झाबुआ। कोरोना और भुगतान में हो रही देरी की वजह से किसानों ने गेहूं उपार्जन केंद्र से दूरी बना रखी है. खरीदी केन्द्रों पर किसानों के नहीं पहुंचने से सरकार ने खरीदी के लिए 10 दिनों की समय सीमा और बढ़ा दी. ताकि जो किसान अभी तक अपना गेहूं इन केन्द्रों तक नहीं ला पाए हैं, वह भी सरकारी समर्थन मूल्य का लाभ ले सकें. लेकिन अभी तक जिले के 50 प्रतिशत किसान ही अपनी उपज लेकर गेहूं खरीदी केंद्र पहुंचे हैं.
जिले के आधे किसान ही पहुंचे खरीदी केंद्र
झाबुआ जिले में इस साल कुल 11 हजार 983 किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय के लिए पंजीयन कराया था. मगर अभी तक सिर्फ 50 फीसदी किसान ही उपार्जन केन्द्रों पर अपनी उपज लेकर पहुंचे हैं. ऐसे में इस साल खरीदी का लक्ष्य पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा. जिला प्रशासन ने जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए 23 केन्द्र बनाए हैं. जहां 34 दिनों में 5 हजार 535 किसानों से 30 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदी हुई है. वहीं 5 हजार 535 किसानों में से 3 हजार 712 किसानों को ही उनकी उपज का पैसा बैंक खातों के माध्यम से भुगतान हुआ है. अभी भी डेढ़ हजार से ज्यादा किसानों को अपनी उपज का पैसा नहीं मिला है. ऐसे में किसान अपनी उपज को बाहर बाजार में बेच रहे हैं. हालांकि बाजार में किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल रहा है. इधर, सरकार ने 10 दिनों की समय सीमा बढ़ाकर किसानों को एक बार फिर लाभ उठाने का मौका दिया है. पहले 5 मई तक ही गेहूं खरीदी होनी थी, लेकिन अब 15 मई आखिरी तारीख तय की गई है.
आंकडों से जाने क्या है स्थिति ?
जिले के 11 हजार 983 किसानों ने अलग-अलग सहकारी संस्थाओं के माध्यम से अपना पंजीयन कराया था. जबकि जिले में 90 हजार हेक्टेयर रकबे में 60 हजार से ज्यादा गेहूं का उत्पादन होता हैं. इस बार सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1 हजार 925 रुपए और 50 रुपए बोनस मिलाया है. यानी कुल 1 हजार 975 रुपए प्रति क्विंटल भाव तय कर रखा है. जिले में किसानों से गेहूं खरीदी के लिए इस साल 23 केंद्र बनाए गए हैं. पिछले साल यह संख्या 20 ही थी.
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इस बार संक्रमण का असर
पिछले साल भी कोरोनाकाल में गेहूं खरीदी हुई थी. लेकिन इस बार संक्रमण का खौफ ज्यादा है. लिहाजा प्रशासनिक सख्ती ज्यादा होने से किसान अपनी फसल लेकर बाजार या खरीदी केन्द्र नहीं जा रहा. हालांकि किसानों को अपनी उपज खरीदी केन्द्र तक ले जाने की अनुमति है. मगर कोरोना के डर और ग्रामीण इलाकों में किसानों के कोरोना से पीड़ित होने के चलते बड़ी संख्या में किसान खरीदी केन्द्र नहीं पहुंच रहे हैं.