खंडवा। गुरुवार को ईडी की टीम ग्राम छालपी पहुंची. यहां हेमकुंट फाउंडेशन के कार्यालय पर अधिकारियों ने दबिश दी. अचानक ईडी की रेड की से गांव में हड़कंप मच गया. पहली बार गांव में इस तरह की कार्रवाई देखने को मिली. अधिकारी गुरुवार रात करीब 10 बजे तक कार्रवाई में लगे रहे. इस पूरी कार्रवाई को लेकर ईडी ने अपने ट्विटर हैंडल से करवाई को लेकर जानकारी साझा की है. बता दें कि हेमकुंट फाउंडेशन ने छालपी खुर्द में भारत का सबसे बड़ा गैर लाभकारी कौशल विकास केंद्र खोलने का दावा किया है. बताया जाता है 1 हजार बच्चों की क्षमता वाला स्किल डेवलपमेंट रिसोर्स सेंटर बनाया गया है.
इससे गुरुग्राम में 43 करोड़ की जमीन कुर्क : फाउंडेशन की 5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को धनशोधन रोधी कानून के तहत कुर्क किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय के बयान में कहा गया है कि कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अंतिम रूप से कुर्क की गई संपत्तियों में खंडवा जिले में स्थित कृषि भूमि और भवन शामिल हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि इनकी कीमत 5.37 करोड़ रुपये है. इससे पहले एजेंसी ने गुरुग्राम में 43 करोड़ रुपये की जमीन और फाउंडेशन की 17.32 करोड़ रुपये की सावधि जमा (एफडी) कुर्क की थी.
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कोविड काल के दौरान किया घपला : एजेंसी ने कहा, "हेमकुंड फाउंडेशन ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पीड़ित लोगों को राहत देने के बहाने बड़े कॉर्पोरेट्स और आम जनता से 77.10 करोड़ रुपये का भारी दान एकत्र किया. हेमकुंड फाउंडेशन ने इस प्रकार एकत्र किए गए अधिकांश धन को फाउंडेशन की संपत्ति जैसे कि एफडी और गुरुग्राम में एक जमीन खरीदने और निर्माण गतिविधियों में लगाया." मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की एक प्राथमिकी से शुरू हुआ. जिसमें आरोप लगाया गया है कि फाउंडेशन ने महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान कोविड राहत और ऑक्सीजन आपूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये जुटाए लेकिन दान को गबन कर लिया गया.