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बर्बाद हुई 15 लाख क्विंटल प्याज, भारी बारिश के साथ निर्यात पर रोक से बढ़ी किसान की चिंता

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Published : Sep 29, 2019, 11:28 PM IST

खंडवा में भारी बारिश से प्याज की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. जिसके चलते किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. प्रशासन सर्वे कर नुकसान का पता लगाने में तो जुटा हुआ है पर कार्य मध्यम गति से चल रहा है. दूसरी ओर केंद्र सरकार ने इस साल प्याज के निर्यात पर भी रोक लगा दी है, जिसके कारण किसानों की चिंता और भी बढ़ गई है.

बर्बाद हुई 15 लाख क्विंटल प्याज

खंडवा। जिले में अतिवृष्टि से सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ हैं. लेकिन इस साल प्याज का उत्पादन बड़ी मात्रा में प्रभावित हुआ है. भारी बारिश के चलते जिले की लगभग 15 लाख क्विंटल प्याज खराब हो चुकी है. हालात ये हैं कि किसानों के खेत में ही प्याज सड़कर खराब हो गई है, जिसके चलते प्याज उत्पादक किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है.

बर्बाद हुई 15 लाख क्विंटल प्याज


प्रशासन के द्वारा नुकसान का सर्वे कार्य धीमी गति से चल रहा हैं. जिसके चलते प्रशासन नुकसान की स्थिति के संबंध में कुछ भी बोलने से बच रहा है. वहीं केंद्र सरकार ने प्याज की कमी को देखते हुए प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है.

किसानों का कहना है कि अतिवृष्टि से जिले में प्याज की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है, जिस वजह से प्याज के दाम भी उछाल मार रहे हैं. साथ ही प्याज का कोई स्टॉक भी नही हैं. प्रति एकड़ प्याज उत्पादन में 35-45 हजार का लागत आती है. इसमें बुआई से लेकर घर तक लाने का खर्च शामिल है. केंद्र सरकार को प्याज का आयात बंद करना चाहिए और जो निर्यात बंद किया गया है, उसे शुरु कर देना चाहिए. साथ ही अतिवृष्टि से जो प्याज कि फसलें खराब हुई हैं, उसका किसानों को मुआवजा भी मिलना चाहिए.

बता दें कि जिले में साल दर साल प्याज के रकबे में कमी आई है. साल 2017 में जहां प्याज का रकबा 8 हजार हेक्टेयर था, वहीं 2018 में 5 हजार 500 हेक्टेयर पहुंच गया है, इस साल महज 5 हजार हेक्टेयर में ही प्याज बोया गया.

खंडवा। जिले में अतिवृष्टि से सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ हैं. लेकिन इस साल प्याज का उत्पादन बड़ी मात्रा में प्रभावित हुआ है. भारी बारिश के चलते जिले की लगभग 15 लाख क्विंटल प्याज खराब हो चुकी है. हालात ये हैं कि किसानों के खेत में ही प्याज सड़कर खराब हो गई है, जिसके चलते प्याज उत्पादक किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है.

बर्बाद हुई 15 लाख क्विंटल प्याज


प्रशासन के द्वारा नुकसान का सर्वे कार्य धीमी गति से चल रहा हैं. जिसके चलते प्रशासन नुकसान की स्थिति के संबंध में कुछ भी बोलने से बच रहा है. वहीं केंद्र सरकार ने प्याज की कमी को देखते हुए प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है.

किसानों का कहना है कि अतिवृष्टि से जिले में प्याज की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है, जिस वजह से प्याज के दाम भी उछाल मार रहे हैं. साथ ही प्याज का कोई स्टॉक भी नही हैं. प्रति एकड़ प्याज उत्पादन में 35-45 हजार का लागत आती है. इसमें बुआई से लेकर घर तक लाने का खर्च शामिल है. केंद्र सरकार को प्याज का आयात बंद करना चाहिए और जो निर्यात बंद किया गया है, उसे शुरु कर देना चाहिए. साथ ही अतिवृष्टि से जो प्याज कि फसलें खराब हुई हैं, उसका किसानों को मुआवजा भी मिलना चाहिए.

बता दें कि जिले में साल दर साल प्याज के रकबे में कमी आई है. साल 2017 में जहां प्याज का रकबा 8 हजार हेक्टेयर था, वहीं 2018 में 5 हजार 500 हेक्टेयर पहुंच गया है, इस साल महज 5 हजार हेक्टेयर में ही प्याज बोया गया.

Intro:खंडवा - जिले में इस साल भारी बारिश से प्याज की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक जिले में लाखों क्विंटल प्याज़ की फसल खराब हो चुकी है. इससे प्याज उत्पादन करने वाले किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. वहीं प्रशासन सर्वे से नुकसान का पता लगाने में जुटा हुआ है. हालांकि सर्वे का कार्य अभी माध्यम गति से चल रहा हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने इस वर्ष प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी हैं.

Body:खंडवा में अतिवृष्टि से सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ हैं. लेकिन इस साल जिले में प्याज़ का उत्पादन बड़ी मात्रा में प्रभावित हुआ है. भारी बारिश के चलते लगभग 15 लाख क्विंटल प्याज खराब हो चुकी हैं. हालात यह कि किसान के खेत में ही प्याज सड़कर खराब हो गई. इसके चलते प्याज उत्पादक किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. वहीं प्रशासन के द्वारा नुकसान का सर्वे कार्य धीमी गति से चल रहा हैं. इस वजह प्रशासन नुकसान की स्थिति के संबंध में कुछ भी बोलने से बच रहा हैं. वहीं अब के केंद्र सरकार प्याज की कमी को देखते हुए बड़ा फैसला लेते हुए प्याज़ के निर्यात पर रोक लगा दी हैं.

Conclusion:किसानों का दर्द

खंडवा के किसानों का कहना है अतिवृष्टि से जिले में प्याज की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी हैं इसी वजह से प्याज के दाम भी उछाल मार रहे हैं. क्योंकि किसानों के पास में प्याज़ का कोई स्टॉक नही हैं. किसान के मुताबिक एक प्रति एकड़ प्याज उत्पादन में 35-45 हजार का नुकसान आता हैं. इसमें बुआई से लेकर घर तक लाने का खर्च शामिल हैं.

3 सालों में प्याज़ का रकबा 9 हजार हेक्टेयर से 5 हजार

जिले में साल दर साल प्याज़ के रकबे में कमी आई हैं साल 2017 में 8 हजार हेक्टेयर , 2018 में 5500 हेक्टेयर, वही इस साल का महज 5 हजार हेक्टेयर में प्याज़ बोया गया था.

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