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संस्कारधानी में सुरक्षित नहीं बेटियां

संस्कारधानी जबलपुर में आए दिन महिलाओं, युवतियों और यहां तक कि नाबालिगों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आ रही हैं. हालांकि लॉकडाउन के दौरान महिला अपराधों में खासा कमी आई है. पढ़िए यह खास रिपोर्ट..

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संस्कारधानी में सुरक्षित नहीं बेटियां
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Published : Dec 26, 2020, 8:11 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में हर रोज नाबालिग लड़कियों और महिलाओं से छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, बलात्कार और अपहरण जैसे मामले सामने आते हैं. इनमें से भी कुछ ही मामले थाने तक पहुंचते हैं. जिनमें शिकायतकर्ता हिम्मत जुटाकर रिपोर्ट दर्ज करवाता है तो वहीं कुछ मामले फर्जी भी होते हैं. कई मामलों में तो पीड़ित को न्याय भी नहीं मिल पाता, जिससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं.

संस्कारधानी में सुरक्षित नहीं बेटियां

महिलाओं से जुड़े अपराध 2018, 2019 और 2020 कि यदि तुलना की जाए तो 2020 में महिलाओं पर हुए मामलों में कुछ कमी देखने को मिल रही है. हालांकि इसकी एक वजह कोरोना संक्रमण भी बताई जा रही है. क्योंकि लंबे समय तक लॉकडाउन रहा और सामाजिक गतिविधियां लगभग बंद रही, इसलिए महिलाओं के खिलाफ मामले भी कम दर्ज किए गए . यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो रोज कम से कम तीन महिलाओं के साथ कहीं ना कहीं आपराधिक घटनाएं घट रही हैं.

  • क्या कहते हैं आंकड़े?
अपराध201820192020
हत्या 1912 11
हत्या का प्रयास 12 4 5
छेड़छाड़ 328 291 263
अपहरण 288 346 265
रेप 163 107 156
आत्महत्या के लिए मजबूर करना 23 2221
दहेज हत्या 14 20 15
दहेज प्रताड़ना 113 186 170
लूट 47 19 6

कानून में महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है. छेड़छाड़ तो दूर सामान्य तौर पर घूरने को भी अपराध की श्रेणी में माना गया है. लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध सामने आ रहे हैं. हालांकि सरकार की ओर से महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था की गई है:-

1. पुलिस की कोड रेड टीम

महिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस ने हर जिले में कोड रेट टीम बना कर रखी है. यह सोशल पुलिसिंग का एक जरिया है. इसका एक टोल फ्री नंबर 1090 है. इस पर शिकायत करके कोड रेड टीम को तुरंत बुलाया जा सकता है.

कोड रेड टीम के पुलिसकर्मी सादा वर्दी में भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी गश्त करते हैं. इन पुलिस अधिकारियों का दावा है कि यदि कोई महिलाओं और लड़कियों से बदतमीजी करता हुआ नजर आता है तो उसको तुरंत धर दबोचा जाता है. कोड रेड में जरूरी नहीं है कि मामले को दर्ज ही किया जाए. समझाइश देकर भी लोगों को छोड़ दिया जाता है.

2. महिला थाना पुलिस में करें शिकायत

यूं तो आप महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में किसी भी थाने में शिकायत कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए अलग से एक थाना भी जिले में है. जिसमें केवल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की तफ्तीश की जाती है. यहां पर कोई भी महिला अपने ऊपर होने वाले अत्याचार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकती है.

3. कोर्ट में सीधी शिकायत

यदि थाना स्तर पर आपकी शिकायत नहीं सुनी जा रही है तो कानून में यह व्यवस्था भी है कि जिला अदालत में आप सीधे शिकायत दे सकते हैं, जिसे बाद में कोर्ट के माध्यम से संबंधित थाने तक पहुंचाया जाता है और न्याय दिलवाया जाता है. इसके अलावा महिला आयोग को भी अपराध के खिलाफ शिकायत सुनने का अधिकार है.

पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया का आरोप

कानून में तो महिलाओं को एक विशेष दर्जा मिला हुआ है. उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. लेकिन इनको अंजाम देने वाला सरकारी अमला सही ढंग से काम नहीं करता. मध्य प्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया का आरोप है कि पुलिस जो आंकड़े पेश कर रही है वे झूठे हैं. कौशल्या गोटिया का कहना है कि आधे से ज्यादा मामलों में तो पुलिस शिकायत ही दर्ज नहीं करती और उन्हें थाने से ही वापस कर दिया जाता है. एक नए किस्म की छेड़छाड़ जो छोटी बच्चियों से लेकर उम्रदराज महिलाओं तक को परेशान कर रही है, वह सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुई है. इसमें लड़कियों के और महिलाओं के नंबर मनचले प्राप्त कर अश्लील मैसेज और वीडियो भेजकर परेशान किया जाता है. बहुत सारी महिलाएं और लड़कियां इंसाफ ना मिलने की वजह से शिकायत ही दर्ज नहीं करवाती हैं. कौशल्या गोटिया का कहना है कि वे खुद फरियादी के साथ कई बार शिकायत दर्ज करवाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के सामने खड़ी हुई हैं.

जबलपुर। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में हर रोज नाबालिग लड़कियों और महिलाओं से छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, बलात्कार और अपहरण जैसे मामले सामने आते हैं. इनमें से भी कुछ ही मामले थाने तक पहुंचते हैं. जिनमें शिकायतकर्ता हिम्मत जुटाकर रिपोर्ट दर्ज करवाता है तो वहीं कुछ मामले फर्जी भी होते हैं. कई मामलों में तो पीड़ित को न्याय भी नहीं मिल पाता, जिससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं.

संस्कारधानी में सुरक्षित नहीं बेटियां

महिलाओं से जुड़े अपराध 2018, 2019 और 2020 कि यदि तुलना की जाए तो 2020 में महिलाओं पर हुए मामलों में कुछ कमी देखने को मिल रही है. हालांकि इसकी एक वजह कोरोना संक्रमण भी बताई जा रही है. क्योंकि लंबे समय तक लॉकडाउन रहा और सामाजिक गतिविधियां लगभग बंद रही, इसलिए महिलाओं के खिलाफ मामले भी कम दर्ज किए गए . यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो रोज कम से कम तीन महिलाओं के साथ कहीं ना कहीं आपराधिक घटनाएं घट रही हैं.

  • क्या कहते हैं आंकड़े?
अपराध201820192020
हत्या 1912 11
हत्या का प्रयास 12 4 5
छेड़छाड़ 328 291 263
अपहरण 288 346 265
रेप 163 107 156
आत्महत्या के लिए मजबूर करना 23 2221
दहेज हत्या 14 20 15
दहेज प्रताड़ना 113 186 170
लूट 47 19 6

कानून में महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है. छेड़छाड़ तो दूर सामान्य तौर पर घूरने को भी अपराध की श्रेणी में माना गया है. लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध सामने आ रहे हैं. हालांकि सरकार की ओर से महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था की गई है:-

1. पुलिस की कोड रेड टीम

महिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस ने हर जिले में कोड रेट टीम बना कर रखी है. यह सोशल पुलिसिंग का एक जरिया है. इसका एक टोल फ्री नंबर 1090 है. इस पर शिकायत करके कोड रेड टीम को तुरंत बुलाया जा सकता है.

कोड रेड टीम के पुलिसकर्मी सादा वर्दी में भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी गश्त करते हैं. इन पुलिस अधिकारियों का दावा है कि यदि कोई महिलाओं और लड़कियों से बदतमीजी करता हुआ नजर आता है तो उसको तुरंत धर दबोचा जाता है. कोड रेड में जरूरी नहीं है कि मामले को दर्ज ही किया जाए. समझाइश देकर भी लोगों को छोड़ दिया जाता है.

2. महिला थाना पुलिस में करें शिकायत

यूं तो आप महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में किसी भी थाने में शिकायत कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए अलग से एक थाना भी जिले में है. जिसमें केवल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की तफ्तीश की जाती है. यहां पर कोई भी महिला अपने ऊपर होने वाले अत्याचार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकती है.

3. कोर्ट में सीधी शिकायत

यदि थाना स्तर पर आपकी शिकायत नहीं सुनी जा रही है तो कानून में यह व्यवस्था भी है कि जिला अदालत में आप सीधे शिकायत दे सकते हैं, जिसे बाद में कोर्ट के माध्यम से संबंधित थाने तक पहुंचाया जाता है और न्याय दिलवाया जाता है. इसके अलावा महिला आयोग को भी अपराध के खिलाफ शिकायत सुनने का अधिकार है.

पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया का आरोप

कानून में तो महिलाओं को एक विशेष दर्जा मिला हुआ है. उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. लेकिन इनको अंजाम देने वाला सरकारी अमला सही ढंग से काम नहीं करता. मध्य प्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया का आरोप है कि पुलिस जो आंकड़े पेश कर रही है वे झूठे हैं. कौशल्या गोटिया का कहना है कि आधे से ज्यादा मामलों में तो पुलिस शिकायत ही दर्ज नहीं करती और उन्हें थाने से ही वापस कर दिया जाता है. एक नए किस्म की छेड़छाड़ जो छोटी बच्चियों से लेकर उम्रदराज महिलाओं तक को परेशान कर रही है, वह सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुई है. इसमें लड़कियों के और महिलाओं के नंबर मनचले प्राप्त कर अश्लील मैसेज और वीडियो भेजकर परेशान किया जाता है. बहुत सारी महिलाएं और लड़कियां इंसाफ ना मिलने की वजह से शिकायत ही दर्ज नहीं करवाती हैं. कौशल्या गोटिया का कहना है कि वे खुद फरियादी के साथ कई बार शिकायत दर्ज करवाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के सामने खड़ी हुई हैं.

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