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विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों का सम्मान, 1971 भारत-पाक युद्ध के शौर्य को किया याद - khandwa news

खंडवा में विजय दिवस के मौके पर पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया. वहीं पूर्व सैनिकों ने युद्ध के दौरान हुई घटनाओं को लोगों के साथ साझा किया.

Ex-armymen honored on Victory Day
विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों का सम्मान
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Published : Dec 16, 2019, 9:35 PM IST

खंडवा। विजय दिवस के मौके पर पूर्व सैनिकों का सम्मान किया गया. भारतीय सेना ने 1971 में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. युद्ध की यादों को ताजा करते हुए जिले के पूर्व सैनिकों ने उस वक्त के लम्हों को साझा किया. इंडियन एयर फोर्स में शामिल जिले के सुरेश दत्त शुक्ला ने भारत-पाक के उस युद्ध में हवाई आक्रमण को मजबूत करने में अपना योगदान दिया था.

विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों का सम्मान

भारतीय थलसेना के पूर्व लांस नायक विक्रम जामने ने बताया युद्ध में कई दिनों तक भूखे प्यासे रहे. पाकिस्तानी सेना के हमले में हमारे कई जवान उनकी आंखों के सामने शहीद हुए थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना पर जवाबी हमला करते हुए दुश्मनों को मार गिराया. इस जीत खुशी पूर्व सैनिकों के चेहरे पर साफ दिखाई देती हैं.

सन् 1971 का भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध दुनिया की प्रमुख घटनाओं में से एक माना जाता है. इसके मायने सबसे ज्यादा एक सैनिक ही समझ सकता हैं.16 दिसंबर 1971 के दिन भारतीय जांबाज लड़ाकों ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देते हुए धूल चटाई थी. उस समय बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. इस ऐतिहासिक युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसर्पण किया था. जबकि, इस युद्ध में भारत के 3900 सैनिक शहीद हुए थे.

खंडवा। विजय दिवस के मौके पर पूर्व सैनिकों का सम्मान किया गया. भारतीय सेना ने 1971 में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. युद्ध की यादों को ताजा करते हुए जिले के पूर्व सैनिकों ने उस वक्त के लम्हों को साझा किया. इंडियन एयर फोर्स में शामिल जिले के सुरेश दत्त शुक्ला ने भारत-पाक के उस युद्ध में हवाई आक्रमण को मजबूत करने में अपना योगदान दिया था.

विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों का सम्मान

भारतीय थलसेना के पूर्व लांस नायक विक्रम जामने ने बताया युद्ध में कई दिनों तक भूखे प्यासे रहे. पाकिस्तानी सेना के हमले में हमारे कई जवान उनकी आंखों के सामने शहीद हुए थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना पर जवाबी हमला करते हुए दुश्मनों को मार गिराया. इस जीत खुशी पूर्व सैनिकों के चेहरे पर साफ दिखाई देती हैं.

सन् 1971 का भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध दुनिया की प्रमुख घटनाओं में से एक माना जाता है. इसके मायने सबसे ज्यादा एक सैनिक ही समझ सकता हैं.16 दिसंबर 1971 के दिन भारतीय जांबाज लड़ाकों ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देते हुए धूल चटाई थी. उस समय बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. इस ऐतिहासिक युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसर्पण किया था. जबकि, इस युद्ध में भारत के 3900 सैनिक शहीद हुए थे.

Intro:खंडवा। देशभर में आज के दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैं खंडवा में भी पूर्व भारतीय सैनिकों का सम्मान किया गया. भारतीय सेना ने सन 1971 युद्ध में बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराया था. उस समय बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. इस ऐतिहासिक युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसर्पण किया था. जबकि इस युद्ध में भारत के 3900 सैनिक शहीद हुए थे. उस समय के भारतीय सेना में मौजूद सैनिकों ने युद्ध के अनुभवों को ताजा किया.


Body:सन 1971 का भारत पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध दुनिया की प्रमुख घटनाओं में से एक हैं. इसके मायने सबसे ज्यादा एक सैनिक ही समझ सकता हैं. 16 दिसंबर 1971 के दिन भारतीय जांबाज लड़ाकों ने बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद किया था. इस युद्ध की यादों को ताजा करते हुए जिले के सैनिकों ने उस समय के लम्हों को साझा किया इंडियन एयर फोर्स में शामिल जिले के सुरेश दत्त शुक्ला ने भारत पाक के उस युद्ध में हवाई आक्रमण को मजबूत करने में अपना योगदान दिया था.

byte - सुरेश दत्त शुक्ला, पूर्व सैनिक, इंडियन एयर फोर्स

वहीं भारतीय थलसेना के लांस नायक विक्रम जामने ने बताया युद्ध के दौरान वे कई दिनों तक भूखे प्यासे रहे थे. कई दिनों तक एक जोड़ी कपड़ो पर रहना पड़ता था.पाकिस्तानी सेना के हमले भारतीय सेना के जवान उनकी आंखों के सामने शहीद हुए थे. लेकिन भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना पर जबाबी हमला करते हुए दुश्मन को मार गिराया और भारतीय सेना की जीत का परचम लहरा दिया. आज भी इस जीत खुशी सैनिकों के चेहरे पर साफ दिखाई देती हैं.

byte - विक्रम जामने, लांस नायक


Conclusion:यह युद्ध भारतीय सेना का अदम्य साहस और शौर्य देखने को मिला था भारत ने अपने कई वीर सपूत खो दिए थे लेकिन बावजूद भारतीय सैनिकों ने हार नहीं मानी और पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.
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