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बिलहरी के चंडी माता मंदिर में बनाई जा रही सप्तग्रह वाटिका, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा - मां चंडी माता मंदिर

कटनी जिले के बिलहरी में पौराणिक देवी कंकाली व मा चंडी माता मंदिर में सप्त गृह वाटिका बनावाई जा रही है. जिसकी लागत आठ लाख रुपये है. इस वाटिका में ग्रहों को शांत करने वाले दुर्लभ पौधे लगाए जाएंगे. जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

Saptagrah Vatika being built in Chandi Mata temple of Bilhari
बिलहरी के चंडी माता मंदिर में बनाई जा रही सप्तग्रह वाटिका
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Published : Sep 29, 2020, 6:11 PM IST

कटनी। पौराणिक मान्यताओं और आस्था की पावन नगरी बिलहरी में ईष्ट देवी कंकाली व मां चंडी माता मंदिर का मंदिर स्थित है. जिसका निर्माण राजा कर्ण ने कराया था. इस मंदिर की महत्ता को देखते हुए यहां कई निर्माण कराए गए. जिसमें नवग्रह यज्ञ वेदी और हवन कुंड शामिल हैं. गांव के सरपंच द्वारा मंदिर परिसर में सप्त गृह वाटिका बनावाई जा रही है. जिसकी लागत आठ लाख रुपये है.

सरपंच गौरीशंकर ने बताया कि इस वाटिका में एक गोल घेरा है, जिसे पुरातन सप्तग्रह की तरह तैयार किया गया है. इसमें कोटा स्टोन और कंक्रीट का फर्श तैयार किया जाएगा. इस वाटिका में ग्रहों को शांत करने वाले दुर्लभ पौधे लगाए जाएंगे, जिनमें कुशा का पौधा, खैर, पीपल, चिरचिंता, धुर्वा, शम्मी ,शीशम, पलाश, मंदार या आक, गूलर का पौधे लगाए जाएंगे.

अभी सिर्फ वाटिका का ढांचा तैयार किया गया है. वाटिका को तैयार होने में करीब 6 माह का समय लगेगा. इस वाटिका में लोग ग्रहों को शांत करने पूजन आदि कर सकेंगे. साथ ही इससे पर्यटन को भी क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा.

बिलहरी में सैकड़ों मंदिर और मठ हैं, जो राजा कर्ण की नगरी को खास बनाते हैं, लेकिन इसमें से राजा कि ईष्ट देवी कंकाली व मां चंडी माता मंदिर काफी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि राजा के शासनकाल में माता प्रजा के लिए सवा मन सोना प्रतिदिन राजा को देती थी, जिसे राजा कर्ण प्रतिदिन मंदिर परिसर से प्रजा को बांटते थे.

कटनी। पौराणिक मान्यताओं और आस्था की पावन नगरी बिलहरी में ईष्ट देवी कंकाली व मां चंडी माता मंदिर का मंदिर स्थित है. जिसका निर्माण राजा कर्ण ने कराया था. इस मंदिर की महत्ता को देखते हुए यहां कई निर्माण कराए गए. जिसमें नवग्रह यज्ञ वेदी और हवन कुंड शामिल हैं. गांव के सरपंच द्वारा मंदिर परिसर में सप्त गृह वाटिका बनावाई जा रही है. जिसकी लागत आठ लाख रुपये है.

सरपंच गौरीशंकर ने बताया कि इस वाटिका में एक गोल घेरा है, जिसे पुरातन सप्तग्रह की तरह तैयार किया गया है. इसमें कोटा स्टोन और कंक्रीट का फर्श तैयार किया जाएगा. इस वाटिका में ग्रहों को शांत करने वाले दुर्लभ पौधे लगाए जाएंगे, जिनमें कुशा का पौधा, खैर, पीपल, चिरचिंता, धुर्वा, शम्मी ,शीशम, पलाश, मंदार या आक, गूलर का पौधे लगाए जाएंगे.

अभी सिर्फ वाटिका का ढांचा तैयार किया गया है. वाटिका को तैयार होने में करीब 6 माह का समय लगेगा. इस वाटिका में लोग ग्रहों को शांत करने पूजन आदि कर सकेंगे. साथ ही इससे पर्यटन को भी क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा.

बिलहरी में सैकड़ों मंदिर और मठ हैं, जो राजा कर्ण की नगरी को खास बनाते हैं, लेकिन इसमें से राजा कि ईष्ट देवी कंकाली व मां चंडी माता मंदिर काफी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि राजा के शासनकाल में माता प्रजा के लिए सवा मन सोना प्रतिदिन राजा को देती थी, जिसे राजा कर्ण प्रतिदिन मंदिर परिसर से प्रजा को बांटते थे.

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