खंडवा। रेप की शिकार हुई 4 साल की मासूम को आखिरकार न्याय मिल ही गया. दरअसल आरोपी ने दुष्कर्म करने के बाद बच्ची की हत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन बच्ची बच गई और अब उसे पूरे 5 महीने बाद न्याय मिला. इस मामले में कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है. तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्राची पटेल ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि "ऐसा घिनोना काम करने वाले के लिए सिर्फ उम्रकैद की सजा काफी नहीं है, इसे फांसी दी जाएं और वो भी तब तक फंदे पर लटकाया जाएं, जब तक दोषी की जान नहीं निकल जाती."
घर से उठा ले जाने के बाद किया दुष्कर्म: खंडवा के जसवाड़ी रोड स्थित एक ढाबे पर राजकुमार नाम का युवक काम करता था. 30 अक्टूबर 2022, रविवार की रात को जब वह नशे की हालत में था, तब वह ढाबे के पीछे ही पहने वाली एक आदिवासी परिवार की बच्ची को उठाकर ले गया. घर से करीब 700 मीटर दूर गन्ने के खेत में आरोपी ने 4 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद हत्या करने की नियत से युवक ने मासूम का गला घोंट दिया और उसे मृत समझकर करीब 1 किमी दूर आम के बगीचे में फेंक आया. इधर 31 अक्टूबर को सुबह जब परिवार के लोगों की नींद खुली तो मासूम घर नहीं थी, इसके बाद बच्ची के गायब होने की सूचना परिजनों ने पुलिस थाने में दी.
मरा समझकर झाड़ियों में फेंका: पुलिस ने मामले में गुमशुदगी का केस दर्ज कर जांच के लिए ढाबे पर पूछताछ की तो पता चला कि 30 अक्टूबर की रात से ढाबे पर काम करने वाला राजकुमार भी गायब है. इसके बाद पुलिस ने आरोपी को रामनगर की शराब दुकान से पकड़ा और हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो उसने बताया कि "मैंने बच्ची को मार डाला और उसे झाडियों में फेंक दिया है." आरोपी द्वारा बताई गई जगह पर जब पुलिस ने जाकर देखा तो वहां बच्ची अर्धनग्न हालत में मिली. बच्ची की हालत गंभीर थी, लेकिन उसकी सांसे चल रही थीं. इसके बाद पुलिस ने बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उसे इंदौर रेफर कर दिया था."
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मृत्युदंड ही जरूरी है: इसके बाद पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर कोतवाली थाने में धारा 307, 376ए बी, 363, पाक्सो एक्ट में केस दर्ज किया. इसी मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश प्राची पटेल ने कहा कि "पीड़ित बच्ची की अपार शक्ति व जीजीविषा के कारण ही वह जीवित रही, वर्ना आरोपी ने पीड़िता की हत्या करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी इसलिए ऐसा कुकर्म करने वाले को सिर्फ आजीवन कारावास या दंडादेश पर्याप्त नहीं हो सकता है. मृत्युदंड ही जरूरी है. और मृत्युदंड भी ऐसा कि इसे तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, जब तक इसकी जान नहीं निकल जाती."
डीएनए रिपोर्ट और मेडिकल हिस्ट्री ने निभाई मुख्य भूमिका: डीपीओ चंद्रशेखर हुक्मलवार ने बताया कि "मासूम के कपड़ों और झाड़ियों से जो सीमेन मिला था, फॉरेंसिक जांच में वह राजकुमार का ही सिद्ध हुआ. इस फैसले में डीएनए रिपोर्ट और मासूम की मेडिकल हिस्ट्री ने मुख्य भूमिका निभाई, जिसके आधार पर ही दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई." जब मासूम के साथ रेप केस पर फैसला सुनाया जा रहा था तो दोषी के परिवार से कोई भी मौजूद नहीं था, बताया जा रहा है कि दोषी के माता-पिता ने उससे करीब 6 महीनों से दूरी बना रखी है.
घटना के बाद बच्ची स्तब्ध: वहीं दुष्कर्म का शिकार हुई मासूम इस घटना से आज भी स्तब्ध है, वह ना तो ठीक से चल पा रही है और ना ही बोल पा रही है. बताया जा रहा है कि दोषी जब बच्ची का गला घोंटकर मार रहा था, तो ऑक्सीजन की कमी हो गई थी, जिसका असर सीधे मासूम के दिमाग पर हुआ. घटना के बाद से इसलिए बच्ची बोल नहीं पाती, वहीं जब आरोपी ने बच्ची को झाड़ियों में फेका था तो उसकी रीढ़ की हड्डी में चोट आ गई जिससे पर उठने-बैठने और चलने-फिरने में असमर्थ है.