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ये कैसा इलाज, 7 माह के बच्चे को गर्म सलाखों से दागा, निमोनिया पीड़ित मासूम अस्पताल में भर्ती

झाबुआ जिले में एक बार फिर बच्चे को गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है. निमोनिया से पीड़ित बच्चों को अंधविश्वास के चलते सलाखों से दाग दिया जाता है फिलहाल एक ऐसा ही बच्चा जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है.

Pneumonia child burnt with hot rods in jhabua
निमोनिया से पीड़ित बच्चे को गर्म रॉड से दागा
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Published : May 3, 2023, 4:49 PM IST

झाबुआ। निमोनिया पीड़ित बच्चों को गर्म सलाखों से दागने का एक और मामला सामने आया है. 7 माह के इस बच्चे को बुधवार सुबह ही झाबुआ जिला अस्पताल के पीआईसीयू में भर्ती किया गया है. बच्चे की हालत स्थिर है. पिछले महीने भी ऐसे चार बच्चे आए थे, जिनके शरीर पर गर्म सलाखों से दागे जाने के निशान थे. यह मामला प्रदेशस्तर तक उठा था. इसके बावजूद अब एक नए केस के आने से फिर सवाल खड़े हो गए हैं. बुधवार सुबह जिस बच्चे को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया उसके पिता का नाम रालेश है. वह राणापुर क्षेत्र के ग्राम मातासूला के स्कूल फलिया का निवासी है. बच्चा निमोनिया पीड़ित है. संक्रमण की वजह से उसे ऑक्सीजन पर रखा गया है. उसके शरीर पर ठीक वैसे ही निशान है, जैसे पूर्व में भर्ती चार बच्चों के शरीर पर निशान थे.

अंधविश्वास में बच्चों को दागा: बच्चों को गर्म सलाखों से दागे जाने की एक बड़ी वजह ग्रामीणों में व्याप्त अंधविश्वास है. जब बच्चे को निमोनिया होता है तो संक्रमण की वजह से वह तेज तेज सांस लेने लगता है. आम बोल चाल की भाषा में ग्रामीण इसे हापलिया कहते हैं. ऐसे में अंधविश्वास के चलते गांव के ही किसी बडवे (तांत्रिक) के पास लेकर चले जाते है, जो बच्चे के सीने और पेट पर लोहे की गर्म सलाखों से दाग लगा देता है. दर्द की वजह से बच्चे की सांस धीमी हो जाती है और माता पिता समझते हैं कि दागने से उनका बच्चा स्वस्थ्य हो गया.

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हम केवल समझाइश दे सकते हैं: शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप चौपड़ा ने बताया कि जिला अस्पताल में हर महीने 20 से 25 ऐसे बच्चे भर्ती होते हैं, जिनके शरीर पर गर्म सलाखों से दागे जाने के निशान होते हैं. हम ग्रामीणों को केवल समझाइश दे सकते हैं. जब तक ग्रामीणों में व्याप्त अंधविश्वास दूर नहीं होगा, तब तक इस तरह की कुप्रथा पर लगाम लगा पाना संभव नहीं है.

झाबुआ। निमोनिया पीड़ित बच्चों को गर्म सलाखों से दागने का एक और मामला सामने आया है. 7 माह के इस बच्चे को बुधवार सुबह ही झाबुआ जिला अस्पताल के पीआईसीयू में भर्ती किया गया है. बच्चे की हालत स्थिर है. पिछले महीने भी ऐसे चार बच्चे आए थे, जिनके शरीर पर गर्म सलाखों से दागे जाने के निशान थे. यह मामला प्रदेशस्तर तक उठा था. इसके बावजूद अब एक नए केस के आने से फिर सवाल खड़े हो गए हैं. बुधवार सुबह जिस बच्चे को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया उसके पिता का नाम रालेश है. वह राणापुर क्षेत्र के ग्राम मातासूला के स्कूल फलिया का निवासी है. बच्चा निमोनिया पीड़ित है. संक्रमण की वजह से उसे ऑक्सीजन पर रखा गया है. उसके शरीर पर ठीक वैसे ही निशान है, जैसे पूर्व में भर्ती चार बच्चों के शरीर पर निशान थे.

अंधविश्वास में बच्चों को दागा: बच्चों को गर्म सलाखों से दागे जाने की एक बड़ी वजह ग्रामीणों में व्याप्त अंधविश्वास है. जब बच्चे को निमोनिया होता है तो संक्रमण की वजह से वह तेज तेज सांस लेने लगता है. आम बोल चाल की भाषा में ग्रामीण इसे हापलिया कहते हैं. ऐसे में अंधविश्वास के चलते गांव के ही किसी बडवे (तांत्रिक) के पास लेकर चले जाते है, जो बच्चे के सीने और पेट पर लोहे की गर्म सलाखों से दाग लगा देता है. दर्द की वजह से बच्चे की सांस धीमी हो जाती है और माता पिता समझते हैं कि दागने से उनका बच्चा स्वस्थ्य हो गया.

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