ETV Bharat / state

पद्मश्री महेश शर्मा ने की ईटीवी से खास बातचीत, हिन्दू नववर्ष को बताया खगोलीय घटना पर आधारित - पदम श्री महेश शर्मा

पद्मश्री महेश शर्मा ने चैत्र मास के नवरात्री को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने हिंदू नव वर्ष को प्राचीन बताया है. शर्मा ने बताया कि आज के दिन प्रकृति अपना रुप बदलती है.

पदमश्री महेश शर्मा
author img

By

Published : Apr 6, 2019, 10:19 PM IST

झाबुआ। पद्मश्री महेश शर्मा ने ईटीवी भारत खास बातचीत में बताया कि हिंदू नव वर्ष खगोलीय घटनाओं पर आधारित है. शर्मा ने कहा कि भारत का नववर्ष काफी प्राचीन है. इसका समय- समय पर नाम बदलता रहा. कभी इसे सृष्टि समन, कलयुग में विक्रम संवत कहा गया , अब गुड़ीपड़वा भी कहते हैं.

उन्होंने कहा कि यह भारत का सबसे प्राचीन खगोलीय घटनाओं पर आधारित है, जो भारत के ज्ञान विज्ञान का प्रमाण है. नव वर्ष के पहले दिन को हिंदू समाज में धूमधाम से मनाया जाता है. भारत का नव वर्ष अवैज्ञानिक प्रकृति से नहीं बल्कि वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण से बना है. महेश शर्मा ने बताया कि आज के दिन प्रकृति अपना रुप बदलती है. यह भारत की प्राचीन परंपरा है, जो इस बात को सिद्ध करती है कि हमारे पूर्वजों ने जब साधन और संसाधनों की कमी थी. उस दौरान धरती की गणना कर ली थी.

पदमश्री महेश शर्मा


पूर्वजों ने सूर्य,चंद्रमा, ग्रह और नक्षत्रों की गति का पता लगा लिया था. जो दुनिया भारत के लोगों को अनपढ़ मानती थी. उन्हीं लोगों ने हमारे ज्ञान का लोहा माना है. जिसका प्रमाण आज का भारतीय पंचांग है. भारत की कालगणना को अद्भुत बताते हुए पदमश्री महेश शर्मा ने कहा कि भारत के हमारे पूर्वजों पर हम सबको गौरव होना चाहिए. क्योंकि दुनिया के अत्याधुनिक संसाधन के बावजूद भारत ज्योतिष शास्त्र की खगोलीय गणना की विश्वसनीय बनी हुई है. इसी का खगोलीय गणना के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष का पहला दिन चैत्र मास में आता है और इसे प्रतिपदा गुड़ी पड़वा के रूप में धूमधाम से हिंदू समाज द्वारा मनाया जाता है.

झाबुआ। पद्मश्री महेश शर्मा ने ईटीवी भारत खास बातचीत में बताया कि हिंदू नव वर्ष खगोलीय घटनाओं पर आधारित है. शर्मा ने कहा कि भारत का नववर्ष काफी प्राचीन है. इसका समय- समय पर नाम बदलता रहा. कभी इसे सृष्टि समन, कलयुग में विक्रम संवत कहा गया , अब गुड़ीपड़वा भी कहते हैं.

उन्होंने कहा कि यह भारत का सबसे प्राचीन खगोलीय घटनाओं पर आधारित है, जो भारत के ज्ञान विज्ञान का प्रमाण है. नव वर्ष के पहले दिन को हिंदू समाज में धूमधाम से मनाया जाता है. भारत का नव वर्ष अवैज्ञानिक प्रकृति से नहीं बल्कि वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण से बना है. महेश शर्मा ने बताया कि आज के दिन प्रकृति अपना रुप बदलती है. यह भारत की प्राचीन परंपरा है, जो इस बात को सिद्ध करती है कि हमारे पूर्वजों ने जब साधन और संसाधनों की कमी थी. उस दौरान धरती की गणना कर ली थी.

पदमश्री महेश शर्मा


पूर्वजों ने सूर्य,चंद्रमा, ग्रह और नक्षत्रों की गति का पता लगा लिया था. जो दुनिया भारत के लोगों को अनपढ़ मानती थी. उन्हीं लोगों ने हमारे ज्ञान का लोहा माना है. जिसका प्रमाण आज का भारतीय पंचांग है. भारत की कालगणना को अद्भुत बताते हुए पदमश्री महेश शर्मा ने कहा कि भारत के हमारे पूर्वजों पर हम सबको गौरव होना चाहिए. क्योंकि दुनिया के अत्याधुनिक संसाधन के बावजूद भारत ज्योतिष शास्त्र की खगोलीय गणना की विश्वसनीय बनी हुई है. इसी का खगोलीय गणना के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष का पहला दिन चैत्र मास में आता है और इसे प्रतिपदा गुड़ी पड़वा के रूप में धूमधाम से हिंदू समाज द्वारा मनाया जाता है.

Intro:झाबुआ: चैत्र मास के पहले दिन हिंदू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, इसे लेकर पदम श्री महेश जैन ने ईटीवी से खास बातचीत की । पदम श्री महेश शर्मा ने कहा कि भारत का नववर्ष काफी प्राचीन है । यह हिंदू नव वर्ष है, इसका समय समय पर नाम बदलता रहा । कभी इसे सृष्टि समन, कलयुग में विक्रम सम्वत कहा गया , अब गुड़ीपड़वा भी कहते है। यह भारत का सबसे प्राचीन खगोलीय घटनाओं पर आधारित है जो भारत के ज्ञान विज्ञान का प्रमाण है । नव वर्ष के पहले दिन को हिंदू समाज में इसे धूमधाम से मनाया जाता है।


Body: भारत का नव वर्ष अवैज्ञानिक प्रकृति से नहीं बल्कि वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण के बना है आज के दिन प्रकृति अपना रुप बदलती है। यह भारत की प्राचीन परंपरा है जो इस बात को सिद्ध करती है कि हमारे पूर्वजों ने तब जब साधन और संसाधनों की कमी थी उस दौरान धरती की गणना कर ली थी । सूर्य ,चंद्रमा ग्रह और नक्षत्रों की गति का पता लगा लिया था ,जो दुनिया भारत के लोगों को अनपढ़ मानती थी उन्ही लोगो ने हमारे ज्ञान का लोहा माना है जिसका प्रमाण आज का भारतीय पंचांग है ।


Conclusion:भारत की कालगणना को अद्भुत बताते हुए पदम श्री महेश शर्मा ने कहा कि भारत के हमारे पूर्वजों पर हम सबको गौरव होना चाहिए क्योंकि दुनिया के अत्याधुनिक संसाधन के बावजूद भारत ज्योतिष शास्त्र की खतौली गणना की विश्वसनीय बनी हुई है। इसी का खगोलीय गणना के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष का पहला दिन चैत्र मास में आता है और इसे प्रतिपदा गुड़ी पड़वा के रूप में धूमधाम से हिंदू समाज द्वारा मनाया जाता है । इस अवसर पर महेश शर्मा ने देशवासियों को नववर्ष की हार्दिक बधाई भी दी।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.