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झाबुआ की सड़कों पर मौत का तांडव, 8 महीने में 112 ने तोड़ा दम

झाबुआ में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिले में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 508 सड़क दुर्घटनाएं पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज की गईं हैं. इन दुर्घटनाओं में कुल 112 लोगों की मौत हुई है.

Road accidents in Jhabua
झाबुआ में सड़क दुर्घटनाएं
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Published : Nov 16, 2020, 10:33 PM IST

झाबुआ। आठ महीने में जितनी मौतें कोरोना महामारी के चलते जिले में नहीं हुईं, उससे कहीं ज्यादा मौतें बीते 2 महीने में सड़क दुर्घटना के चलते हो चुकीं हैं. वाहन चालकों का वाहनों पर नियंत्रण न होने, हद से ज्यादा तेज रफ्तार और खराब सड़कों के साथ नियमों का पालन ना करने से जिले में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. छोटे से जिले में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में मरने और घायल होने वालों का आंकड़ा डराने वाला है. हालांकि पुलिस सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जन जागरूकता चलाने का दावा करती है, लेकिन इन दावों की हकीकत का अंदाजा आंकड़ों को देखकर लगाया जा सकता है.

झाबुआ में सड़क दुर्घटनाएं

100 से ज्यादा मौत

आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में बीते 10 महीनों के सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा देखा जाए तो चौकाने वाला है. अप्रैल से लेकर जुलाई तक देशभर में रहे लॉकडाउन का असर झाबुआ में भी दिखा, इसके चलते सड़कों से यातायात का दबाव बिल्कुल कम हो गया था, बावजूद इसके जिले में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 508 सड़क दुर्घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. इन दुर्घटनाओं में 112 लोगों की मौत हुई है, यानी हर पांचवीं दुर्घटना में एक व्यक्ति की जान गई है.

677 लोग हुए घायल

झाबुआ में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं मोटरसाइकिल के आपस में टकराने से होती है. यातायात पुलिस द्वारा बाइक पर उसकी क्षमता से ज्यादा सवारी, सुरक्षा नियमों का पालन न किए जाने पर शिथिल कार्रवाई से इन सड़क दुर्घटनाओं में मरने और घायल होने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है. जिले के पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज 508 सड़क दुर्घटनाओं में 677 लोग घायल हुए हैं.

2019 में हुई थी 149 लोगों की मौत

जनवरी 2019 से लेकर दिसंबर 2019 तक झाबुआ जिले में 706 सड़क दुर्घटना हुईं थीं और इन 706 सड़क दुर्घटनाओं में 149 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 898 लोग घायल हुए थे. 2019 की अपेक्षा 2020 में अभी तक सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा कोरोना के कारण कम जरूर हुआ, मगर मरने वाले लोगों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही.

जिले में लाखों वाहन

झाबुआ में परिवहन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार झाबुआ जिले में बीते 20 सालों में लाखों छोटे बड़े वाहन पंजीकृत हुए, जो सड़कों पर दौड़ रहे हैं. लगातार वाहनों की बढ़ती बिक्री और सड़कों पर बढ़ते यातायात दबाव के चलते नियंत्रण के लिए न तो पुलिस के पास कोई ठोस प्लान है और ना ही यातायात पुलिस के पास. 1 जनवरी 2001 से लेकर 2 नवंबर 2020 तक झाबुआ के परिवहन विभाग में 1,78,007 वाहनों का पंजीयन किया गया, जिसमें 1,56,976 दुपहिया वाहन हैं. इतनी बड़ी संख्या में दुपहिया वाहनों के जिले में फर्राटेदार दौड़ने पर नियंत्रण रखने और यातायात नियमों के पालन करवाने के लिए ना तो पुलिस के पास पर्याप्त बल है और ना ही संसाधन, लिहाजा लोग नियमों की अनदेखी करते हैं और दुर्घटनाओं में असमय अपनी जान गंवाते हैं.


कार्रवाई का डर नहीं

लगातार बढ़ रहीं सड़क दुर्घटनाओं का कारण जिले की खराब गुणवत्ता की सड़कें और सड़कों पर लगने वाले संकेत बोर्ड की कमी के चलते भी दुर्घटनाएं बढ़ीं हैं. जिला प्रशासन लगातार सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए संबंधित विभागों को दिशा निर्देश देता है. मगर इन विभागों द्वारा कठोर कार्रवाई न करने से लोगों में नियमों का पालन करने का डर नहीं रहता. अधिकांश बाइक चालक ना तो हेलमेट का प्रयोग करते हैं और ना ही अपने वाहनों पर क्षमता के अनुरूप सवारियों को ही बिठाते हैं. लिहाजा घटित सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है.

झाबुआ। आठ महीने में जितनी मौतें कोरोना महामारी के चलते जिले में नहीं हुईं, उससे कहीं ज्यादा मौतें बीते 2 महीने में सड़क दुर्घटना के चलते हो चुकीं हैं. वाहन चालकों का वाहनों पर नियंत्रण न होने, हद से ज्यादा तेज रफ्तार और खराब सड़कों के साथ नियमों का पालन ना करने से जिले में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. छोटे से जिले में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में मरने और घायल होने वालों का आंकड़ा डराने वाला है. हालांकि पुलिस सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जन जागरूकता चलाने का दावा करती है, लेकिन इन दावों की हकीकत का अंदाजा आंकड़ों को देखकर लगाया जा सकता है.

झाबुआ में सड़क दुर्घटनाएं

100 से ज्यादा मौत

आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में बीते 10 महीनों के सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा देखा जाए तो चौकाने वाला है. अप्रैल से लेकर जुलाई तक देशभर में रहे लॉकडाउन का असर झाबुआ में भी दिखा, इसके चलते सड़कों से यातायात का दबाव बिल्कुल कम हो गया था, बावजूद इसके जिले में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 508 सड़क दुर्घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. इन दुर्घटनाओं में 112 लोगों की मौत हुई है, यानी हर पांचवीं दुर्घटना में एक व्यक्ति की जान गई है.

677 लोग हुए घायल

झाबुआ में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं मोटरसाइकिल के आपस में टकराने से होती है. यातायात पुलिस द्वारा बाइक पर उसकी क्षमता से ज्यादा सवारी, सुरक्षा नियमों का पालन न किए जाने पर शिथिल कार्रवाई से इन सड़क दुर्घटनाओं में मरने और घायल होने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है. जिले के पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज 508 सड़क दुर्घटनाओं में 677 लोग घायल हुए हैं.

2019 में हुई थी 149 लोगों की मौत

जनवरी 2019 से लेकर दिसंबर 2019 तक झाबुआ जिले में 706 सड़क दुर्घटना हुईं थीं और इन 706 सड़क दुर्घटनाओं में 149 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 898 लोग घायल हुए थे. 2019 की अपेक्षा 2020 में अभी तक सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा कोरोना के कारण कम जरूर हुआ, मगर मरने वाले लोगों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही.

जिले में लाखों वाहन

झाबुआ में परिवहन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार झाबुआ जिले में बीते 20 सालों में लाखों छोटे बड़े वाहन पंजीकृत हुए, जो सड़कों पर दौड़ रहे हैं. लगातार वाहनों की बढ़ती बिक्री और सड़कों पर बढ़ते यातायात दबाव के चलते नियंत्रण के लिए न तो पुलिस के पास कोई ठोस प्लान है और ना ही यातायात पुलिस के पास. 1 जनवरी 2001 से लेकर 2 नवंबर 2020 तक झाबुआ के परिवहन विभाग में 1,78,007 वाहनों का पंजीयन किया गया, जिसमें 1,56,976 दुपहिया वाहन हैं. इतनी बड़ी संख्या में दुपहिया वाहनों के जिले में फर्राटेदार दौड़ने पर नियंत्रण रखने और यातायात नियमों के पालन करवाने के लिए ना तो पुलिस के पास पर्याप्त बल है और ना ही संसाधन, लिहाजा लोग नियमों की अनदेखी करते हैं और दुर्घटनाओं में असमय अपनी जान गंवाते हैं.


कार्रवाई का डर नहीं

लगातार बढ़ रहीं सड़क दुर्घटनाओं का कारण जिले की खराब गुणवत्ता की सड़कें और सड़कों पर लगने वाले संकेत बोर्ड की कमी के चलते भी दुर्घटनाएं बढ़ीं हैं. जिला प्रशासन लगातार सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए संबंधित विभागों को दिशा निर्देश देता है. मगर इन विभागों द्वारा कठोर कार्रवाई न करने से लोगों में नियमों का पालन करने का डर नहीं रहता. अधिकांश बाइक चालक ना तो हेलमेट का प्रयोग करते हैं और ना ही अपने वाहनों पर क्षमता के अनुरूप सवारियों को ही बिठाते हैं. लिहाजा घटित सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है.

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