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खंडवाः हजरत तारशाह वली के 683वें उर्स मुबारक की हुई शुरुआत

अजमेर के ख्वाजा के भांजे माने जाने वाले सूफी संत गयासुद्दीन चिश्ती की याद में लगने वाला उर्स शुरू हो गया है. खंडवा स्थित उनकी दरगाह पर 683वां उर्स मुबारक चल रहा है, जिसमें हर बार की तरह गंगा-जमुनी तहज़ीब भी देखने को मिल रही है.

खंडवाः हजरत तारशाह वली के 683वें उर्स मुबारक की हुई शुरुआत
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Published : Mar 19, 2019, 2:14 AM IST

खंडवा। अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के भांजे हजरत ख़्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती की याद में लगने वाला उर्स शुरू हो गया है. खंडवा स्थित उनकी दरगाह पर यह उर्स 600 से भी ज्यादा सालों से लग रहा है, जिसका यह 683वां क्रम है. सालों से चले आ रहे इस उर्स में सांप्रदायिक सौहार्द्र भी दिखाई देता है. यहां मुस्लिम के साथ हिंदू संप्रदाय के लोग भी भारी संख्या में आते हैं और दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं.

खंडवाः हजरत तारशाह वली के 683वें उर्स मुबारक की हुई शुरुआत

हिंदू मुस्लिम एकता के रूप में पहचाने जाने वाले सूफी संत गयासुद्दीन चिश्ती उर्फ ताराशाह वली की दरगाह पर लगने वाला यह उर्स सप्ताह भर चलेगा, सोमवार को उर्स का पहला दिन था. उर्स के दौरान ताराशाह वली की दरगाह पर भारी संख्या में लोग इबादत करने आते हैं. साथ ही इस दौरान यहां कई कार्यक्रम भी आयोजित किेए जाते हैं.

कहा जाता है कि सूफी संत ख्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती की दरगाह से कोई खाली हाथ नहीं जाता. यहां कई दूर-दूर से लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा तादाद महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश राज्य से आने वालों की होती है. महिलाएं भी यहां भारी संख्या में आती है. लोगों के मुताबिक जो यहां आकर अजमेर जाने की गुजारिश करता है उसकी दुआ कबूल हो जाती है.

खंडवा। अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के भांजे हजरत ख़्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती की याद में लगने वाला उर्स शुरू हो गया है. खंडवा स्थित उनकी दरगाह पर यह उर्स 600 से भी ज्यादा सालों से लग रहा है, जिसका यह 683वां क्रम है. सालों से चले आ रहे इस उर्स में सांप्रदायिक सौहार्द्र भी दिखाई देता है. यहां मुस्लिम के साथ हिंदू संप्रदाय के लोग भी भारी संख्या में आते हैं और दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं.

खंडवाः हजरत तारशाह वली के 683वें उर्स मुबारक की हुई शुरुआत

हिंदू मुस्लिम एकता के रूप में पहचाने जाने वाले सूफी संत गयासुद्दीन चिश्ती उर्फ ताराशाह वली की दरगाह पर लगने वाला यह उर्स सप्ताह भर चलेगा, सोमवार को उर्स का पहला दिन था. उर्स के दौरान ताराशाह वली की दरगाह पर भारी संख्या में लोग इबादत करने आते हैं. साथ ही इस दौरान यहां कई कार्यक्रम भी आयोजित किेए जाते हैं.

कहा जाता है कि सूफी संत ख्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती की दरगाह से कोई खाली हाथ नहीं जाता. यहां कई दूर-दूर से लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा तादाद महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश राज्य से आने वालों की होती है. महिलाएं भी यहां भारी संख्या में आती है. लोगों के मुताबिक जो यहां आकर अजमेर जाने की गुजारिश करता है उसकी दुआ कबूल हो जाती है.

Intro:खंडवा - अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के भांजा माने जाने वाले हजरत ख़्वाजा गयासुद्दीन चिश्ती उर्फ तारशाह वली बाबा का 683 का उर्स शुरू हो गया हैं। खंडवा स्थित उसकी दरगाह पर मुस्लिम समाज के लोग एकत्रित होकर चादर पेश करते हैं। यही नही यहां सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिशाल भी देखने को मिलती हैं यहां मुस्लिम समुदाय के अलावा हिंदू धर्म के लोग भी आते हैं।


Body:दरअसल हिंदू मुस्लिम एकता के रूप में पहचाने जाने वाले महान सूफी संत हजरत ख़्वाजा सैयद गयासुद्दीन चिश्ती का आज से 683 वा उर्स प्रारंभ हो गया हैं। उर्स मुबारक के अवसर पर दरगाह शरीफ पर चादर चढ़ाई जाती हैं। यह उर्स सप्ताह भर चलेगा। इस दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। उर्स के पहले दिन आज सुबह नमाजे फदर सन्दल शरीफ पेश किया गया। और शाम में चादर चढ़ाकर इबादत की गई। मुस्लिम महिलाओं ने कुरान की आयतें पढ़ी। लंगर का आयोजन किया गया।


Conclusion:हजरत गयासुद्दीन चिश्ती का 683 वा उर्स हैं। हजरत की ख़ासियत हैं यहां से कोई खाली नही जाता हैं। महाराष्ट्र गुजरात आंध्रप्रदेश से लोग यहां आते हैं। चादर चढ़ाते हैं मन्नत मांगते हैं। यही नही यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं। जो कोई अजमेर नही जा पाता। वो यहां आकर हजरत से गुजारिश करने पर उसकी दुआ जरूर कबूल होती हैं। और वो अजमेर पहुंच जाता हैं।
byte - अशफाक काजी
byte - इस्माईल ,
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