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खंडवा: जिला अस्पताल में नहीं हो रही है सोनोग्राफी की जांच, मरीज हो रहे हैं परेशान

खंडवा के जिला अस्पताल के हाल-बेहाल है. यहां मरीज को ये कहकर सोनोग्राफी की जांच के लिए मना कर दिया जाता हैं कि यहां जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही होगी.

जिला अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान
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Published : Mar 24, 2019, 2:59 PM IST

खंडवा। सरकारी अस्पताल आए दिन अव्यवस्थाओं के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं. जिला अस्पताल में आलम ये है कि मरीजों को पर्याप्त चेकअप भी मुहैया नहीं किया जाता है. मरीज को ये कहकर सोनोग्राफी की जांच के लिए मना कर दिया जाता हैं कि यहां जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही होगी. जिन्हें निजी लैब में जांच करानी हैं वो इंदौर जाकर करवा लें.

जिला अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान

जिला अस्पताल में पिछले तीन महीने से सोनोग्राफी की जांच नहीं हो रही हैं. जिससे चलते मरीजों को मजबूरन निजी पैथोलॉजी से 800 रूपये देकर जांच करवानी पड़ रही हैं. जिन मरीजों के पास इतने पैसे नहीं हैं वे बिना जांच के घर लौट जाते हैं. यह हाल इसलिए है क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर को लकवे की बीमारी हैं और तीन महीने यहां कोई डॉक्टर नही है. अस्पताल प्रशासन ने आउटसोर्सिंग कर एक निजी डॉक्टर को यहां नियुक्त तो कर दिया हैं, लेकिन यहां जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही हो रही हैं.

निहालवाड़ी गांव से पेट में दर्द की शिकायत लेकर जिला अस्पताल पहुंचे एक मरीज को डॉक्टर ने सोनोग्राफी करवाने के लिए कहा था. लेकिन जब वह जांच के लिए पहुंचा तब उसे मना कर दिया गया. उससे कहा गया कि यहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही जांच की जाएगी, ये भी 27 मार्च के बाद बंद हो जाएगी.

जिला अस्पताल के अधीक्षक ओपी जुगतावत का कहना है कि जिला अस्पताल में तीन महीने से सोनोग्राफी की जांच नहीं हो रही हैं क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट को लकवे की बीमार होने के चलते हमने आउटसोर्सिंग कर एक निजी डॉक्टर नियुक्त किया हैं. फिलहाल यहां गर्भवती महिलाओं की ही जांच हो रही हैं, उन्हें 300 रूपये प्रति जांच भुगतान करना पड़ता हैं. उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन को सब पता है, जिन्हें निजी पैथालॉजी में जांच कराने में दिक्कत है वो इंदौर चले जाए.

खंडवा। सरकारी अस्पताल आए दिन अव्यवस्थाओं के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं. जिला अस्पताल में आलम ये है कि मरीजों को पर्याप्त चेकअप भी मुहैया नहीं किया जाता है. मरीज को ये कहकर सोनोग्राफी की जांच के लिए मना कर दिया जाता हैं कि यहां जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही होगी. जिन्हें निजी लैब में जांच करानी हैं वो इंदौर जाकर करवा लें.

जिला अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान

जिला अस्पताल में पिछले तीन महीने से सोनोग्राफी की जांच नहीं हो रही हैं. जिससे चलते मरीजों को मजबूरन निजी पैथोलॉजी से 800 रूपये देकर जांच करवानी पड़ रही हैं. जिन मरीजों के पास इतने पैसे नहीं हैं वे बिना जांच के घर लौट जाते हैं. यह हाल इसलिए है क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर को लकवे की बीमारी हैं और तीन महीने यहां कोई डॉक्टर नही है. अस्पताल प्रशासन ने आउटसोर्सिंग कर एक निजी डॉक्टर को यहां नियुक्त तो कर दिया हैं, लेकिन यहां जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही हो रही हैं.

निहालवाड़ी गांव से पेट में दर्द की शिकायत लेकर जिला अस्पताल पहुंचे एक मरीज को डॉक्टर ने सोनोग्राफी करवाने के लिए कहा था. लेकिन जब वह जांच के लिए पहुंचा तब उसे मना कर दिया गया. उससे कहा गया कि यहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही जांच की जाएगी, ये भी 27 मार्च के बाद बंद हो जाएगी.

जिला अस्पताल के अधीक्षक ओपी जुगतावत का कहना है कि जिला अस्पताल में तीन महीने से सोनोग्राफी की जांच नहीं हो रही हैं क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट को लकवे की बीमार होने के चलते हमने आउटसोर्सिंग कर एक निजी डॉक्टर नियुक्त किया हैं. फिलहाल यहां गर्भवती महिलाओं की ही जांच हो रही हैं, उन्हें 300 रूपये प्रति जांच भुगतान करना पड़ता हैं. उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन को सब पता है, जिन्हें निजी पैथालॉजी में जांच कराने में दिक्कत है वो इंदौर चले जाए.

Intro:खंडवा - जिला अस्पताल यू तो आये दिन अव्यवस्थाओं की कारण सुर्खियों में बना रहता हैं। और अब यहां आने वाले मरीजों को पर्याप्त स्वास्थ्य परीक्षण भी मुहैया नही हो पा रहा हैं। जी हां मरीज को यह कहकर सोनोग्राफी की जांच के लिए मना कर दिया जाता हैं कि यह जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही होगी। और दूसरे किसी मरीज की नही होग। और ऊपर से जिला अस्पताल के अधीक्षक बेशर्मी से यह कहते हैं कि जिन्हें निजी लैब में जांच करानी हैं वो कराएं नही इंदौर जाकर करवा लें।


Body:दरअसल जिला अस्पताल में पिछले तीन महीने से सोनोग्राफी की जांच नही हो रही हैं जिससे मरीजों को मजबूरन निजी पैथोलॉजी से यह जांच करवानी पड़ रही हैं। जिसमें उन्हें 800 रूपये देने पड़ रहे हैं। जिन मरीजों के पास इतने पैसे नही हैं वे बिना जांच के घर लौट जाते हैं। और यह हाल इसलिए हैं क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर को लकवे की बीमारी हैं और तीन महीने यहां कोई डॉक्टर नही हैं अस्पताल प्रशासन ने आउटसोर्सिंग कर एक निजी डॉक्टर को यहां नियुक्त तो कर दिया हैं लेकिन यहां जांच सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही हो रही हैं। ऐसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति अपने परिजन को ईलाज के लिए यहां लाते हैं। और डॉक्टर सोनोग्राफी जांच के लिए बोलते हैं तो यहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता हैं। निहालवाड़ी गांव से आये एक व्यक्ति अपने ससुर को पेट मे दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल लाये थे डॉक्टर ने समस्या को देखकर सोनोग्राफी करवाने के लिए कहा लेकिन जब वे जांच के लिए पहुंचे तब वहां उन्हें मना कर दिया गया और कहा कि यहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं की ही जांच की जाएगी। वो भी 27 मार्च तक उसके बाद यह भी बंद हो जाएगी।


Conclusion:वही इस मामले पर जिला अस्पताल के अधीक्षक ओ पी जुगतावत से बात की तो उन्होंने कहा जिला अस्पताल में तीन महीने से सोनोग्राफी की जांच नही हो रही हैं। क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट को लकवे की बीमार होने के चलते हमने आउटसोर्सिंग कर एक निजी डॉक्टर नियुक्त किया हैं। और फ़िलहाल यहां गर्भवती महिलाओं की ही जांच हो रही हैं। जिन्हें हम 300 रूपये प्रति जांच भुगतान करते हैं। जब अन्य मरीज की जांच नही होने के संबंध में पूछा गया तो बेशर्मी से अधीक्षक साहब ने कहा कि शासन प्रशासन को सब पता है। जिन्हें निजी पैथालॉजी में जांच कराने में दिक्कत है वो इंदौर चले जाए।
byte - मरीज के परिजन
byte - ओ पी जुगतावत, अधीक्षक जिला अस्पताल
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