नवास के बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन का यह तीसरा जल सत्याग्रह आंदोलन का आगाज हो गया है. इससे पहले भी दो बार 17 दिन और 32 दिन का जल सत्याग्रह आंदोलन किया जा चुका है और यह तीसरा आंदोलन है.

मांधाता एसडीएम ममता खेड़े ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार एनएचडीसी को जो भुगतान करना है वो प्रक्रिया जारी है. किसानों के दस्तावेज और मानवीय दृष्टिकोण संबंधी दिक्कतों का समाधान निकाला जा रहा है. परिवहन के लिए नाव और वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा किसानों से बात कर मामले में समाधान की कोशिश जारी हैं.

Intro:खंडवा - नर्मदा बचाओ आंदोलन एक बार फिर जल सत्याग्रह की राह पर आ गए हैं. ये लोग ओम्कारेश्वर बांध का जलस्तर बगैर पुनर्वास के बढ़ाने से नाराज हैं. इसके चलते नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ ग्रामीणों ने अनिश्चित जल सत्याग्रह शुरू कर दिया हैं. दरअसल ओम्कारेश्वर बांध का जलभराव 193 से 196 मीटर तक किया जा रहा हैं. संगठन ने मांग की हैं कि लोगों का पुनर्वास एवं अनुदान अभी तक नहीं मिला हैं.


Body:खंडवा जिले के ओम्कारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में आज से जल सत्याग्रह शुरू हो गया हैं. मांधाता तहसील के कामनखेड़ा गाँव के लोग और आसपास के डूब प्रभावित लोग इस सत्याग्रह को समर्थन दे रहे हैं. इन लोगों के खेत जमीन और मकान पूरी तरह नर्मदा के बैक वाटर में डूब चुके हैं. यहां डूब प्रभावितों की समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई हैं. इन दिनों जहां सारा देश रौशनी का पर्व दीपावली मना रहा हैं. वहीं ओम्कारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में डूब प्रभावितों ने जल सत्याग्रह शूरू कर दिया हैं.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल के नेतृत्व में कामनखेड़ा गांव में जल सत्याग्रह शूरू हो गया हैं. आलोक अग्रवाल ने कहा मध्यप्रदेश में एक और जहां सभी लोग दीपावली की खुशियां मना रहे हैं. वहीं ओम्कारेश्वर बांध के प्रभावित परिवार शासन से की विसंगति पूर्ण और मानवीय नीतियों की वजह से काली दीपावली मनाने को मजबूर हैं.
byte - आलोक अग्रवाल , नर्मदा बचाओ आंदोलन

आंदोलित डूब प्रभावितों का कहना हैं कि समुचित पुर्नवास और अधिकार मिलने तक यह आंदोलन जारी रहेगा चाहे इसके लिए हमारी जान ही क्यों न चली जाए.
byte - शकु बाई , प्रभावित
byte - गिरिजा बाई, प्रभावित

ओम्कारेश्वर बांध का जलभराव बिना पुर्नवास के बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन का यह तीसरा जल सत्याग्रह आंदोलन हैं. इससे पहले भी दो बार 17 दिन और 32 दिन का जल सत्याग्रह आंदोलन किया जा चुका हैं. और यह तीसरा आंदोलन हैं पहले आंदोलनों के समय प्रदेश में भाजपा सरकार थी तो कांग्रेस ने प्रभावित का साथ दिया था लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बाद हालात जस के तस बने हुए हैं.

मांधाता एसडीएम ममता खेड़े ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार एनएचडीसी को जो भुगतान करना है वो प्रक्रिया में हैं. किसानों की दस्तावेज और मानवीय दृष्टिकोण संबंधी दिक्कतों का हल किया जा रहा हैं. परिवहन के साधन नाव और वाहन उपलब्ध करा रखे हैं. किसानों से बात कर समाधान की कोशिश जारी हैं.
byte - ममता खेड़े एसडीएम मांधाता

ये लोग कर रहे जल सत्याग्रह
जल सत्याग्रह में नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल के साथ डूब प्रभावित आनंद राम, लोकेश पूरी, प्रेम गिरी, मोहन भारती, लक्ष्मण, दयाराम, और पुंजन शामिल हैं.




Conclusion:गौरतलब हैं कि ओम्कारेश्वर बांध का जलभराव 193 से बढ़ाकर 196 मीटर तक किया जा रहा हैं. संगठन ने मांग की हैं कि लोगों का पुर्नवास एवं अनुदान अभी भी नही मिला है और ऐसी विकट स्थिति में कई गाँव के लोग आज भी रह रहे हैं.
Last Updated : Oct 26, 2019, 10:29 PM IST
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