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निजी स्कूल की मनमानी, लैस वाले जूते नहीं पहने तो बच्ची को स्कूल से भगाया - एमपी न्यूज

'शिक्षा के अधिकार' कानून के अंतर्गत निजी सेंट जॉन्स कॉन्वेंट स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा को यह कहकर स्कूल से बाहर कर दिया गया कि उसने लैस वाले जूते नहीं पहने हैं. इसके बाद छात्रा के पिता ने स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की है.

स्कूल की फोटो
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Published : Jun 29, 2019, 1:19 PM IST

खंडवा। सरकार ने सभी वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया है, लेकिन प्राइवेट स्कूल इस कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. कभी एडमिशन के नाम पर तो कभी स्कूल ड्रेस और किताबों के नाम पर. ऐसा ही एक मामला खंडवा में सामने आया है, जहां 'शिक्षा के अधिकार' कानून के अंतर्गत निजी सेंट जॉन्स कॉन्वेंट स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ने एक छात्रा को यह कहकर स्कूल से बाहर कर दिया गया कि उसने लैस वाले जूते नहीं पहने हैं.

लैस वाले जूते नहीं पहने तो बच्ची को स्कूल से भगाया

इस मामले की जानकारी जब बच्ची के पिता को लगी, तो उसने स्कूल प्रबंधन की मनमानी और दुर्व्यवहार का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है. पीड़ित पिता ने प्रशासन से स्कूल पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है. पीड़ित पिता ने जिला शिक्षा अधिकारी को भी इस घटना की शिकायत की है. पिता का कहना है कि उसकी बेटी का एडमिशन आरटीई के तहत हुआ था, लेकिन स्कूल प्रबंधन उनकी बेटी को जबरन परेशान कर शिक्षा से दूर करना चाह रहा है.

निजी स्कूल की मनमानी

स्कूल प्रबंधन ने पीड़ित को कटघरे में खड़ा किया
इधर स्कूल प्रबंधन ने उल्टा पीड़ित को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. स्कूल संचालक अमरीश सिंह सिकरवार ने कहा कि छात्रा के पिता हर बार विवाद खड़ा करते हैं. स्कूल ने किसी बच्चे को बाहर नहीं निकाला. उन्होंने कहा कि बच्ची के पिता को बुलवाकर उसे स्कूल डेकोरम के तहत बच्चे को स्कूल भेजने को कहा गया था, लेकिन बच्ची के पिता ने ही जबरन विवाद कर मामले को तूल दिया.

शिक्षा विभाग ने स्कूल से मांगा जवाब
शिक्षा विभाग में जब इस मामले की शिकायत पीड़ित ने की, तो विभाग ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर स्कूल से इस घटना पर जवाब तलब किया. स्कूल विभाग के संदीप मीणा का कहना है कि जवाब आने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता.

खंडवा। सरकार ने सभी वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया है, लेकिन प्राइवेट स्कूल इस कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. कभी एडमिशन के नाम पर तो कभी स्कूल ड्रेस और किताबों के नाम पर. ऐसा ही एक मामला खंडवा में सामने आया है, जहां 'शिक्षा के अधिकार' कानून के अंतर्गत निजी सेंट जॉन्स कॉन्वेंट स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ने एक छात्रा को यह कहकर स्कूल से बाहर कर दिया गया कि उसने लैस वाले जूते नहीं पहने हैं.

लैस वाले जूते नहीं पहने तो बच्ची को स्कूल से भगाया

इस मामले की जानकारी जब बच्ची के पिता को लगी, तो उसने स्कूल प्रबंधन की मनमानी और दुर्व्यवहार का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है. पीड़ित पिता ने प्रशासन से स्कूल पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है. पीड़ित पिता ने जिला शिक्षा अधिकारी को भी इस घटना की शिकायत की है. पिता का कहना है कि उसकी बेटी का एडमिशन आरटीई के तहत हुआ था, लेकिन स्कूल प्रबंधन उनकी बेटी को जबरन परेशान कर शिक्षा से दूर करना चाह रहा है.

निजी स्कूल की मनमानी

स्कूल प्रबंधन ने पीड़ित को कटघरे में खड़ा किया
इधर स्कूल प्रबंधन ने उल्टा पीड़ित को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. स्कूल संचालक अमरीश सिंह सिकरवार ने कहा कि छात्रा के पिता हर बार विवाद खड़ा करते हैं. स्कूल ने किसी बच्चे को बाहर नहीं निकाला. उन्होंने कहा कि बच्ची के पिता को बुलवाकर उसे स्कूल डेकोरम के तहत बच्चे को स्कूल भेजने को कहा गया था, लेकिन बच्ची के पिता ने ही जबरन विवाद कर मामले को तूल दिया.

शिक्षा विभाग ने स्कूल से मांगा जवाब
शिक्षा विभाग में जब इस मामले की शिकायत पीड़ित ने की, तो विभाग ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर स्कूल से इस घटना पर जवाब तलब किया. स्कूल विभाग के संदीप मीणा का कहना है कि जवाब आने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता.

Intro:खंडवा - सरकार ने एकसमान रूप से सभी वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया वहीं प्राइवेट स्कूल इस कानून की धज्जियाँ उड़ाते नजर आ रहे हैं. कभी एडमिशन के नाम पर तो कभी स्कूल ड्रेस और किताबों के नाम पर इन बच्चों को शिक्षा के अधिकार से दूर किया जा रहा हैं. ऐसा ही एक मामला खंडवा में सामने आया है जब "शिक्षा के अधिकार" कानून के अंतर्गत निजी स्कूल की दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली अलिस्बा को यह कहकर स्कूल से बाहर कर दिया कि उसने लेस वाले जूते नहीं पहने हैं. इस मामले की जानकारी जब बच्ची के पिता को लगी तो उसने स्कूल प्रबंधन की मनमानी और दुर्व्यवहार का वीडियो बनाकर उसे सोश्यल मीडिया पर वायरल कर दिया पीड़ित पिता ने प्रशासन से गुहार लगाई हैं कि ऐसे स्कूलों पर कार्यवाही की जाए जो बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून से दूर करना चाह रहे हैं.


Body:खंडवा के सेंट जॉन प्राइवेट स्कूल ने दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली मासूम बच्ची अलिस्बा को इसलिए स्कूल से बाहर कर दिया क्योंकि वह स्कूल में लेस वाले जूते नहीं पहन कर आई थी जब उसके पिता ने स्कूल प्रशासन से बात करनी चाही तो उसके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया पीड़ित पिता ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर सरकार से ऐसी मनमानी करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई करने की मांग की है पीड़ित पिता ने जिला शिक्षा अधिकारी को भी इस घटना की शिकायत की. पिता आसिफ खान का कहना है कि उनकी बच्ची का एडमिशन आरटीई के तहत हुआ था पर स्कूल प्रबंधन उन्हें जबरन परेशान कर बच्ची को शिक्षा से दूर करना चाह रहा है जब बच्ची स्कूल गई तो उसे लेस वाले जूते पहनने के नाम पर स्कूल से बाहर कर दिया जब मैंने प्रबंधन से बात करनी चाही तो मेरे साथ भी दुर्व्यवहार किया गया.


Conclusion:इधर स्कूल प्रबंधन ने उल्टा पीड़ित को ही कटघरे में खड़ा कर दिया स्कूल संचालक अमरीश सिंह सिकरवार ने कहा कि छात्रा अलिस्बा के पिता हर बार विवाद खड़ा करते हैं. हमने किसी बच्चे को बाहर नहीं निकाला हमने पिता को बुलवाकर उसे स्कूल डेकोरम के तहत बच्चे को स्कूल भेजने को कहा था. बच्ची के पिता ने ही जबरन विवाद कर मामले को तूल दिया. वहीं शिक्षा विभाग में जब इस मामले की शिकायत पीड़ित ने की तो उसकी शिकायत के बाद विभाग ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर स्कूल से इस घटना पर जवाब तलब किया. विभाग के संदीप मीणा का कहना है जवाब आने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता.

byte - आसिफ़ खान, पिता
byte - अमरीश सिंह सिकरवार, संचालक सेंट जोंस स्कूल
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