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2 बेटियों ने दी मां को मुखाग्नि, गुरुवाणी का किया अनुसरण

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Published : Jun 19, 2020, 4:37 PM IST

खंडवा में सिख समाज की दो बेटियों ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया और समाज के सामने उदाहरण पेश किया.

khandwa
बेटियों ने दी मां को मुखाग्नि

खंडवा। सिख पंथ के संस्थापक गुरु गुरूनानक देव ने पुरुष और स्त्री को बराबर का दर्जा दिया है. वहीं खंडवा में सिख समाज द्वारा परिवार में मां की मौत के बाद दो बेटियों ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर गुरुनानक की गुरुवाणी का सही मायने में अनुसरण किया.

दरअसल, गुरुनानक स्कूल की प्राचार्य, दूध तलाई निवासी रणजीत कौर होरा के निधन के बाद मुखाग्नि देने के लिए परिवार में उनका कोई बेटा नहीं था. वहीं रणजीत कौर की 2 बेटियां सिल्की कौर टूटेजा और सोनम कौर होरा ने मां को मुखाग्नि देने की इच्छा जताई, इस पर मामा भूपेंद्र सिंह खनूजा ने सहमति दे दी और हरिश्चंद्र मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.

इस वाकये में सिख समाज के 10वें गुरु गुरुनानक देव जी द्वारा गुरुवाणी में लिखी गई बात महिलाओं को पुरुषों के बराबर दिए गए दर्जे का अनुसरण किया गया. 'सो क्यों मंदा आखिए, जित जन्मे राजानइन' पंक्तियों के माध्यम से गुरुनानक जी ने कहा हैं कि 'उन महिलाओं को क्यों बुरा कहें जो राजाओं और वीरों को पैदा करती हैं'

वहीं अंतिम संस्कार में 20 लोग ही शामिल हुए, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पालन करते हुए इस अंतिम संस्कार को पूरा किया गया.

खंडवा। सिख पंथ के संस्थापक गुरु गुरूनानक देव ने पुरुष और स्त्री को बराबर का दर्जा दिया है. वहीं खंडवा में सिख समाज द्वारा परिवार में मां की मौत के बाद दो बेटियों ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर गुरुनानक की गुरुवाणी का सही मायने में अनुसरण किया.

दरअसल, गुरुनानक स्कूल की प्राचार्य, दूध तलाई निवासी रणजीत कौर होरा के निधन के बाद मुखाग्नि देने के लिए परिवार में उनका कोई बेटा नहीं था. वहीं रणजीत कौर की 2 बेटियां सिल्की कौर टूटेजा और सोनम कौर होरा ने मां को मुखाग्नि देने की इच्छा जताई, इस पर मामा भूपेंद्र सिंह खनूजा ने सहमति दे दी और हरिश्चंद्र मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.

इस वाकये में सिख समाज के 10वें गुरु गुरुनानक देव जी द्वारा गुरुवाणी में लिखी गई बात महिलाओं को पुरुषों के बराबर दिए गए दर्जे का अनुसरण किया गया. 'सो क्यों मंदा आखिए, जित जन्मे राजानइन' पंक्तियों के माध्यम से गुरुनानक जी ने कहा हैं कि 'उन महिलाओं को क्यों बुरा कहें जो राजाओं और वीरों को पैदा करती हैं'

वहीं अंतिम संस्कार में 20 लोग ही शामिल हुए, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पालन करते हुए इस अंतिम संस्कार को पूरा किया गया.

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