खंडवा/ बुरहानपुर/ उज्जैन। खंडवा को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद 1995 में पहली बार महापौर चुनाव हुआ था. पहले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अणिमा उबेजा ने चुनाव जीता था, लेकिन इसके बाद भाजपा महापौर चुनाव में दबदबा रहा. इसके बाद चार बार से भाजपा का ही महापौर बनता आ रहा है. परिषद और महापौर पद पर भाजपा का ही कब्जा रहा है. इस बार भाजपा ने महापौर पद के लिए अमृता अमर यादव को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने आशा अमित मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों के ही भविष्य का फैसला बुधवार को मतदान पेटियों में कैद होगा. अमृता यादव अमर यादव तीन बार पार्षद रहने के साथ ही नगर निगम के अध्यक्ष भी हैं. इनके ससुर दिवंगत हुकुमचंद यादव चार बार के विधायक रहे. इधर आशा मिश्रा होटल व्यवसायी हैं. ससुर कांग्रेस नेता विरेंद्र मिश्रा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं.
खंडवा नगर निगम एक नजर में :
- 50 पार्षद पद के लिए होगा मतदान.
- 158 प्रत्याशी पार्षद पद के लिए मैदान में.
- 49 पार्षद प्रत्याशी भाजपा से.
- 50 प्रत्याशी पार्षद कांग्रेस से.
- 13 पार्षद प्रत्याशी आम आदमी से.
- 11 पार्षद प्रत्याशी एआइएमआइएम से
- 02 पार्षद प्रत्याशी शिवसेना से
- 33 निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी
- 66.44 फीसद हुआ था पिछले चुनाव में मतदान
- 195 मतदान केंद्रों पर होगा चुनाव
- 48 मतदान केंद्र हैं संवेदनशील श्रेणी में
- 175644 मतदाता हैं शहर में
- 87574 पुरुष मतदाता
- 88039 महिला मतदाता
अब तक की स्थिति :
- 1995 - कांग्रेस - अनिमा उबेजा
- 2000 - भाजपा - ताराचंद अग्रवाल
- 2005 - भाजपा - वीरसिंह हिंडौन
- 2010 - भाजपा - भावना शाह
- 2015 - भाजपा - सुभाष कोठारी
- 2020 - प्रशासक काल
उज्जैन में कांग्रेस किसी मामले में बीजेपी से कम नहीं :उज्जैन को हमेशा बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन पिछली विधानसभभा चुनाव में इस जिले में कांग्रेस ने बीजेपी को दिन में तारे दिखा दिए थे. इस बार उज्जैन महापौर के लिए बीजेपी व कांग्रेस में कड़ी टक्कर है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज को एक सप्ताह के अंदर यहां छह सभाएं करनी पड़ीं. सीएम शिवराज ने यहां रोड शो भी किए. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादत्य सिंधिया भी उज्जैन में सभाएं करने के साथ ही रोड शो कर चुके हैं. महापौर पद के लिए पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस से महेश परमार, भाजपा के मुकेश टटवाल, बसपा से प्रकाशचंद्र नरवरिया, आम आदमी पार्टी से संतोष वर्मा और बाबूलाल चौहान निर्दलीय हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. उज्जैन नगर निगम के चुनाव मैदान में 54 वार्ड पार्षद पद के लिए 178 प्रत्याशी हैं. इसके लिए मतदान 6 जुलाई को होगा और मतगणना एवं चुनाव परिणाम की घोषणा 17 जुलाई को की जाएगी. पार्षद पद के लिए 53 प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
उज्जैन में बेरवा समाज का रहता है बोलबाला : उज्जैन में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने महापौर पद के लिए अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी मुकेश टटवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. टटवाल बेरवा समाज से आते हैं. वहीं पूर्व महापौर की बात की जाए तो यहां से मदनलाल ललावत, रामेश्वर अखंड, सोनी मेहर और मीना जोनवाल लगातार चार महापौर बेरवा समाज से ही जीतकर आए हैं. इनमें सोनी मेहर कांग्रेस से महापौर चुनी गई थीं, जबकि अन्य प्रत्याशी बीजेपी के चुनाव चिह्न पर जीतकर आए थे. उज्जैन में लगातार बेरवा समाज के प्रत्याशियों का कई महापौर शामिल हैं.
विधायक के बाद महापौर पद पर महेश परमार की नजर : कांग्रेस प्रत्याशी विधायक महेश परमार ने बीजेपी प्रत्याशी का नाम घोषित होने से पहले ही जनसंपर्क शुरू कर दिया था. महेश परमार विधायक के पहले भी जिला पंचायत अध्यक्ष सहित कई पदों पर रह चुके हैं. उनका लंबा राजनीतिक सफर है. उन्हें राजनीति का ज्ञान होने के साथ-साथ युवाओं में गहरी पकड़ है. हालांकि उज्जैन में कांग्रेस कई धड़ों में बंटी हुई है. महापौर पद के लिए कई प्रत्याशी मैदान में थे. एक जनप्रतिनिधि को 2 पदों पर लड़ाने की विरोध की आवाज भी अंदरूनी तौर पर उठती रही है. शहर में पहली बार महापौर पद के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की ओर से बलाई समाज को टिकट मिला है.
बुरहानपुर में ऐसी है इस बार तस्वीर : बुरहानपुर नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा लंबे समय से है. यहां फिर बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है. लेकिन इस बार ओवैसी की पार्टी ने यहां दम लगाया है. यहां से कांग्रेस से शहनाज अंसारी और बीजेपी से माधुरी पटेल मैदान में हैं. बुरहानपुर नगर निगम में 15 सालों से बीजेपी का कब्जा है. बुरहानपुर नगर निगम में 2005 से 2020 तक बीजेपी के महापौर रहे. यहां नगरीय क्षेत्र में वोटर्स की संख्या 1.77 लाख है. 89 हजार महिला, 88 हजार पुरूष, 914 अन्य है. जातिगत बात करें तो यहां 28 हजार बनिया कास्ट के मतदाता, 30 हजार तेली, गुजराती, 6 हजार सिंधी,35 हजार अंसारी मुस्लिम, 50 हजार मुस्लिम, 14 हजार हरिजन समाज, 30-35 हजार कुनबी, माली समाज के मतदाता हैं.
बीजेपी ने चित-परिचित चेहरे पर जताया भरोसा : बीजेपी ने महापौर की कुर्सी के लिए माधुरी पटेल पर भरोसा जताया है. वे पहले भी 2009 से 2014 तक नगर निगम की महापौर रह चुकीं हैं. वे शहर की राजनीति में बखूबी रची-बसी हैं. साथ ही उनके परिवार का अच्छा रसूख है. बीए पास माधुरी जिला बीजेपी में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं. पार्टी संगठन में भी अच्छा संपर्क और पकड़ है. उनके पति अतुल पटेल भी पूर्व में 2004 से 2009 तक शहर के प्रथम नागरिक के रूप में महापौर की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. हालांकि कुछ चिंताएं भी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी बुरहानपुर सीट हार गई थी. यहां से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा जीते थे. वे मूलतः कांग्रेस पार्टी के है. शहर की विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा होने से चुनाव में उनकी राह आसान नहीं होगी.
बुरहानपुर नगरीय निकाय चुनाव :
- कुल मतदान केंद्र - 207
- महिला - 89379
- पुरुष - 88273
- अन्य - 14
- कुल वार्ड:- 48
- महापौर प्रत्याशी : 7
(Ujjain, Khandwa and Burhanpur Election) (Direct contest between BJP and Congress)