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झाबुआ: सालों से बंद पड़ी है रॉक फास्फेट की खदान, हजारों लोग हुए बेरोजगार - ट्रांसपोर्ट

स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन की 40 हेक्टेयर की खदान पिछले चार-पांच सालों से बंद पड़ी है. इस खदान के बंद होने से क्षेत्र पांच हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. जिसकी वजह से लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा.

सालों से बंद पड़ी है रॉक फास्फेट की खदान
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Published : Jun 1, 2019, 5:52 PM IST

झाबुआ। स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन की 40 हेक्टेयर की खदान पिछले चार-पांच सालों से बंद पड़ी है. इस खदान के बंद होने से क्षेत्र पांच हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. जिसकी वजह से लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट, छोटी ग्राइंडिंग यूनिट भी बंद हो गई.

सालों से बंद पड़ी है रॉक फास्फेट की खदान

जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गुवाली, खटाम्बा, केलकुआं में रॉक फास्फेट खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. ढाई लाख मिट्रीक टन रॉक फास्फेट की क्षमता वाली इन खदानों में विभागीय अड़चनों के चलते लंबे समय से खनन काम बंद है. खदान से कच्चा माल न मिलने के कारण रॉक फास्फेट आधारित बीआरपी प्लांट, एपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बिक चुका है.
रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट, छोटी ग्राइंडिंग यूनिट भी बंद हो गई जिससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है. खदान बंद होने से सरकार को न सिर्फ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि पिछले चार सालों में करोड़ों रूपए इस खदान में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो चुका है.
रॉक फास्फेट की खदान के बंद होने से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5 हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. इस खदान के चालू होने से न सिर्फ क्षेत्र का औद्योगिक विकास होगा बल्कि आस-पास के गांव में रोजगार की समस्या भी दूर होगी.

झाबुआ। स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन की 40 हेक्टेयर की खदान पिछले चार-पांच सालों से बंद पड़ी है. इस खदान के बंद होने से क्षेत्र पांच हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. जिसकी वजह से लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट, छोटी ग्राइंडिंग यूनिट भी बंद हो गई.

सालों से बंद पड़ी है रॉक फास्फेट की खदान

जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गुवाली, खटाम्बा, केलकुआं में रॉक फास्फेट खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. ढाई लाख मिट्रीक टन रॉक फास्फेट की क्षमता वाली इन खदानों में विभागीय अड़चनों के चलते लंबे समय से खनन काम बंद है. खदान से कच्चा माल न मिलने के कारण रॉक फास्फेट आधारित बीआरपी प्लांट, एपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बिक चुका है.
रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट, छोटी ग्राइंडिंग यूनिट भी बंद हो गई जिससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है. खदान बंद होने से सरकार को न सिर्फ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि पिछले चार सालों में करोड़ों रूपए इस खदान में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो चुका है.
रॉक फास्फेट की खदान के बंद होने से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5 हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया. इस खदान के चालू होने से न सिर्फ क्षेत्र का औद्योगिक विकास होगा बल्कि आस-पास के गांव में रोजगार की समस्या भी दूर होगी.

Intro:झाबुआ : खनिज संसाधनों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता के बावजूद झाबुआ जिले का विकास ना हो पाना सरकार के असंवेदनशील रवैया का जीता जागता प्रमाण है। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गुवाली ,खटाम्बा, केलकुआँ में रॉक फास्फेट खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है ,मगर सरकार की नीतियों के चलते रॉक फास्फेट की खदान सरकारी उपक्रम में होने के बावजूद पिछले 6 सालों से बंद पड़ी है। इस खदान के बंद होने से जिले के मेघनगर का ट्रांसपोर्ट उद्योग, औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित दर्जनों ग्राइंडिंग इकाइयां बंद हो चुकी है ।


Body:ढाई लाख मैट्रिक टन रॉक फास्फेट की क्षमता वाली इन खदानों में विभागीय अड़चनों के चलते लंबे समय से खनन काम बंद है। खदान से कच्चा माल ना मिलने के कारण रॉक फास्फेट आधारित बीआरपी प्लांट एपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बधाल होकर बिक चुका है वही केपीएल इंपोर्टेड रॉक के सहारे संघर्ष करता दिखाई दे रहा है । रॉक फास्फेट खदान के बंद होने से ट्रांसपोर्ट ,छोटी ग्राइंडिंग यूनिट , आदी भी बंद हो गई जिससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैली मगर इस समस्या को न तो भाजपा की सरकार ने और ना ही वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने कोई तवज्जो दी ।


Conclusion:करोड़ों रुपए के राजस्व वाली एमपी स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन की इन खदानों के लंबे अरसे से बंद है होने के कारण सरकार को इससे आय की बजाए इन खदानों के रखरखाव और कर्मचारियों के वेतन करोड़ खर्च करना पड़ रहा है । रॉक फास्फेट की खदान के बंद होने से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5000 से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया मगर इस ज्वलंत मुद्दे पर कभी किसी जनप्रतिनिधि ने दलगत राजनीति से हट कर सरकार का विरोध नही किया और ना ही इससे जुड़ा कोई सवाल विधान सभा मे उठाया ।
पीटीसी राजेंद्र सिंह सोनगरा संवादाता झाबुआ
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