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झाबुआ: स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल, जिला अस्पताल में बंद पड़ी है एक्स-रे मशीन, मरीज हो रहे परेशान

जिले के मेघनगर के सरकारी अस्पताल में पिछले 25 दिनों से एक्स-रे मशीन बंद पड़ी है, जिसके चलते इलाज कराने आये मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

सरकारी अस्पताल में बीमार एक्स-रे मशीन
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Published : Aug 17, 2019, 3:31 PM IST

झाबुआ। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के बड़े- बड़े दावे कर रही हो, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं दम तोड़ती नजर आ रही हैं. जिला अस्पताल में एक्स-रे मशीन पिछले 25 दिन से खराब पड़ी है, मरीज परेशान हो रहे हैं लेकिन अधिकारियों के कान पर जू तक नहीं रेंग रही है.

सरकारी अस्पताल में बीमार एक्स-रे मशीन

मरीजों को निजी लैब पर जाकर महंगे दामों पर एक्स-रे कराना पड़ रहा है. बावजूद इसके अस्तपाल प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.बड़ी बात तो ये है कि एक्स-रे मशीन इतनी पुरानी है, कि उसके खराब पुर्जे भी बाजार में उपलब्ध नहीं है. बताया जा रहा है कि भोपाल से इंजीनियर बुलाकर मशीन के पुर्जे लेकर गया है. जब ठिक हो जायेगे तब मशीन शुरू होगी.

हालांकि प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार का ढिंढोरा पीटती है, लेकिन इन अस्पतालों में ना तो पर्याप्त डॉक्टर है और न ही जरूरी संसाधन. जिसका खामियाजा अस्पताल में इलाज कराने आये लोगों को भुगतना पड़ रहा है. आदिवासी बहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था चरमराई हुई है.

झाबुआ। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के बड़े- बड़े दावे कर रही हो, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं दम तोड़ती नजर आ रही हैं. जिला अस्पताल में एक्स-रे मशीन पिछले 25 दिन से खराब पड़ी है, मरीज परेशान हो रहे हैं लेकिन अधिकारियों के कान पर जू तक नहीं रेंग रही है.

सरकारी अस्पताल में बीमार एक्स-रे मशीन

मरीजों को निजी लैब पर जाकर महंगे दामों पर एक्स-रे कराना पड़ रहा है. बावजूद इसके अस्तपाल प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.बड़ी बात तो ये है कि एक्स-रे मशीन इतनी पुरानी है, कि उसके खराब पुर्जे भी बाजार में उपलब्ध नहीं है. बताया जा रहा है कि भोपाल से इंजीनियर बुलाकर मशीन के पुर्जे लेकर गया है. जब ठिक हो जायेगे तब मशीन शुरू होगी.

हालांकि प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार का ढिंढोरा पीटती है, लेकिन इन अस्पतालों में ना तो पर्याप्त डॉक्टर है और न ही जरूरी संसाधन. जिसका खामियाजा अस्पताल में इलाज कराने आये लोगों को भुगतना पड़ रहा है. आदिवासी बहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था चरमराई हुई है.

Intro:झाबुआ: सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के नाम पर भले ही अपनी पीठ थपथपाने का काम करें मगर जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है । जिले के सबसे बड़े सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में शामिल मेघनगर के सरकारी अस्पताल में पिछले 20-25 दिनों से एक्स रे मशीन बंद पड़ी है जिसकी ओर न तो विभागीय अधिकारियों का धान है और ना ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों का।


Body:सरकार सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार उपचार का ढिंढोरा पीटती है, मगर इन अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के साथ-साथ जरूरी संसाधनों की कमी के चलते गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पाता, जिसके चलते कई बार उन्हें बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।


Conclusion:आदिवासी बहुल जिला होने के कारण न तो राज्य सरकार और ना ही केंद्र की सरकार यहां के बाशिंदों के लिए अच्छे स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था कर रही है । जिले के अधिकार सरकारी अस्पतालों में पुराने संसाधनों के कारण इसी तरह की समस्याएं सामने आती है। मेघनगर की एक्स -रे मशीन 20-25 साल पुरानी बताई जा रही है ,जिसके खराब हुए कल पुर्जे भी बाजार में उपलब्ध नहीं है, लिहाजा भोपाल के इंजीनियरिंग मशीन के पुर्जे खोल कर अपने साथ ले गए हैं ।मशीन के ना चलने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों एक्स- रे करवाना पड़ रहा है जो काफी महंगा साबित हो रहा है ।
बाइट : प्रकाश मुनिया , रेडियोग्राफर
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