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सात महीने की बीमार बच्ची को अस्पताल में छोड़ भागी दादी, हालत गंभीर - Social worker Sunil Jain

खंडवा शासकीय महिला अस्पताल में एक दादी अपनी 7 महीने की बीमार पोती को छोड़कर भाग गई. फिलहाल बच्ची का इलाज जारी है, जिसकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

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Published : Sep 15, 2019, 1:42 PM IST

खंडवा। बेटियों के लिए केंद्र और राज्य सरकारे कई तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन उसके बावजूद समाज में आज भी बेटियों को बोझ समझा जाता है. ऐसा ही एक मामला खंडवा से सामने आया है. जहां बीमार हालत में 7 महीने की बच्ची को एक वृद्ध महिला अस्पताल में भर्ती करा कर रफूचक्कर हो गई.

बीमार बच्ची को अस्पताल में छोड़ भागी दादी

खंडवा के शासकीय महिला अस्पताल के शिशु गहन चिकित्सा इकाई में बच्ची को भर्ती करने के बाद जब डॉक्टर ने वृद्ध महिला से बच्ची की मां को लाने को कहा, तो वह गई लेकिन वापस नहीं लौटी. जिसके बाद बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी गई. फिलहाल बच्ची का इलाज जारी है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताया कि बच्ची की हालत गंभीर है. उसका वजन 1 किलो 50 ग्राम है.

इस तरह के बच्चों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले समाजसेवी सुनील जैन भी बच्ची का हाल जानने महिला अस्पताल पहुंचे और बच्ची के बारे में डॉक्टर से मिलकर जानकारी ली. सुनील जैन ने बताया कि ऐसे कई मामले खंडवा में हुए हैं जहां बच्चियों को माताएं कहीं कचरे के ढेर में तो कहीं नालियों में छोड़कर चली गई थी. उन्हें हमने उठाकर उपचार करवाया और बाल कल्याण समिति के माध्यम से गोद दिया. यह बच्चे आज सम्मान जनक परिवारों में रह रहे हैं.

खंडवा। बेटियों के लिए केंद्र और राज्य सरकारे कई तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन उसके बावजूद समाज में आज भी बेटियों को बोझ समझा जाता है. ऐसा ही एक मामला खंडवा से सामने आया है. जहां बीमार हालत में 7 महीने की बच्ची को एक वृद्ध महिला अस्पताल में भर्ती करा कर रफूचक्कर हो गई.

बीमार बच्ची को अस्पताल में छोड़ भागी दादी

खंडवा के शासकीय महिला अस्पताल के शिशु गहन चिकित्सा इकाई में बच्ची को भर्ती करने के बाद जब डॉक्टर ने वृद्ध महिला से बच्ची की मां को लाने को कहा, तो वह गई लेकिन वापस नहीं लौटी. जिसके बाद बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी गई. फिलहाल बच्ची का इलाज जारी है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताया कि बच्ची की हालत गंभीर है. उसका वजन 1 किलो 50 ग्राम है.

इस तरह के बच्चों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले समाजसेवी सुनील जैन भी बच्ची का हाल जानने महिला अस्पताल पहुंचे और बच्ची के बारे में डॉक्टर से मिलकर जानकारी ली. सुनील जैन ने बताया कि ऐसे कई मामले खंडवा में हुए हैं जहां बच्चियों को माताएं कहीं कचरे के ढेर में तो कहीं नालियों में छोड़कर चली गई थी. उन्हें हमने उठाकर उपचार करवाया और बाल कल्याण समिति के माध्यम से गोद दिया. यह बच्चे आज सम्मान जनक परिवारों में रह रहे हैं.

Intro:खंडवा - बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा पूरे देश में गूंजा लेकिन समाज में आज भी बेटी होने पर उन्हें अभिशाप समझा जाता हैं. बेटियों को केंद्र में रखकर केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन उसके बावजूद हमारा समाज अभी भी इतना जागरूक नहीं हो पाया है कि वह बेटियों का बोझ न माने बल्कि उन्हें बेटों की तरह ही प्यार और सम्मान दे. यही कारण है कि समय-समय पर लावारिस हालत में बेटियों को फेंकने और छोड़ने जैसी घटनाएं सामने आती है. ऐसा ही एक मामला खंडवा में भी सामने आया है. जहां बीमार हालात में एक नवजात बच्ची को एक वृद्ध महिला अस्पताल में भर्ती करा कर रफूचक्कर हो गई. डॉक्टर ने पहले बच्ची का इलाज करना उचित समझ कर उस बच्ची को भर्ती कर लिया, लेकिन जब उसे कोई वापस लेने नहीं आया तो बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी गई. फिलहाल बच्ची का इलाज जारी है.

Body:खंडवा के शासकीय महिला अस्पताल के शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में 7 माह की नवजात बच्ची को एक वृद्ध महिला ने भर्ती करवाया। जब डॉक्टर ने बच्ची की माँ को लाने का कहा तब से वृद्ध महिला लौटी नही। डॉक्टर ने बच्ची की गंभीर हालत देख भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया. जब 24 घंटे बीतने के बाद भी महिला नही लौटी तो चाइल्ड लाईन को इसकी सूचना दी. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताया कि नवजात बच्ची की हालत गंभीर है.उसका वजन 1किलो 50 ग्राम हैं.

Byte_ सुनील जैन, समाजसेवी Conclusion:खंडवा में इस तरह के नवजात बच्चों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले समाजसेवी सुनील जैन भी बच्ची का हाल जाने महिला अस्पताल पहुचे और मासूम बच्ची के बारे में डॉक्टर से मिलकर जानकारी ली. सुनील जैन ने बताया कि ऐसे कई मामले खंडवा हुए जहाँ कहीं कचरे के ढेर में तो कहीं नालियों मे छोड़ कर माताएं चली गई थी. उन्हें हमने उठाकर उपचार करवाया और बाल कल्याण समिति के माध्यम से गोद दिया. यह बच्चे आज सम्मानजनक परिवारों में रह रहे है.

Byte_ डॉ कृष्णा वास्केल , शिशु गहन चिकित्सा ईकाई
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