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गौमाता के गोबर से बनी लकड़ी से शुद्ध होगा पर्यावरण - Shri Ganesh Gaushala of Khandwa

अभी तक आपने ने गोबर से बनी खाद और उपलों के बारे में ही सुना होगा. लेकिन खंडवा की गौशाला में गोबर की लकड़ी तैयार की जा रही है. इससे एक ओर लकड़ी की खपत तो कम होगी. साथ ही पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी होगा. निमाड़ क्षेत्र की यह पहली गौशाला है जंहा गो-काष्ठ बनाई जा रही है.

Cow dung wood
गौमाता के गोबर से बनाई जा रही लकड़ी
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Published : Feb 6, 2021, 7:34 PM IST

खंडवा। शहर में इंदौर बायपास मार्ग पर स्थिति श्रीगणेश गोशाला है. यंहा संरक्षित गोवंश से आमदनी करने के लिए इनके गोबर का उपयोग जरूरी था. इसके लिए गोशाला में गोबर से लकड़ी बनाने का काम शुरू किया गया. गोशाला में पिछले दो दिनों से गोबर से लकड़ी बनाने का काम किया जा रहा है. गोशाला समिती के सदस्य भूपेंद्र चौहान का कहना है कि अभी गाय के गोबर से लकड़ी तैयार की जा रही है. अभी बिक्री दर तय नहीं कि जा सकी है.

गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल मुक्ति धाम में होने वाले शवों के अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसके लिए गोशाला में गोबर से लकड़ियां बनाने के लिए मशीन भी लगाई गई हैं. मशीन से लकड़ियां तैयार करने के लिए पहले गोबर को मशीन में डाला जाता है. उसके बाद दो से ढाई सेकेंड में दो फीट की गोबर से बनी लकड़ी निकल आती है. इसके आकार को घटा-बढ़ा भी सकते हैं.

गौमाता के गोबर से बनाई जा रही लकड़ी
  • गो-काष्ठ में कम होती है नमी

सामान्यत: पेड़ की लकड़ी में नमी 12 से 15 प्रतिशत होती है, जबकि गो-काष्ठ में नमी सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत होती है. इसका एक लाभ ये है कि, अंतिम क्रिया में इस काष्ठ का प्रयोग करने की स्थिति में घी सहित अन्य पदार्थ का कम प्रयोग करना होगा. इतना ही नहीं गो-काष्ठ में कैलोरिफिक वैल्यू 8000 केजे (किलोजूल्स) होती है.

  • गोशाला में 350 से अधिक गाय

श्रीगणेश गौशाला में 350 से अधिक गाय है. ये सभी गायें पुलिस द्वारा अवैध रूप से परिवहन करते हुए पकडी गई हैं. इसके अलावा दुर्घटना में घायल लावारिस गायें भी है. इनसे प्रतिदिन 15 टन से अधिक गोबर प्राप्त होता है. इस गोबर से गो-काष्ठ तैयार की जा रही है. अभी तक एक ट्राली लकड़ी तैयार कर ली गई है. आने वाले समय में शमशानघाट में यही लकड़ी इस्तेमाल में लाई जाएगी. इससे होने वाली आय से गोशाला स्वावलंबी बनेगी.

खंडवा। शहर में इंदौर बायपास मार्ग पर स्थिति श्रीगणेश गोशाला है. यंहा संरक्षित गोवंश से आमदनी करने के लिए इनके गोबर का उपयोग जरूरी था. इसके लिए गोशाला में गोबर से लकड़ी बनाने का काम शुरू किया गया. गोशाला में पिछले दो दिनों से गोबर से लकड़ी बनाने का काम किया जा रहा है. गोशाला समिती के सदस्य भूपेंद्र चौहान का कहना है कि अभी गाय के गोबर से लकड़ी तैयार की जा रही है. अभी बिक्री दर तय नहीं कि जा सकी है.

गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल मुक्ति धाम में होने वाले शवों के अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसके लिए गोशाला में गोबर से लकड़ियां बनाने के लिए मशीन भी लगाई गई हैं. मशीन से लकड़ियां तैयार करने के लिए पहले गोबर को मशीन में डाला जाता है. उसके बाद दो से ढाई सेकेंड में दो फीट की गोबर से बनी लकड़ी निकल आती है. इसके आकार को घटा-बढ़ा भी सकते हैं.

गौमाता के गोबर से बनाई जा रही लकड़ी
  • गो-काष्ठ में कम होती है नमी

सामान्यत: पेड़ की लकड़ी में नमी 12 से 15 प्रतिशत होती है, जबकि गो-काष्ठ में नमी सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत होती है. इसका एक लाभ ये है कि, अंतिम क्रिया में इस काष्ठ का प्रयोग करने की स्थिति में घी सहित अन्य पदार्थ का कम प्रयोग करना होगा. इतना ही नहीं गो-काष्ठ में कैलोरिफिक वैल्यू 8000 केजे (किलोजूल्स) होती है.

  • गोशाला में 350 से अधिक गाय

श्रीगणेश गौशाला में 350 से अधिक गाय है. ये सभी गायें पुलिस द्वारा अवैध रूप से परिवहन करते हुए पकडी गई हैं. इसके अलावा दुर्घटना में घायल लावारिस गायें भी है. इनसे प्रतिदिन 15 टन से अधिक गोबर प्राप्त होता है. इस गोबर से गो-काष्ठ तैयार की जा रही है. अभी तक एक ट्राली लकड़ी तैयार कर ली गई है. आने वाले समय में शमशानघाट में यही लकड़ी इस्तेमाल में लाई जाएगी. इससे होने वाली आय से गोशाला स्वावलंबी बनेगी.

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