झाबुआ। कोरोना के बाद अब झाबुआ जिले के बाशिंदों को बिजली विभाग जोर के झटके दे रहा हैं. जिलों के हजारों उपभोक्ताओं को बिजली के बिल देख कर करंट लग रहा है. मार्च के बाद जून तक लॉकडाउन की मार झेलने वालों पर बिजली बिल की बड़ी मार पड़ी है. शिवराज की संबल तो कमलनाथ की आधा बिल वाली योजना भी उपभोक्ताओं को राहत नहीं दे पा रही. हजारों में आ रहे बिजली बिलों को देखकर उपभोक्ताओं के होश उड़े हुए हैं.
उपभोक्ता लगा रहे गुहार
अपने बिलों को कम कराने के लिए सैकड़ों उपभोक्ता रोज बिजली विभाग के दफ्तरों और कलेक्टर से गुहार लगाने पहुंचे रहे हैं, इसके बावजूद इन उपभोक्ताओं को राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही. झाबुआ में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी बिजली सप्लाई का काम करती है और विभाग के पास 1 लाख 76 हजार उपभोक्ता हैं.
सीएम के नाम कलेक्टर को सौंपा आवेदन
झाबुआ जिले के थांदला के रहने वाले अनोखीलाल बैंड का व्यवसाय करते हैं. बीते 3 महीनों से उनका बैंडबाजा कोरोना और सरकार के निर्देशों के चलते नहीं बज सका. जिसके चलते उन्हें एक रूपए की भी आमदनी नहीं हुई है. इधर बिजली विभाग ने उन्हें हजारों रुपए का बिल थमा दिया है. अनोखीलाल अपने परिजनों के साथ कलेक्टर के पास बिल कम कराने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम कलेक्टर को एक आवेदन सौंपकर बिल कम करने की गुहार लगाई है. महामारी के इस दौर में उनका व्यवसाय नहीं चल सका, जिसके चलते परिवार का भरण-पोषण मुश्किल से हो रहा है, ऐसे में हजारों रूपए के बिजली बिल भरना उनके बस की बात नहीं है.
सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
शिवराज सरकार में संबल योजना में पात्र हितग्राहियों को 200 रूपए प्रतिमाह जो बिल आता था उसे कमलनाथ सरकार ने आधा यानि 100 रुपए प्रतिमाह कर दिया था. गरीब वर्ग के लिए सरकार ने राहत की घोषणा की है, लेकिन बिजली बिलों ने मध्यम वर्गीय लोगों की कमर तोड़ दी है. जिन लोगों के बिजली बिल 500 से 800 रूपए के बीच आता था, उन्हें अब हजारों रूपए का बिल थमाया जा रहा हैं.
100 की जगह थमाया डेढ़ हजार रुपए का बिल
झाबुआ में ठेला लगाने वाली जुबेदा ने बताया कि उसका हर महीने का बिल 100 से 200 रूपए के बीच आता था, लॉकडाउन के चलते वह अपने परिवार के साथ अपने मां के घर चली गई. अब लौटी तो विभाग ने उसे डेढ़ हजार का बिल थमा दिया. जुबेदा ने कहा कि एक तो रोजगार नहीं मिल रहा और दूसरी ओर विभाग ऐसे बिल थमा कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं.
बिजली के बढ़े दामों के आधार क्या हैं, ये विभागीय अधिकारी भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं. उनका एक ही तर्क है कि गर्मी में उपभोक्ताओं ने अपने उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल किया है इसलिए उन्हें बिजली का बिल भरना होगा.
1500 से सीधे थमाया 14 हजार का बिल
झाबुआ के फुटकर विक्रेता इदरीश बताते हैं कि उनका हर महीने का बिल पंद्रह सौ से दो हजार के बीच आता था. मार्च में उन्होंने चार हजार रूपए का बिल भरा है. वहीं अप्रैल में दो से ढाई हजार का बिल भरने के बाद भी बिजली विभाग ने मई में उन्हें 14 हजार 197 का बिल थमा दिया. उन्होंने कहा कि इन तीन महीनों में ना तो मीटर की रीडिंग ली गई है और ना ही बिल ज्यादा आने की जांच की गई. शिकायत करने पहुंचे तो उसकी जांच के लिए 250 रुपए की रसीद बनवाने की बात कही जा रही है. कोरोना के चलते बीते 3 महीनों से बड़ी संख्या में लोगों के पास पैसों की कमी, रोजगार संकट रहा. इसके बावजूद जो बिल बिजली विभाग इन दिनों जिले वासियों को थमा रहा है, उससे उन्हें जोर का करंट लग रहा है.
13 वितरण केंद्र पर जांच शिविर का आयोजन
बड़ी संख्या में बढ़े हुए बिजली बिलों की शिकायत आने के बाद पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी झाबुआ के 13 वितरण केंद्रों पर जांच शिविर और बिजली समस्याओं के निवारण के लिए शिविर लगाने की बात कह रही है. अब देखना होगा कि इन शिविरों में इन उपभोक्ताओं को कितनी राहत मिल पाती है.