झाबुआ। स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन की 40 हेक्टेयर की खदान पिछले चार-पांच सालों से बंद पड़ी है. इस खदान के बंद होने से क्षेत्र पांच हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. जिसकी वजह से लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट, छोटी ग्राइंडिंग यूनिट भी बंद हो गई.
जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गुवाली, खटाम्बा, केलकुआं में रॉक फास्फेट खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. ढाई लाख मिट्रीक टन रॉक फास्फेट की क्षमता वाली इन खदानों में विभागीय अड़चनों के चलते लंबे समय से खनन काम बंद है. खदान से कच्चा माल न मिलने के कारण रॉक फास्फेट आधारित बीआरपी प्लांट, एपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बिक चुका है.
रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट, छोटी ग्राइंडिंग यूनिट भी बंद हो गई जिससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है. खदान बंद होने से सरकार को न सिर्फ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि पिछले चार सालों में करोड़ों रूपए इस खदान में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो चुका है.
रॉक फास्फेट की खदान के बंद होने से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5 हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. इस खदान के चालू होने से न सिर्फ क्षेत्र का औद्योगिक विकास होगा बल्कि आस-पास के गांव में रोजगार की समस्या भी दूर होगी.