खंडवा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के खाते में फसल बीमा राशि ट्रांसफर कर दी. जिससे किसानों के चेहरे पर चमक आ गई. किसानों को लगा शायद इन पैसों से अब उनके जख्मों पर मरहम लग जाए, लेकिन जो सूची जारी की गई है वो अन्नदाता के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है. जानकार हैरानी होगी कि खंडवा जिले के किसानों के खाते में 4, 10, 21 और 42 रुपए की बीमा राशि आई है.
4 रुपये फसल बीमा राशि
पाडल्या गांव के किसान जगदीश गोंड ने चार रूपये की बीमा राशि ने आने पर अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि चार रूपए में तो जहर भी नहीं आता. कुछ और रूपए दे देते तो एक जहर की बोतल आ जाती जिसे पूरा परिवार पी लेता. क्योंकि अब तो मरने के अलावा कोई ओर रास्ता भी नहीं है. दो साल से खरीफ की फसल पैदा नहीं हो रही है. बैंक ने बीमा प्रीमियम ही 1200 रुपए काटी थी लेकिन सूची के अनुसार मुझे 4 रुपए बीमा मिला है. सरकार और बीमा कंपनी हमारा मजाक उड़ा रहे हैं
सरकार ने किया भद्दा मजाक
किसान जगदीश गोंड ने बताया कि उसकी तीन एकड़ जमीन है. जैसे-तैसे कर्ज लेकर बोवनी की थी. फसल का एक दाना घर नहीं आया. अगली फसल कैसे बोएंगे. परिवार के सात सदस्यों का पेट भरना मुश्किल है. मेरा बैंक ऑफ इंडिया पटाजन शाखा में 1.28 लाख रुपए का केसीसी खाता है. 1200 रुपए प्रीमियम काटने के बाद चार रुपए बीमा बना. लेकिन यह गणित हम आदिवासियों की समझ से बाहर है.
11 रूपये देकर घाव पर छिड़का नमक
वहीं सैयदपुर खैगावड़ा के किसान महेंद्र पटेल ने बताया कि 11 एकड़ के रकबे में सोयाबीन और कपास की फसल लगाई थी, दोनों फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था. सूची में फसल बीमा की राशि 11 रूपए आई है. सरकार ने किसानों के साथ बहुत गलत किया है यह राशि किसानों के जख्म पर नमक छिड़कने के बराबर है.
किसान संघ ने कि सरकार से न्याय की अपील
किसानों के साथ हुई इस नाइंसाफी के बाद जिले में भारतीय किसान संघ भी सक्रिय हो गया है. भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष पटेल ने पूरे मामले पर शासन से किसानों के साथ न्याय करने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि भारतीय किसान संघ आगामी 21 सितंबर को पूरे जिले भर में सदस्यों के साथ बैठक करके उचित रणनीति बनाएगा. शासन से यही हम यह मांग करते हैं कि सभी किसानों को उचित बीमा राशि दी जाए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिखावे के लिए कुछ चुनिंदा किसानों को डेढ़ लाख और दो लाख की बीमा राशि दी हैं. बाकी जिले में सभी किसानों के खातों में ना के बराबर राशि आई है.
कम किसानों को मिल रही मुआवजा राशि
हालात तो यह हैं कि जिले के कई गांवों के किसानों के खातों में फसल बीमा की राशि तक नहीं पहुंची है. किसान संघ का कहना है कि पिछले साल खरीफ 2019 में करीब 1.5 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, 50 हजार हेक्टेयर में कपास और 5 हजार हेक्टेयर में प्याज पूरी तरह से खराब हुई हो गई थी. तत्कालीन कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने खुद खेतों तक का मुआयना किया था और जिले को अतिवृष्टि की चपेट में घोषित किया था. तब रेगुलर बीमा प्रीमियम भरने वाले करीब 1 लाख किसान प्रभावित हुए थे. जिले में कम से कम 1 लाख किसानों को 200 करोड़ का बीमा मिलना चाहिए था, जबकि सिर्फ 31437 किसानों को प्रभावित मानते हुए 31 करोड़ का बीमा दिया जा रहा है.
कृषि अधिकारी का बेतुका बयान
वही इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी अजीबोगरीब बयान देते नजर आए. कृषि विभाग के उपसंचालक आर एस गुप्ता का कहना है कि यह मैथमेटिकल त्रुटि हो सकती है, सर्वे तो सभी किसानों का सही किया गया था. कुछ किसानों को कम राशि मिली है इसकी सूचना उनके पास आई है, लेकिन अधिकांश किसान खुश हैं. ऐसे में ऊंट के मुंह में जीरा के समान बीमा राशि को पाकर किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. जिसका परिणाम सत्ताधारी दल को विधानसभा उप चुनाव में भुगतना पड़ सकता हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर इस बीमा राशि का क्या असर पड़ता हैं.