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गुरुनानक देवजी की 550 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई

खंडवा में गुरुनानक जी की 550वीं जयंती प्रकाश पर्व के रूप में धूमधाम से मनाई गयी.

550 जयंती प्रकाश पर्व के रूप में धूमधाम से मनाई गयी
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Published : Nov 12, 2019, 9:01 PM IST

खंडवा। प्रदेश भर में गुरुनानक जी की 550वीं जयंती को प्रकाश वर्ष के रूप में धूमधाम से मनाया गया . वहीं जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर से भी गुरुनानक देव जी का गहरा नाता रहा है. खास बात यह है की 1514 में गुरुनानक जी यहां आए थे उन्होंने यहां ओंकार वाणी भी लिखी है. जो गुरुग्रंथ साहब में 929 पेज पर ओंकार वाणी का जिक्र है.

गुरुनानक देवजी की 550 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई

गुरुनानक जी ओंकारेश्वर आए थे यहां उन्होंने ओंकारेश्वर मंदिर के तत्कालीन महंत पंडित चतुर्दास से मुलाकात की थी. गुरुग्रंथ सभा के प्रमुख ग्रंथी गुरमत प्रचारक ज्ञानी जसवीर सिंह राणा ने बताया 50 साल पहले सिख समुदाय के बड़े कथावाचक ज्ञानी संतसिंघ मस्कीन ने इतिहास के आधार पर ओंकारेश्वर में उस स्थान की खोज की जहां गुरुनानक देव जी ने आए थे. इसके बाद संगत के सहयोग से ओंकारेश्वर में गुरुद्वारा बनवाया था.

खंडवा। प्रदेश भर में गुरुनानक जी की 550वीं जयंती को प्रकाश वर्ष के रूप में धूमधाम से मनाया गया . वहीं जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर से भी गुरुनानक देव जी का गहरा नाता रहा है. खास बात यह है की 1514 में गुरुनानक जी यहां आए थे उन्होंने यहां ओंकार वाणी भी लिखी है. जो गुरुग्रंथ साहब में 929 पेज पर ओंकार वाणी का जिक्र है.

गुरुनानक देवजी की 550 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई

गुरुनानक जी ओंकारेश्वर आए थे यहां उन्होंने ओंकारेश्वर मंदिर के तत्कालीन महंत पंडित चतुर्दास से मुलाकात की थी. गुरुग्रंथ सभा के प्रमुख ग्रंथी गुरमत प्रचारक ज्ञानी जसवीर सिंह राणा ने बताया 50 साल पहले सिख समुदाय के बड़े कथावाचक ज्ञानी संतसिंघ मस्कीन ने इतिहास के आधार पर ओंकारेश्वर में उस स्थान की खोज की जहां गुरुनानक देव जी ने आए थे. इसके बाद संगत के सहयोग से ओंकारेश्वर में गुरुद्वारा बनवाया था.

Intro:खंडवा - सिखों के 10 वे गुरू गुरुनानक जी की 550 जयंती प्रकाश वर्ष के रूप में धूमधाम से मनाई जा रही हैं. खंडवा स्थित गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया गया. वहीं जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर से भी गुरुनानक देव जी का गहरा नाता रहा हैं. 1514 में गुरुनानक जी यहां आए थे उन्होंने यहां ओंकार वाणी भी लिखी हैं जो गुरुग्रंथ साहब में 929 पेज पर ओंकार वाणी का जिक्र हैं.


Body:गुरुनानक देव जी का 550 वां प्रकाश वर्ष बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा हैं. खंडवा के सिख समुदाय द्वारा गुरुद्वारे में गुरुनानक जी की अरदास की गई. वहीं इस मौके पर लंगर का आयोजन भी किया गया. खंडवा के ही ओंकारेश्वर में प्राचीन गुरुद्वारा से गुरुनानक देव जी का पुराना नाता रहा हैं. सिख समुदाय के अनुसार सन 1514 में गुरुनानक जी ओंकारेश्वर आए थे यहां उन्होंने ओंकारेश्वर मंदिर के तत्कालीन महंत से पंडित चतुर्दास से मुलाकात की थी. और सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि यहीं उन्होंने गुरुग्रंथ साहब में 929 पेज पर ओंकारवाणी लिखी थी. इसमें 45 पेज हैं. समाजजनों द्वारा इस स्थान पर गुरुद्वारा बनवाया गया हैं गुरुग्रंथ सभा के प्रमुख ग्रंथी गुरमत प्रचारक ज्ञानी जसवीर सिंह राणा ने बताया 50 साल पहले सिख समुदाय के बड़े कथावाचक ज्ञानी संतसिंघ मस्कीन द्वारा इतिहास के आधार पर ओंकारेश्वर में उस स्थान की खोज की जहां गुरुनानक देव जी ने आए थे. इसके बाद 50 साल पहले संगत के सहयोग से ओंकारेश्वर में गुरुद्वारा बनवाया गया था.


Conclusion:यह लिखा गुरुनानक देवजी ने ओंकारवाणी में

रामकली महला 1 दखनी ओअंकारु सतिगुरप्रसादि।।
ओअंकारि ब्रहमा उतपति।।
ओअंकारु कीआ जिनि चिति ।।
ओअंकारि सैल जुग भए।।
ओअंकारि बेद निरमए ।।
अर्थात
ओंकार वह पर्वत हैं जिसने ब्रह्मा को पैदा किया. पूरी सृष्टि को पैदा करने वाला ओंकार हैं. वहीं सृष्टि को पालता हैं. उसी ने वेदों का निर्माण किया.

byte - ज्ञानी जसवीर सिंह राणा, प्रमुख ग्रंथी गुरमत प्रचारक, गुरुग्रंथ सभा
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