खंडवा. आज हम भगवान विष्णु के पंचकमल में से एक और भगवान शंकर के सबसे पसंदीदा फूल ब्रह्मकमल की चर्चा करेंगे. आखिर क्यों इस फूल के बारे में हम आपको जानकारी साझा कर रहे हैं. दरअसल, मध्यप्रदेश के खंडवा के एक घर में 12 साल बाद ये दिव्य फूल खिला है. सावन में महीने में खिले इस फूल खिलने की चर्चा जैसे ही शहर में फैली, लोगों की भीड़ लग गई. ब्रह्मकमल का ये दुर्लभ फूल गौड़ परिवार के आंगन में खिला है. ऐसा ही एक फूल राहुल महाजन के घर भी खिला है. शहर के लोग सावन में इस दैविक फूल के खिलने को भगवान शिव चमत्कार मान रहे हैं. ऐसे में हम इस फूल से जुड़े फैक्टस आपसे साझा कर रहे हैं. लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि घर के लोगों ने सावन मास में फूल खिलने पर क्या कहा?
गौड़ परिवार के ही रहने वाले शिवपाल सिंह बताते हैं, "12 साल बाद ब्रह्मकमल खिला है. सावन मास में खिलने से इसका बड़ा महत्व है, शिव और देवी की कृपा से ब्रह्मकमल खिला है. अक्सर ये दुर्लभ फूल हिमालय की वादियों में खिलता है. उनके घर भी 12 साल बाद इस फूल के दर्शन हुए है. इस फूल को खिलने का महत्व इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि यह सावन महीने के एकादशी पर पुष्पित हुआ है. उन्होंने फूल की पूजन कर उसे लक्ष्मीनायारण भगवान के चरणों में अर्पित किया."
इनके अलावा शहर के फूल भंडरिया रोड पर राहुल महाजन के यहां भी रात में दो ब्रह्मकमल के फूल खिले. इस पर राहुल ने बताया कि इस बार दो ब्रह्मकमल के फूल खिले हैं.
ब्रह्मकमल फूल से जुड़े फैक्ट्स: हिमालय की वादियों में हजारों फीट की ऊंचाई पर पाए जाने वाले ब्रह्मकमल की महिमा हिन्दू और बौद्धधर्म में काफी प्रचलित है. दोनों धर्म में फूल का काफी पवित्र और दैविक रूप माना जाता है. ये फूल पूरे ब्रह्माण यानि यूनिवर्स का प्रतिनिधित्व करता है. साथ ही भगवान विष्णु के पंचकमल (कमल, चमारा, कुमकुम और नागकेशरा) में से एक है.
हिंदू धर्म में फूल की महत्ता: मान्यताओं के अनुसार इस फूल को पवित्र फूल माना गया है. इसका खिलना शुभ होता है. ये पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है. इस फूल की एक पंखुड़ी में 1 अरब परमाणु पाए जाते हैं. फूल की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा ने अपने स्वरुप का ध्यान करते हुए की थी. इस वजह से इसका नाम ब्रह्मकमल पड़ा. यानि भगवान ब्रह्मा का फूल. पौरणिक महत्व होने के साथ-साथ इस फूल का जिक्र भगवत गीता में भी है. इसे सुंदरता और पूर्णता का प्रतीक भी माना जाता है. ब्रह्मकमल का उपयोग ध्यान यानि मेडिटेशन के उद्देश्य से किया जाता है, जो शांति और धैर्यता प्राप्त करने में काफी सहायक है.
इसमें कई तरह के औषधि गुण भी पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करते हैं. इसके अलावा हिंदू धर्म में ब्रह्माकुमारी का जिक्र भी है. ये सनातन परंपरा के प्रमुख संतों में से एक है. उन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है. इसका संबंध भी ब्रह्मकमल फूल से है. अगर ब्रह्माकुमारी के भक्त अराधना के दौरान ब्रह्मकमल के फूल को धारण करते हैं, तो देवी दुर्गा उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
धार्मिक कार्यों में उपयोग?: हिन्दू धर्म में होने वाली पूजा और यज्ञ जैसे दैनिक अनुष्ठान के समय इस फूल को माला में पिरोकर पहना जाता है. इसके अलावा घर के पवित्र स्थल पर भी इस फूल को रखा जाता है. मानसिक उन्नति से लेकर आर्थिक उन्नति में ये फूल लाभदायक है. ये नकारात्मक उर्जा से बचाता है और भौतिक सुख की तरफ आकर्षित करता है। साथ ही जीवन की हर चुनौती से निपटने के लिए उर्जा प्रदान करता है.
ब्रह्मकमल का बौद्ध धर्म में महत्व: उत्तराखंड राज्य फूल का दर्जा प्राप्त ब्रह्मकमल का जिक्र बौद्ध धर्म में काफी है. इसे दशावातार भी कहा जाता है. यहां भी ब्रह्मकमल को ब्रह्माण की उत्पत्ति से जोड़कर देखा जाता है.
ब्रह्मकमल का मेडिकल में उपयोग: दिव्य फूल ब्रह्मकमल का उपयोग मेडिकल में भी काफी किया जाता है. सदियों से कई बीमारी को ठीक करने में इस फूल का उपयोग किया जाता रहा है. यह फूल मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने और मेमोरी को ठीक रखने में काफी मदद करता है. अनिंद्रा यानि इंसोमेनिया के इलाज में भी इस फूल का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा एकाग्रता बढ़ाने में भी ये फूल काफी मददगार है. साथ ही इम्युन सिस्टम को मजबूत करने में ब्रह्मकमल काफी लाभदायक औषधि माना जाता है. ये मेटाबॉलिज्मि को बढ़ाने में भी काफी मदद करता है. खून को साफ करना, त्वचा रोग को ठीक करने, बालों की ग्रोथ बढ़ाने और सर्दी-जुखाम को ठीक करने में ब्रह्मकमल उपयोगी है. वहीं, सांस लेने की तंत्रिका को ठीक रखने में भी यह फूल काफी लाभदायक है.
क्या घर में उगा सकते हैं ब्रह्मकमल का फूल?: जी हां, इस फूल को हम घर के अंदर और बाहर भी उगा सकते हैं. लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इस फूल को ऐसी जगह रखें, जहां रोशनी रहती हो, ध्यान रहे कि फूल पर सीधी धूप न पड़े. इसके अलावा क्वालिटी वाली मिट्टी का उपयोग करना चाहिए, रोजाना इसके पौधे को पानी देना चाहिए, इसके अलावा हर महीने खाद देते रहना चाहिए. फूल उगने के दो महीने पहले तक पौधे की अच्छी तरह से देखभाल करना चाहिए. जब फूल उग आए, तो पुराने या मुरझाए फूल को पौधे से हटा देना चाहिए. यह फूल अक्सर रात में उगते हैं, और सूर्योदय तक मुरझा जाते हैं.
ब्रह्मकमल से जुड़े कुछ ओर फैक्ट्स: कुछ ऐसे जरूरी प्रश्न इस फूल को लेकर पूछे जाते हैं, जिनका जवाब सटीक तौर पर नहीं मिलता. लेकिन हम आपको जरूरी फैक्ट्स बताते हैं. फूल का वैज्ञानिक यानि बोटेनिकल नाम सोसुरिया अबवेलेटा है. इस फूल को सिर्फ रात में ही तोड़ सकते हैं. मुरझा चुके ब्रह्मकमल को हमें तुरंत हटा देना चाहिए, इससे नए फूल आने की संभावना बढ़ जाती है. ब्रह्मकमल की नेटिव जगह हिमालय की वादियां मानी जाती है. इसका उत्पादन आसानी से किया जा सकता है. अक्सर लोग ड्रैगन फूल और ब्रह्मकमल को लेकर उलझन में रहते हैं, लेकिन यह दोनों वनस्पति अलग-अलग हैं. ड्रैगन फूल को सेलेनिकेरियस अंडटस कहा जाता है.