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नर्मदा जयंती महोत्सव: ओंकारेश्वर मंदिर में धूमधाम से मनाई गई नर्मदा जयंती

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Published : Feb 1, 2020, 4:34 PM IST

Updated : Feb 1, 2020, 6:05 PM IST

मध्यप्रदेश में सभी प्रमुख स्थलों पर बड़े ही धूमधाम से नर्मदा जयंती का उत्सव मनाया जा रहा है. इसी क्रम में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी बड़ी संख्या में भक्तजनों ने जयंती मनाई.

Narmada Jayanti Festival
नर्मदा जयंती महोत्सव

खंडवा। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर नर्मदा जयंती महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. नर्मदा के सभी घाटों पर सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. माना जाता है कि, माघ महीने की सप्तमी को मां नर्मदा धरती पर आतीं थीं, तभी से ही भक्तजन पवित्र नर्मदा नदी में स्नान करके भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हैं. यह भी माना जाता है कि, नर्मदा स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है.

नर्मदा जयंती महोत्सव

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पर 251 लीटर दूध से मां नर्मदा का अभिषेक किया गया. हेलीकॉप्टर से मां नर्मदा पर फूलों की बारिश की गई. भक्तों ने मां नर्मदा को चुनरी चढ़ाई. घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा की आरती की. नर्मदा के दोनों घाटों पर स्थित पर्वत श्रृंखलाओं पर दीपदान किया जाएगा.

मान्यता है कि, जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब उन्होंने विषपाल अपने कंठ में रोक लिया था. इसी कंठ से पसीने की बूंद निकली और नर्मदा के रूप में पृथ्वी पर लगातार बही. मां नर्मदा को नम्रता भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार नर्मदा ही एकमात्र ऐसी नदी है, जिसे हमेशा जीवित रहने का आशीर्वाद मिला है.

खंडवा। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर नर्मदा जयंती महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. नर्मदा के सभी घाटों पर सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. माना जाता है कि, माघ महीने की सप्तमी को मां नर्मदा धरती पर आतीं थीं, तभी से ही भक्तजन पवित्र नर्मदा नदी में स्नान करके भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हैं. यह भी माना जाता है कि, नर्मदा स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है.

नर्मदा जयंती महोत्सव

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पर 251 लीटर दूध से मां नर्मदा का अभिषेक किया गया. हेलीकॉप्टर से मां नर्मदा पर फूलों की बारिश की गई. भक्तों ने मां नर्मदा को चुनरी चढ़ाई. घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा की आरती की. नर्मदा के दोनों घाटों पर स्थित पर्वत श्रृंखलाओं पर दीपदान किया जाएगा.

मान्यता है कि, जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब उन्होंने विषपाल अपने कंठ में रोक लिया था. इसी कंठ से पसीने की बूंद निकली और नर्मदा के रूप में पृथ्वी पर लगातार बही. मां नर्मदा को नम्रता भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार नर्मदा ही एकमात्र ऐसी नदी है, जिसे हमेशा जीवित रहने का आशीर्वाद मिला है.

Intro:खंडवा। खंडवा के ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थल पर आज नर्मदा जयंती महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. नर्मदा के सभी घाटों पर आज सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। माना जाता है कि माघ महीने की सप्तमी को ही मां नर्मदा का अवतरण हुआ था तभी से मां नर्मदा को पवित्र नदी मानते हुए इसमें स्नान करके भगवान भोले का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां नर्मदा को भगवान शिव के पसीने से निकली हुई नदी माना जाता है और शास्त्रों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि मां नर्मदा के दर्शन मात्र से ही तमाम पापों से मुक्ति मिलती है।

Body:ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थल पर आज 251 लीटर दूध से मां नर्मदा का अभिषेक हुआ और हेलीकॉप्टर से मां नर्मदा पर पुष्प वर्षा की गई। भक्तों ने मां नर्मदा को चुनरी ओढ़ाई. सभी घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा की आरती की। मुख्य आरती शाम को होगी जब नर्मदा के दोनों घाटों पर स्थित पर्वत श्रृंखलाओं पर दीपदान किया जाएगा।

Conclusion:माना जाता है कि जब भगवान शिव ने विषपान किया था तब तमाम हलाहल भोले ने अपने कंठ में रोक लिया था। इसी कंठ से पसीने की बूंद निकली और वही नर्मदा के रूप में पृथ्वी पर अविरल बही। मां नर्मदा को नम्रता भी कहा जाता है इसका मतलब है कि कभी मरने वाली। शास्त्रों के अनुसार नर्मदा ही एकमात्र ऐसी नदी है जिसे हमेशा जीवित रहने अर्थात बहती रहने का आशीर्वाद मिला है। पूरे मध्यप्रदेश में सभी प्रमुख स्थानों पर आज बड़ी धूमधाम से इसी तरह नर्मदा जयंती उत्सव मनाया जाता है।
Byte - पंडित सियाराम महाराज
Last Updated : Feb 1, 2020, 6:05 PM IST
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