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झाबुआ में क्या है रैन बसेरे हाल ? जानने के लिए देखें रियलिटी चेक - Reality check of Jhabuas Rain Shelter

प्रदेशभर में कड़ाके ठंड का दौर जारी है, इन हालातों में जिलों में बाहर आ आए यात्रियों और बेसहारा लोगों को रात गुजारने के लिए रैन बसेरों में व्यवस्था की गई है. झाबुआ में क्या है रैन बसेरे का हाल, रियलिटी चेक किया ETV भारत संवाददाता ने.

night Shelter, Jhabua
रैन बसेरा, झाबुआ
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Published : Jan 16, 2020, 9:29 AM IST

झाबुआ। नगर पालिका ने जिला मुख्यालय पर आम और गरीब लोगों को रात गुजारने के लिए निःशुल्क आश्रय स्थल बनाया है, बस स्टॉप के पास ही नगर पालिका में रैन बसेरा बना हुआ है, जिसमें 15 महिला और 15 पुरुष के रुकने की व्यवस्था की गई है, यहां महिला और पुरुष के लिए अलग अलग कक्ष हैं, जबकि मनोरंजन के लिए टीवी सेट भी लगाए गए हैं.

झाबुआ के रैन बसेरे का रियलिटी चेक

मंगलवार देर रात ईटीवी भारत मध्यप्रदेश की टीम ने झाबुआ के रैन बसेरे का रियलिटी चेक किया, इस दौरान पाया कि, रैन बसेरे में लोगों के लिए सुविधाएं तो पर्याप्त मौजूद थी, मगर उसका लाभ उठाने वाले नदारद रहे. आश्रय स्थल के बाहर नगर पालिका ने अलाव की व्यवस्था भी की है, जहां इक्का-दुक्का लोग अलाव से हाथ सेकते नजर आए.

नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा झाबुआ जिले की एकमात्र नगर पालिका में रैन बसेरे की व्यवस्था की गई है, जबकि मेघनगर, राणापुर, पेटलावद और थांदला नगर परिषद में ऐसी व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते वहां के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता. झाबुआ में रैन बसेरे में कम ही लोग रात गुजारने के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि ये सुविधा नि:शुल्क है. रैन बसेरे में लोगों को रात रुकने के लिए सुविधाएं दी जाती है. मगर इसका प्रचार-प्रसार ना होने के चलते अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, लिहाजा कम लोग इसका उपयोग कर पा रहे हैं.

झाबुआ। नगर पालिका ने जिला मुख्यालय पर आम और गरीब लोगों को रात गुजारने के लिए निःशुल्क आश्रय स्थल बनाया है, बस स्टॉप के पास ही नगर पालिका में रैन बसेरा बना हुआ है, जिसमें 15 महिला और 15 पुरुष के रुकने की व्यवस्था की गई है, यहां महिला और पुरुष के लिए अलग अलग कक्ष हैं, जबकि मनोरंजन के लिए टीवी सेट भी लगाए गए हैं.

झाबुआ के रैन बसेरे का रियलिटी चेक

मंगलवार देर रात ईटीवी भारत मध्यप्रदेश की टीम ने झाबुआ के रैन बसेरे का रियलिटी चेक किया, इस दौरान पाया कि, रैन बसेरे में लोगों के लिए सुविधाएं तो पर्याप्त मौजूद थी, मगर उसका लाभ उठाने वाले नदारद रहे. आश्रय स्थल के बाहर नगर पालिका ने अलाव की व्यवस्था भी की है, जहां इक्का-दुक्का लोग अलाव से हाथ सेकते नजर आए.

नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा झाबुआ जिले की एकमात्र नगर पालिका में रैन बसेरे की व्यवस्था की गई है, जबकि मेघनगर, राणापुर, पेटलावद और थांदला नगर परिषद में ऐसी व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते वहां के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता. झाबुआ में रैन बसेरे में कम ही लोग रात गुजारने के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि ये सुविधा नि:शुल्क है. रैन बसेरे में लोगों को रात रुकने के लिए सुविधाएं दी जाती है. मगर इसका प्रचार-प्रसार ना होने के चलते अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, लिहाजा कम लोग इसका उपयोग कर पा रहे हैं.

Intro:झाबुआ : नगर पालिका द्वारा जिला मुख्यालय पर आम और गरीब लोगों को निःशुल्क रूप से रात गुजारने के आश्रय स्थल बनाया गया है, जिसे रेन बसेरा कहा जाता है। झाबुआ में बस स्टेशन के पास नगर पालिका कार्यालय रेन बसेरा बना हुआ है जिसमें 15 महिला और 15 पुरुष के रुकने की व्यवस्था की गई है। यहां महिला और पुरुष के लिए अलग अलग विंग है जबकि मनोरंजन के लिए टीवी सेट भी लगा है ।


Body:मंगलवार देर रात ईटीवी भारत में झाबुआ के रेन बसेरे का रियलिटी चेक किया ,इस दौरान पाया की रेन बसेरे में लोगों के लिए सुविधा तो पर्याप्त मौजूद थी मगर उसका लाभ उठाने वाले नदारद रहे।आश्रय स्थल के बाहर नगर पालिका ने अलाव की व्यवस्था भी की थी जहां इक्का-दुक्का लोग अलाव से हाथ सेकते नजर आए ।


Conclusion:नगरी प्रशासन विभाग द्वारा झाबुआ जिले की एकमात्र नगर पालिका में रैन बसेरे की व्यवस्था है जबकि मेघनगर ,राणापुर पेटलावद और थांदला नगर परिषद में ऐसी व्यवस्था नहीं है जिसके चलते वहां के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। झाबुआ में रैन बसेरे में कम ही लोग रात गुजारने के लिए पहुंचते हैं जबकि ये सुविधा निशुल्क है। रेन बसेरे में लोगों को रात रुकने के लिए सुविधाएं दी जाती है मगर इसका प्रचार-प्रसार ना होने के चलते अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है लिहाजा कम लोग इसका उपयोग कर पा रहे हैं।
121 नितेश बारिया रेन बसेरा कर्मचारी
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