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बंद हो सकता है बिजली का प्रोडक्शन, संकट में सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट, सिर्फ 3 दिन का ही कोयला शेष

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Published : Oct 11, 2021, 3:28 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 12:27 PM IST

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कोयले का संकट (Shortage Of Coal) बढ़ता जा रहा है. खंडवा (Khandwa) के संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट (Sant Singaji Thermal Power Plant) के पास सिर्फ 3 दिन का कोयला ही बचा है. सिंगाजी परियोजना में प्रतिदिन 36000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ 22000 मीट्रिक टन कोयला ही मिल पा रहा है.

सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट
सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट

खंडवा(Khandwa)। संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट (Sant Singaji Thermal Power Plant) कोयले के संकट से जूझ रहा है. एक तरफ बिजली उत्पादन (Electricity Production) का प्रेशर है, तो वहीं दूसरी तरफ कोयले का संकट (Shortage Of Coal) आ खड़ा हुआ है. प्लांट के पास केवल 3 दिन का ही कोयला शेष रह गया है. सिंगाजी परियोजना में प्रतिदिन 36000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है, जबकि केवल 22000 मीट्रिक टन कोयला ही मिल पा रहा है. रोजाना 14000 मीट्रिक टन कोयला कम मिल रहा है. इसकी पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में बिजली उत्पादन ठप हो सकता है. यही स्थिति रही तो 3 दिन बाद बिजली उत्पादन ही ठप हो जाएगा.

  • मध्य प्रदेश में बिजली की जितनी मांग है उतनी आपूर्ति हो रही है। निश्चित रूप से कोयले का स्टॉक कम है, हमने 8 लाख मीट्रिक टन कोयले की ढुलाई के लिए टेंडर कर दिया है। हमें भरोसा है कि कोयला मिलता रहेगा: प्रद्युम्न सिंह तोमर, मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री pic.twitter.com/LqqFENPA1U

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) October 11, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सिंगाजी पावर प्लांट में सिर्फ तीन दिन का स्टॉक

सिंगाजी पावर प्लांट में स्टॉक में मात्र 75 हजार मीट्रिक टन कोयला है, जबकि रोजाना की खपत 22 हजार मीट्रिक टन की है. प्रतिदिन यहां कोयला आ तो रहा है, लेकिन प्लांट की आवश्यकता को देखते हुए वह करीब 14000 मीट्रिक टन कम है. प्लांट को प्रतिदिन 36000 मीट्रिक टन कोयला आ सकता है, लेकिन प्लांट को 22 हजार मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है. प्रतिदिन कोयला कम मिलने से प्लांट की स्थिति खराब होती जा रही है. माना जा रहा है कि अगर इसी तरह की स्थिति रही तो प्लांट में बिजली उत्पादन कभी भी बंद हो सकता है.

अधिकारी यहां तक कह रहे हैं कि अगर कोयला आना बंद हो जाता है, तो उनके पास केवल 3 दिन का ही स्टॉक बचा है. इसके बाद वह उत्पादन नहीं कर पाएंगे. जिससे बिजली बनना पूरी तरह ठप हो जाएगी.

संकट में संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट

एक यूनिट पहले से बंद

प्रदेश में 10000 मेगावाट बिजली उत्पादन की डिमांड है. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में रबी की फसल होनी है, ऐसे में बिजली की डिमांड कम होने की बजाए बढ़ जाएगी. फिलहाल कोयले की कमी के चलते एक यूनिट से बिजली उत्पादन नहीं हो रहा है. केवल तीन यूनिट ही चलाई जा रही है. अगर बिजली बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिलता है तो उत्पादन पूरी तरह ठप हो जाएगा.

DAP के शॉर्टेज से जूझ रहा भिंड! सारा काम छोड़ दिन-रात खाद वितरण केंद्रों पर डटे किसान, लगाया जाम

लोकसभा चुनाव में कोयला बना मुद्दा

कांग्रेस ने लोकसभा उपचुनाव में कोयला को अपना मुद्दा बना लिया है. कांग्रेसी नेता अब इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर भुनाने में लगे हुए हैं. वहीं मांग के अनुरूप कम कोयला मिलने से बिजली संकट बनता हुआ दिख रहा है.

खंडवा(Khandwa)। संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट (Sant Singaji Thermal Power Plant) कोयले के संकट से जूझ रहा है. एक तरफ बिजली उत्पादन (Electricity Production) का प्रेशर है, तो वहीं दूसरी तरफ कोयले का संकट (Shortage Of Coal) आ खड़ा हुआ है. प्लांट के पास केवल 3 दिन का ही कोयला शेष रह गया है. सिंगाजी परियोजना में प्रतिदिन 36000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है, जबकि केवल 22000 मीट्रिक टन कोयला ही मिल पा रहा है. रोजाना 14000 मीट्रिक टन कोयला कम मिल रहा है. इसकी पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में बिजली उत्पादन ठप हो सकता है. यही स्थिति रही तो 3 दिन बाद बिजली उत्पादन ही ठप हो जाएगा.

  • मध्य प्रदेश में बिजली की जितनी मांग है उतनी आपूर्ति हो रही है। निश्चित रूप से कोयले का स्टॉक कम है, हमने 8 लाख मीट्रिक टन कोयले की ढुलाई के लिए टेंडर कर दिया है। हमें भरोसा है कि कोयला मिलता रहेगा: प्रद्युम्न सिंह तोमर, मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री pic.twitter.com/LqqFENPA1U

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) October 11, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सिंगाजी पावर प्लांट में सिर्फ तीन दिन का स्टॉक

सिंगाजी पावर प्लांट में स्टॉक में मात्र 75 हजार मीट्रिक टन कोयला है, जबकि रोजाना की खपत 22 हजार मीट्रिक टन की है. प्रतिदिन यहां कोयला आ तो रहा है, लेकिन प्लांट की आवश्यकता को देखते हुए वह करीब 14000 मीट्रिक टन कम है. प्लांट को प्रतिदिन 36000 मीट्रिक टन कोयला आ सकता है, लेकिन प्लांट को 22 हजार मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है. प्रतिदिन कोयला कम मिलने से प्लांट की स्थिति खराब होती जा रही है. माना जा रहा है कि अगर इसी तरह की स्थिति रही तो प्लांट में बिजली उत्पादन कभी भी बंद हो सकता है.

अधिकारी यहां तक कह रहे हैं कि अगर कोयला आना बंद हो जाता है, तो उनके पास केवल 3 दिन का ही स्टॉक बचा है. इसके बाद वह उत्पादन नहीं कर पाएंगे. जिससे बिजली बनना पूरी तरह ठप हो जाएगी.

संकट में संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट

एक यूनिट पहले से बंद

प्रदेश में 10000 मेगावाट बिजली उत्पादन की डिमांड है. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में रबी की फसल होनी है, ऐसे में बिजली की डिमांड कम होने की बजाए बढ़ जाएगी. फिलहाल कोयले की कमी के चलते एक यूनिट से बिजली उत्पादन नहीं हो रहा है. केवल तीन यूनिट ही चलाई जा रही है. अगर बिजली बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिलता है तो उत्पादन पूरी तरह ठप हो जाएगा.

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लोकसभा चुनाव में कोयला बना मुद्दा

कांग्रेस ने लोकसभा उपचुनाव में कोयला को अपना मुद्दा बना लिया है. कांग्रेसी नेता अब इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर भुनाने में लगे हुए हैं. वहीं मांग के अनुरूप कम कोयला मिलने से बिजली संकट बनता हुआ दिख रहा है.

Last Updated : Oct 12, 2021, 12:27 PM IST
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