खंडवा। अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के भांजे हजरत ख़्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती की याद में लगने वाला उर्स शुरू हो गया है. खंडवा स्थित उनकी दरगाह पर यह उर्स 600 से भी ज्यादा सालों से लग रहा है, जिसका यह 683वां क्रम है. सालों से चले आ रहे इस उर्स में सांप्रदायिक सौहार्द्र भी दिखाई देता है. यहां मुस्लिम के साथ हिंदू संप्रदाय के लोग भी भारी संख्या में आते हैं और दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं.
हिंदू मुस्लिम एकता के रूप में पहचाने जाने वाले सूफी संत गयासुद्दीन चिश्ती उर्फ ताराशाह वली की दरगाह पर लगने वाला यह उर्स सप्ताह भर चलेगा, सोमवार को उर्स का पहला दिन था. उर्स के दौरान ताराशाह वली की दरगाह पर भारी संख्या में लोग इबादत करने आते हैं. साथ ही इस दौरान यहां कई कार्यक्रम भी आयोजित किेए जाते हैं.
कहा जाता है कि सूफी संत ख्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती की दरगाह से कोई खाली हाथ नहीं जाता. यहां कई दूर-दूर से लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा तादाद महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश राज्य से आने वालों की होती है. महिलाएं भी यहां भारी संख्या में आती है. लोगों के मुताबिक जो यहां आकर अजमेर जाने की गुजारिश करता है उसकी दुआ कबूल हो जाती है.